West Bengal News : ममता बनर्जी के मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी के घर पर ED का छापा, 20 करोड़ कैश बरामद
West Bengal News : ईडी को यह रकम अर्पिता के आवासीय अहाते से मिली है, छापा मारने पहुंची टीम इस रकम को गिनने के लिए बैंक कर्मचारियों और काउंटिंग मशीन की मदद ले रही है, अर्पिता मुखर्जी के घर से 20 मोबाइल फोन भी बरामद हुए हैं...
West Bengal News : पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर ईडी की छापेमारी चल रही है। जानकारी के अनुसार या छापेमारी पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग और पश्चिम बंगाल प्राइमरी एजुकेशन बोर्ड भर्ती घोटाले के संबंध में की जा रही है। इस दौरान बंगाल सरकार मंत्री पार्थ चटर्जी के विभिन्न ठिकानों पर भी छापेमारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर से 20 करोड़ कैश बरामद किया गया है।
कैश के साथ घर से 20 मोबाइल फोन भी बरामद
ईडी को यह रकम अर्पिता के आवासीय अहाते से मिली है। छापा मारने पहुंची टीम इस रकम को गिनने के लिए बैंक कर्मचारियों और काउंटिंग मशीन की मदद ले रही है। इसके अलावा अर्पिता मुखर्जी के घर से 20 मोबाइल फोन भी बरामद हुए हैं। अधिकारी यह जानकारी निकालने में जुटे हुए हैं कि आखिर इतने ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल होता किस लिए था। फोटो में दिखाई दे रहा है कि बड़ी संख्या में 500 और 2000 के नोट कमरे में रखे हुए हैं।
इस मामले में इन अधिकारी पर भी ईडी की छापेमारी
बता दें कि इसके अलावा ईडी के कर्मचारी इस मामले में शिक्षा राज्यमंत्री परेश अधिकारी के कूच बिहार जिला स्थित घर की भी तलाशी ले रहे हैं। पार्थ चटर्जी और परेश अधिकारी से सीबीआई एसएससी भर्ती घोटाले में पूछताछ कर चुकी है। बयान में कहा गया कि ईडी ने विधायक माणिक भट्टाचार्य और अन्य के परिसरों पर भी छापा मारा है।
ईडी की 13 जगहों पर छापेमारी
ED की टीम ने पार्थ चटर्जी, शिक्षा राज्य मंत्री परेश सी अधिकारी, MLA माणिक भट्टाचार्य के घर समेत 13 जगहों पर छापेमारी की। हालांकि इनके यहां कोई नगदी नहीं मिली। ED इस समय पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग और पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड में भर्ती घोटाले की जांच कर रही है।
शिक्षकों की नियुक्ति के लिए किया गया करोड़ों रुपए का लेन देन
ED के अफसर SSC भर्ती घोटाले के सिलसिले में शुक्रवार सुबह करीब 8 बजे से ही पार्थ चटर्जी से पूछताछ कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि SSC के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति के लिए करोड़ों रुपए का लेनदेन किया गया। जब यह घोटाला हुआ था, उस समय पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे।