Champawat News : दलित भोजन माता को स्कूल में जातिवादी सवर्ण नहीं बनाने देंगे खाना, घर जाकर पूरे परिवार को धमकाया

Champawat News : सुनीता देवी ने कहा कि 'मैं एक दिन ड्यूटी गई। जिसके बाद अगले दिन पूरा गांव स्कूल में पहुंच गया। मेरी स्थिति देखिए मैं एक गरीब महिला हूं। मेरी नियुक्ति हो चुकी है लेकिन ये लोग मुझे धमका रहे हैं।

Update: 2021-12-20 06:39 GMT

पीड़ित महिला को घर जाकर धमकाया (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Champawat News : उत्तराखंड में राजकीय इंटर कॉलेज (राइंका) सूखीढांग में अनुसूचित जाति (एससी) की भोजन माता की नियुक्ति से बखेड़ा खड़ा हो गया है। भारत में जिस विद्यालय में जातिवाद की सोच से बाहर निकलकर एकजुट होकर सामान भाव रखने की शिक्षा दी जाती है। उसी विद्यालय में उच्च और निम्न वर्ग का भेद भाव देखने को मिल रहा है। यह मामला उत्तराखंड से सामने आया है। यहां राजकीय इंटर कॉलेज में एससी वर्ग की भोजनमाता की नियुक्ति से विद्यालय प्रबंधन समिति और अभिभावक आमने-सामने आ गए हैं। उच्च वर्गीय लोग एससी भोजन माता को हटाने के लिए विवाद पैदा कर रहे है। साथ ही एससी भोजन माता को सवर्ण जाती के लोगो ने घर जाकर धमकाया है।

यह है पूरा मामला

जीआईसी सूखीढांग में पूर्व में तैनात भोजन माता कार्यकाल पूरा होने की वजह से हट गई थी। इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने नई भोजन माता की नियुक्ति के लिए पिछले माह विज्ञप्ति निकाली थी। भोजन माता के लिए 10 महिलाओं ने आवेदन किया था। जिसके बाद एससी वर्ग की महिला सुनीता देवी को भोजन माता चुन लिया गया और उनकी नियुक्ति भी हो गई। बता दें की सुनीता देवी अभी कार्यरत है। एससी महिला की नियुक्ति से सवर्ण जाती के लोग नाराज है। उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल में सुनीता देवी के हाथों का बना खाना खाने से मना कर दिया है। जिसके बाद से ही सवर्ण के बच्चे स्कूल में खाना नहीं खा रहे है और महिला को पद से हटाने के लिए उच्च जाती के लोगो की जोर आजमाइश जारी है।

इस पुरे मामले को लेकर जनज्वार ने विद्यालय में भोजन माता के पद पर नियुक्त सुनीता देवी और ग्राम प्रधान से बात की और उनका पक्ष जाना।

पीड़ित महिला का पक्ष

भेद भाव के इस पुरे मामले में जनज्वार ने पीड़ित महिला सुनीता देवी से बात की और उनका पक्ष जाना। उन्होंने बताया कि किस तरह से जातिवाद के नाम पर उन्हें परेशान किया जा रहा है। प्रशासनिक तरीके से उनकी नियुक्ति हुई है लेकिन गांव वाले उन्हें भोजन माता के पद से हटाने के लिए विद्यालय प्रशासन पर नियुक्ति में धांधली करने का आरोप लगा रहे हैं। सुनीता देवी ने कहा कि 'मेरी नियुक्ति हुई एक हफ्ता हो गया है। गांव वाले आकर विद्यालय में हंगामा करते हैं और कहते हैं कि इसको हटाना है। हम इसके हाथ का खाना नहीं खाएंगे।'

सुनीता देवी ने कहा कि 'मैं एक दिन ड्यूटी गई। जिसके बाद अगले दिन पूरा गांव स्कूल में पहुंच गया। मेरी स्थिति देखिए मैं एक गरीब महिला हूं। मेरी नियुक्ति हो चुकी है लेकिन ये लोग मुझे धमका रहे हैं। ये लोग कह रहे हैं कि इसे हटा के रहेंगे। इसके हाथ का बना हुआ खाना नहीं खाएंगे हमारे बच्चे। पहले दिन मैंने खाना बनाया तो लगभग 45 बच्चों ने खाया। जिसके बाद 3 से 4 दिनों तक चार ब्राह्मण और दो ठाकुर के बच्चों ने खाना खाया लेकिन उसके बाद उच्च जाति के अधिकारियों ने फोन करके कहा कि खाना मत खाना इसको हटाना है।'

