उत्तराखंड आपदा : किसान नेताओं की किसानों से राहत कार्य में जुटने की अपील

रविवार सुबह ग्लेशियर टूटने के बाद अलकनंदा और धौलीगंगा नदियों में विकराल बाढ़ आ गई। बाढ़ ने अपनी चपेट में गांव के गांव को ले लिया जिसके कारण हजारों लोग बेघर हो गए, वहीं कई घर इस बाढ़ में बह गए।

Update: 2021-02-09 06:22 GMT

गाजीपुर बॉर्डर। उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के तपोवन इलाके में ग्लेशियर टूटने के कारण आई आपदा में कई लोगों की मृत्यु हो चुकी है, वहीं 150 से अधिक लोग लापता हैं, ऐसे मे कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान नेताओं का कहना है कि, हमने किसानों को राहत कार्य मे जुटने के लिए अपील की है और हम लोगों की मदद करेंगे।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, उत्तराखंड में आई आपदा में किसान मदद करेंगे, उत्तराखंड में त्रासदी जिलों में प्रशासन को जिस चीज की जरूरत हो वो बताएं, हर मोर्चे से किसान उनकी मदद करेंगे, पहले भी हुई त्रासदी में लोगों ने मदद की थी।

हालांकि रविवार को हरियाणा के चरखी दादरी में आयोजित हुई महापंचायत में भी किसान नेताओं की तरफ से राहत कार्यों में जुटने के लिए अपील की गई थी।

दरअसल रविवार सुबह ग्लेशियर टूटने के बाद अलकनंदा और धौलीगंगा नदियों में विकराल बाढ़ आ गई। बाढ़ ने अपनी चपेट में गांव के गांव को ले लिया जिसके कारण हजारों लोग बेघर हो गए, वहीं कई घर इस बाढ़ में बह गए।

उत्तराखंड में फिलहाल अभी भी बचाव कार्य जारी है और बाढ़ में बह गये कई लोगों को निकाला भी जा चुका है। दूसरी ओर सरकार की तरफ से भी मृतकों और घायलों को मुआवजा देने की घोषणा भी कर दी गई है।

सोमवार सुबह भी उत्तराखंड के राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) बचाव कार्य कर रहा है। एसडीआरएफ टीम नदी का जल स्तर नीचे होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि सुरंग में फंसे हुए लोगों को निकालने का अभियान शुरू किया जा सके।

ग्लेशियर टूटने के बाद सबसे अधिक प्रभावित हुए जोशीमठ के तपोवन में भारतीय सेना के जवानों ने इंजीनियर टास्क फोर्स के साथ मिलकर सुरंग को खोल दिया है। फंसे हुए लोगों को निकालने के बाद साइट पर सेना द्वारा बनाए गए फील्ड अस्पताल में उपचार दिया जा रहा है।

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