Wheat Export News : सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं के लिए गेहूं खरीद में की कटौती, किसानों पर इसका क्या असर पड़ेगा? इसे समझिए

Wheat Export News : विदेशी शिपमेंट के लिए ज्यादा गेहूं उपलब्ध कराने के लिए, केंद्र ने अपने कल्याण कार्यक्रमों (Welfare Programmes) के लिए किसानों से खरीद में कटौती की है...

Update: 2022-05-06 15:30 GMT

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Wheat Export News : 24 फरवरी को शुरू हुए रूस यूक्रेन युद्ध के बाद गेहूं के एक्सपोर्ट (Wheat Export News) में बढ़ोतरी की गयी है। इसका मतलब है कि भारतीय गेहूं किसान (Wheat Farmers) इस साल ज्यादा कमाई कर सकेंगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि निर्यात (Wheat Export News) की कीमतें तय किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,015 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा है। मनीकंट्रोल डॉट कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग ने ग्लोबल सप्लाई चेन को बाधित कर दिया है, इस कारण के गेहूं के एक्सपोर्ट (Wheat Export News) में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। इसे देखते हुए ही सरकार ने वेलफेयर प्रोग्राम के लिए गेहूं की खरीद में भी कटौती कर दी है, पर अच्छी बात यह है कि इससे किसानों पर सकारात्मक असर पड़ेगा।

रिपोर्ट के अनुसार विदेशी शिपमेंट (Wheat Export News) के लिए ज्यादा गेहूं उपलब्ध कराने के लिए, केंद्र ने अपने कल्याण कार्यक्रमों (Welfare Programmes) के लिए किसानों से खरीद में कटौती की है। केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा है कि सरकार ने अपनी खरीद को 44.4 मिलियन टन के ओरिजनल एस्टीमेट से घटाकर 19.5 मिलियन टन कर दिया है।

गेहूं की कीमतें 2,100 रुपए से 2,300 रुपए प्रति क्विंटल के बीच में हैं। कई किसान ज्यादा कीमतों की उम्मीद में स्टॉक किए हुए हैं। अगर एक्सपोर्ट (Wheat Export News) मजबूत रहा, तो कीमतों में और तेजी आ सकती है। देश को अपने खाद्य कल्याण कार्यक्रमों (Food Welfare Programmes) के लिए लगभग 25 मिलियन टन की जरूरत है। पिछले साल, सरकार ने रिकॉर्ड 43.34 मिलियन टन गेहूं खरीदा। इतनी बड़ी खरीद से जरूरतों को पूरा करने के बाद एक अच्छा खासा बफर स्टॉक भी बन गया है।

मासिक निर्यात में उछाल निर्यातक इस साल काफी व्यस्त हैं,क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद वैश्विक खरीदारों ने भारत का रुख किया है। भारत गेहूं पैदा करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। वैश्विक गेहूं सप्लाई का 30% हिस्सा रूस और यूक्रेन दोनों मिलकर कवर करते हैं।

कृषि वस्तुओं का एक निर्यातक, एलनसन्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्ट फौजान अलावी ने कहा,"10,000 से 20,000 टन प्रति माह, गेहूं का हमारा एक्सपोर्ट (Wheat Export News) 200,000 टन हो गया है। हम संयुक्त अरब अमीरात और ओमान जैसे पारंपरिक पश्चिमी एशियाई देशों के अलावा दूसरे नए बाजार ढूंढ रहे हैं। हम मिस्र और इंडोनेशिया को देख रहे हैं, जहां गेहूं की भारी मांग है। बढ़ती अंतरराष्ट्री य मांग ने एक्सपोर्टर्स को किसानों को MSP से ज्यादा भाव देने के लिए मजबूर किया है।

दिल्ली स्थित ट्रेडिंग कंपनी श्री लाल महल लिमिटेड के एक शीर्ष प्रबंधन कार्यकारी आदित्य जी ने कहा,"हमें 2,300 रुपए प्रति क्विंटल से कम कीमत पर गेहूं खरीदकर लगभग 2,350 रुपए में बेचना पड़ता है, जिससे हमें केवल एक छोटा सा मार्जिन मिलता है। मगर हमनें पिछले कुछ महीनों में एक्सोपर्ट को तिगुना कर दिया है।

यूरोप में संघर्ष शुरू होने के बाद मार्च में वैश्विक गेहूं की कीमतें बढ़कर 2,400-2,500 रुपए के स्तर पर पहुंच गईं। इसके बाद से कीमतों में नरमी आई है। जैसी डिमांड वैसा प्रोडक्शन बढ़ते शिपमेंट के साथ प्रोडक्शन ने रफ्तार बनाए रखी है। 2019-20 में 107.8 मिलियन टन से, यह 2020-21 में बढ़कर 109.6 मिलियन टन हो गया। हालांकि 2021-22 में प्रोडक्शन बढ़कर 111 मिलियन टन से ज्यादा होने की उम्मीद थी। हालांकि, गर्मी की शुरुआत और गर्मी की लहरों ने काम पर असर डाल दिया है।

सरकार के वर्तमान दृष्टिकोण के अनुसार, प्रोडक्शन पिछले साल के आंकड़े से भी नीचे गिर सकता है, क्योंकि क्यों फसल पूरी नहीं हुई है। भारतीय किसान संघ के कंसोर्टियम के महासचिव पी चेंगल रेड्डी का कहना है कि बढ़ती लागत से किसानों को लाभ सीमित हो गया है। रेड्डी ने कहा, डीजल की बढ़ती कीमतों ने ट्रैक्टर खर्च बढ़ा दिया है। उर्वरक की कीमतें दोगुनी हो गई हैं और कीटनाशकों की कीमतें 20 से 30% तक बढ़ गई हैं। पिछले कुछ सालों में श्रम मजदूरी में भी बढ़ोतरी हुई है।

रेड्डी ने कहा कि गेहूं के MSP में 1,975 रुपए प्रति क्विंटल से 40 रुपए की बढ़ोतरी किसानों की बढ़ती लागत को पूरा करने के लिए काफी नहीं है। उन्होंने कहा,"इस साल एक्सपोर्टर्स (Wheat Export News) किसानों से ज्यादा खरीद रहे हैं, लेकिन एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कोई लॉन्ग टर्म एक्सपोर्ट प्लानिंग या प्रोत्साहन नहीं है।

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