Uttarakhand News: पुरोला के बंगाण क्षेत्र की 9 पंचायतों ने चुनाव बहिष्कार करने का लिया निर्णय, वजह हैरान करने करने वाली
Uttarakhand News: पुरोला विधानसभा में बंगाण क्षेत्र की लगभग 9 पंचायतों ने इसबार चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। हालांकि लोकतंत्र के पर्व का बहिष्कार समाधान नहीं है लेकिन इस बहिष्कार की असली वजह को समझना आवश्यक है...
आरपी विशाल की टिप्पणी
Uttarakhand News: पुरोला विधानसभा में बंगाण क्षेत्र की लगभग 9 पंचायतों ने इसबार चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। हालांकि लोकतंत्र के पर्व का बहिष्कार समाधान नहीं है लेकिन इस बहिष्कार की असली वजह को समझना आवश्यक है। कोठिगाड़ क्षेत्र में दो वर्ष पूर्व आपदा आयी, लेकिन व्यवस्था, सुरक्षा, राहत के नाम पर जनता के साथ ऐसा मज़ाक हुआ जो शायद ही कहीं और उदाहरण मिले।uu
यही आलम उत्तरकाशी जिले के ब्लॉक नौगांव के अंतर्गत क्षेत्र पंचायत चोपड़ा के ग्राम वासीयों का है। खाटल पट्टी के ग्राम पंचायत चोपड़ा देवल, गढ़ , कसलाना, न्यूडी, छिलोरा मप्पा एवं चरणाचक आदि ग्राम पंचायतों के द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि अगर उत्तराखंड शासन- प्रशासन हमें इस रोड़ को पक्की रोड़ मैं तब्दील करने के सम्बन्ध मे यदि कोई लिखित आश्वासन /आदेश नहीं देता है, तो इस बार खाटल पट्टी के लगभग 2000 मतदाताओं द्वारा विधानसभा चुनाव 2022 का बहिष्कार किया जाएगा।
ज्ञात हो कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं लेकिन नेताओं की नाकामी और बेरुखी की बदौलत इन मुददों पर ध्यान नहीं होता है। वे केवल वोटबैंक की रणनीति में लगे रहते हैं। सत्ता का यह व्यवसायीकरण जनता के गले की फांस बनी हुई है। जहां रोजमर्रा की आवश्यकताओं हेतु भी हिमाचल जाना पड़े या मिलों चलना पड़े, सोचिये उनके समक्ष चुनाव बहिष्कार के अतिरिक्त और क्या विकल्प हो सकते हैं?
नेता चुनाव के समय वोट पार्टी के नाम पर, व्यक्ति के नाम पर, नोट के बदले, कसमों, वादों के बदले या फिर छल, कपट, झूठ के आधार पर वोट ले जाते हैं और अगले 5 वर्षों तक जनता का चेहरा तक नहीं देखते। पहाड़ों की यह पीड़ा सुनने,देखने वाला कोई नहीं है। सांसद, विधायक सब प्रतिनिधि वोट लूटकर आगे बेच देते हैं और जनता मुहँ ताकती रहती है।
आज क्षेत्र के कई प्रबुद्ध लोगों से इन तमाम विषयों पर विमर्श हुआ। लोग बदलाव व समाधान चाहते हैं लेकिन नेताओं के प्रति बहुत आक्रोश और अविश्वास है। इसके लिए एक मंथन के साथ- साथ संकल्प की आवश्यकता है। जबतक जनता अपने नेता को बिठाकर यह न पूछे कि आपकी रणनीति क्या है और इसे कैसे लागू करेंगे तबतक यह परिस्थिति नहीं बदल सकती है। नेता को पता होना चाहिए कि इन तमाम समस्याओं का स्थायी समाधान क्या हो, कैसे हो..?
याद रखें केवल पुरोला क्षेत्र में ही सैकड़ों गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान मृत्यु हुई थी। छोटी सी बीमारी के इलाज़ हेतु 200 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। आपदा, विपदा के समय कोई सुध लेने वाला नहीं होता है, समाधान के नाम पर केवल खोखले वादे और आधारहीन बातें ही देखने को मिलती है। इन सबकी पीड़ा केवल अपने बीच का व्यक्ति ही समझ सकता है।
कोई भी समझदार व्यक्ति इन पूर्ववर्ती नेताओं के श्रेणी में सम्मिलित नहीं होना चाहेगा और न अवसरवादी होना चाहेगा। दलबदल या स्थिति के अनुकूल मौकापरस्ती ने इस क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया गया है। आगे ऐसा न हो और क्षेत्र की जनता के हक, हकूकों पर पुरजोर अमल होगा इसी संकल्प के साथ आया हूँ। यह स्थिति बदलेगी और यह तस्वीर भी सुधरेगी हर हाल हेतु इसके प्रतिबद्ध हूँ।
(आरपी विशाल की यह टिप्पणी फेसबुक से साभार)