आगे अपने बयान में सुनीता देवी ने कहा कि 'सभी गांव वाले स्कूल में आए थे और टीचरों को भी धमका रहे थे। टीचरों से कह रहे थे कि तुम जबरदस्ती खाना खिला रहे हो।' सुनीता देवी ने कहा कि टीचरों ने किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की थी बल्कि उन्होंने कहा था कि जो बच्चे खाना खाते हैं ठीक है और जो बच्चे नहीं खाते हैं कोई बात नहीं है।

पीड़ित महिला को जान का खतरा

सुनीता देवी ने कहा कि सभी गांव वाले आकर मुझे धमका रहे हैं। मुझे जान का खतरा भी है। पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने का सवाल पूछने पर सुनीता ने जवाब दिया कि 'अभी मैंने पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई है क्योंकि प्रिंसिपल अभी छुट्टी पर हैं। प्रिंसिपल ने कहा है कि मैं कुछ दिनों में आ रहा हूं। हम मिलकर कुछ समझौता कर लेंगे।'

परिवार की स्थिति नाजुक है

सुनीता देवी ने कहा कि 'मैं चाहती हूं कि मेरी नियुक्ति हो चुकी है तो मैं ही कार्यरत रहूं। मेरा परिवार एक गरीब परिवार है। हम लोग मजदूरी का काम करके गुजारा करते हैं। मैं मजदूरी करके अपने बच्चों को पालती हूं। मैं जहां पहले मजदूरी करने जाती थी वहां पर भी लोग भेदभाव करते थे लेकिन स्कूल में खाना बनाने पर विवाद खड़ा कर रहे हैं। जिस दिन मेरी नियुक्ति निकली थी, उस दिन भी गांव के लोगों ने हंगामा किया और कहा कि ये नीची जाति की हैं। हमारे बच्चे इसके हाथ का खाना नहीं खाएंगे।

पीड़ित महिला के पति का बयान

सुनीता देवी के पति ने कहा कि 1 हफ्ते पहले हमारी नियुक्ति हो चुकी है लेकिन गांव वाले हमें घेर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि तुम नीची कास्ट के हो इसलिए तुम्हारे हाथ का बना हुआ खाना नहीं खाएंगे। महिला के पति ने बताया कि उनकी पत्नी की नियुक्ति निकली थी जिसके बाद वह विद्यालय में कार्यरत हुई लेकिन गांव वाले घर आकर धमका रहे हैं और धांधली का आरोप लगा रहे हैं।

ग्राम प्रधान का बयान

जनज्वार ने इस मामले को लेकर ग्राम प्रधान से बातचीत की और सारी जानकारी ली। ग्राम प्रधान ने बताया कि विद्यालय में भोजन माता की सीट खाली हुई थी। जिसके लिए नियुक्ति का विज्ञापन दिया गया था। विज्ञापन में भोजन माता के लिए आवेदन मांगा गया था। जिसके बाद करीब 10 से 11 महिलाओं ने आवेदन किया। प्रशासन की कमेटी बनी जिसके बाद महिला की नियुक्ति हो गई लेकिन खाना खाने को लेकर सवर्ण जाती के लोग विवाद पैदा कर रहे हैं। प्रधान ने बताया कि महिला अभी कार्यरत है। महिला ने 4 दिन खाना भी बना लिया है लेकिन जिस दिन से नियुक्ति हुई है, उस दिन से ही यह विवाद जारी है। ग्राम प्रधान का कहना है कि सवर्ण जाति के लोगों ने खाने में कुछ दवाई मिलाने का आरोप भी लगाया है। साथ ही जातिसूचक शब्दों का भी प्रयोग किया गया है। हालांकि इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से कोई एफ आई आर दर्ज नहीं करवाई गई है। 

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