उत्तराखंड के वन गूजरों की मांग, हिमाचल-कश्मीर की तरह उन्हें भी मिले जनजाति का दर्जा

वनाधिकार कानून 2006 वन गुजरों व वनवासियों को अपनी भूमि पर मालिकाना हक व खेती करने का अधिकार देता है ...;

Update: 2020-10-04 17:21 GMT
उत्तराखंड के वन गूजरों की मांग, हिमाचल-कश्मीर की तरह उन्हें भी मिले जनजाति का दर्जा
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जनज्वार  ,उत्तराखण्ड । रंगसाली रेंज के कलेगा खत्ते ( चोरगलियां) में वन गुजरों ने बैठक आयोजित कर सरकार से मांग की है कि हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू-कश्मीर की तरह ही उन्हें भी उत्तराखंड में जनजाति का दर्जा दिया जाए तथा सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार करना बंद करे।

वन गुजरो ने वनाधिकार कानून,2006 के अंतर्गत भूमि पर मालिकाने व वनों पर अपने सामुदायिक हक हेतु अपने दावे प्रस्तुत किये हुए हैं परन्तु समाज कल्याण विभाग उनके दावों पर कोई भी निर्णय नहीं ले रहा है। इस कारण वे अपने बुनियादी अधिकारों से भी वंचित है।

वनाधिकार कानून 2006 वन गुजरों व वनवासियों को अपनी भूमि पर मालिकाना हक व खेती करने का अधिकार देता है परंतु वन विभाग उनके इस अधिकार को मान्यता देने की जगह अक्सर उनका दमन व उत्पीड़न करने पर उतारू रहता है।

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वन पंचायत संघर्ष मोर्चा द्वारा आहूत इस बैठक में वन गुजरों ने उनके पालतु पशुओं को जंगली जानवरों द्वारा मारे जाने पर वन विभाग द्वारा मुआवजा नहीं देने तथा उनके ट्रैक्टर तथा वाहनों से जबरन शुल्क वसूले जाने पर भी गहरा रोष व्यक्त किया।

बैठक में वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के संयोजक तरुण जोशी, गोपाल लोधियाल, समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, एडवोकेट मदन सिंह मेहता, इको सेंसिटिव जोन विरोधी संघर्ष समिति के महेश जोशी, इशाक अहमद, मोहम्मद कासिम, गुलाम मोहम्मद ने अपने विचार व्यक्त किये। बैठक में बड़ी संख्या में वन गुजर उपस्थित थे।

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