Who Is Rana Ayyub : अमित शाह को जेल भिजवाने से लेकर...मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप, कब-कब चर्चाओं में रहीं राणा अय्यूब ?

Who Is Rana Ayyub : राणा अय्यूब ने साल 2006 मेें पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा था, वह दिल्ली से प्रकाशित होने वाली पॉलिटिकल व इंवेस्टीगेटिव मैग्जीन तहलका के लिए काम कर चुकी हैं....

Update: 2022-03-30 09:19 GMT

(राणा अय्यूब : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने जारी किया लुकआउट सर्कुलर)

Rana Ayyub : राणा अय्यूब एक अवार्ड विनिंग इंवेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट (Award Winning Journalist) हैं और वॉशिंगटन पोस्ट की ग्लोबल ओपिनियन एडिटर हैं। उन्होंने भारत और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ प्रमुख प्रकाशनों के साथ एक रिपोर्टर, संपादक और स्तभंकार के रूप में काम किया है जिनमें टाइम, न्यूयॉर्क टाइम्स, द गार्डियन और फॉरेन पॉलिसी भी शामिल हैं। 37 वर्षीय राणा अय्यूब (Rana Ayyub) इससे पहले भारत की इंवेस्टीगेटिव मैग्जीन 'तहलका' के लिए भी काम कर चुकी हैं, उन्होंने धार्मिक हिंसा, राज्य द्वारा न्यायिक हत्याओं (Extra Judicial Killing), कश्मीर में विद्रोह, तमिल टाइगर्स के आतंक पर रिपोर्ट की हैं। इसके अलावा वह एक बहुचर्चित किताब 'गुजरात फाइल्स : एनाटॉमी ऑफ ए कवर अप' (Gujarat Files) की लेखिका भी हैं। आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं। 

मुंबई दंगों के दौरान परिवार ने किया पलायन

राणा अय्यूब का जन्म मुंबई (Mumbai) में हुआ है। उनके पिता मुंबई से संचालित एक मैग्जीन ब्लिट्ज के लेखक रहे हैं और प्रगतिशील लेखक आंदोलन के सदस्य महत्वपूर्ण सदस्य रहे हैं। साल 1992-93 में शहर में दंगे के दौरान उनका परिवार मुस्लिम बहुल उपनगर देवनार चला गया था। अय्यूब एक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम हैं। 

स्टिंग के चलते अमित शाह को जेल में बिताने पड़े थे दिन

राणा अय्यूब ने साल 2006 मेें पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा था। वह दिल्ली से प्रकाशित होने वाली पॉलिटिकल व इंवेस्टीगेटिव मैग्जीन 'तहलका' के लिए काम कर चुकी हैं। वह पहले से ही आमतौर पर भाजपा (BJP) और नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की आलोचक रही हैं। साल 2010 में राणा अय्यूब की एक स्टिंग ऑपरेशन के चलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले अमित शाह (Amit Shah) को कुछ महीनों तक जेल में बिताने पड़े थे। तब राणा अय्यूब की उम्र मात्र 26 वर्ष थी। अमित शाह के जेल जाने को लेकर राणा अय्यूब कहती हैं कि उनकी इंवेस्टीगेटिव रिपोर्ट की वजह से अमित शाह जेल गए थे। ये उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी है।  

इस स्टिंग ऑपरेशन (Gujarat Riots Sting Operation) को लेकर राणा अय्यूब ने बताया था कि उन्होंने अपनी पहचान बदली और वह आठ महीने मैत्री त्यागी बनकर रहीं और उसकी जिंदगी जती। राणा ने ब्यूरोक्रेट्स से होते हुए अमित शाह का स्टिंग ऑपरेशन किया लेकिन जिस दिन उन्होंने नरेंद्र मोदी का स्टिंग किया, तहलका ने इंवेस्टीगेशन बंद करने को कहा। राणा अय्यूब के मुताबिक तहलका को डर था कि कहीं उसे एक बार फिर ना बंद करवा दिया जाए लेकिन मुझे उस वक्त तक बहुत कुच मिल चुका था। गुजरात के होम सेक्रेटरी, पुलिस कमिश्नर, इंटेलीजेंस चीफ..इन सबका मैं स्टिंग कर चुकी थी। मेरे शरीर पर छह कैमरे रहते थे। मैं सिस्टम में घुसकर उनके जैसे बन गई थी। मैंने मुसलमानों की बुराई की आरएसएस की तारीफ की।  

राणा ने बताया था कि अधिकारियों ने पहली बार माना कि उन्होंने जो किया वो अच्छा किया। वो एहसान जाफरी की हत्या से खुश थे। अधिकारियों ने स्टिंग में ये भी बताया कि मोदी के विरोधी हरेन पंड्या की हत्या में मोदी और आडवाणी का हाथ है। राणा अय्यूब के मुताबिक, मेरे स्टिंग आने के बाद मीडिया को एक बड़ा कैंपन चलाना चाहिए था लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया। एसआईटी ने मुझसे टेप भी नहीं मांगा। 

राणा का तहलका से विवाद और नौकरी से इस्तीफा

इसके बाद भी राणा अय्यूब ने कुछ महीनों तक तहलका के साथ काम किया। बाद में 2013 में उनके बॉस व तहलका के प्रधान संपादक तरूण तेजपाल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा तो राणा अय्यूब ने तरुण तेजपाल का संस्था द्वारा बचाव करने के खिलाफ इस्तीफा दे दिया। वह अब स्वतंत्र रूप से काम करती हैं। साल 2019 मेें वाशिंगटन पोस्ट ने उन्हें ग्लोबल ओपिनियंस सेक्शन के लिए नियुक्त किया।

गजेंद्र चौहान के नाम खुला पत्र 

अक्टूबर 2020 में हार्पर कॉलिन्स इंडिया ने राणा अय्यूब द्वारा लिखित एक खुला पत्र प्रकाशित किया जिसकी तब खूब चर्चा हुई। राणा अय्यूब ने यह खुला पत्र गजेंद्र चौहान के नाम लिखा था। यह पत्र फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में गजेंद्र चौहान की विवादास्पद नियुक्ति को लेकर था। 

चर्चित किताब 'द गुजरात फाइल्स'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में साल 2002 में भीषण दंगे हुए थे। तब नरेंद्र मोदी ही गुजरात के मुख्यमंत्री थे। आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो इन दंगों में 1044 लोग मारे गए जबकि 223 लापता हुए वहीं 2500 घायल हुए। मृतकों में 780 मुस्लिम और 254 हिंदू थे। द कंसर्नड सिटीजन्स टिब्यूनल की रिपोर्ट के अनुमान के मुताबिक दंगों में 1926 लोग मारे गए। अन्य स्त्रोतों का अनुमान है कि मरने वालों की संख्या दो हजार से ज्यादा थी। मोदी पर दंगों को नजरअंदाज करने का भी आरोप लगा था। राणा अय्यूब इन्हीं दंगों पर आधारित एक किताब गुजरात फाइल्स लिखी है जो देश और दुनियाभर में काफी सुर्खियां बटोर चुकी है। जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अय्यूब की 'गुजरात फाइल्स' को 'एक बहादुर किताब' कहा था।

राणा को मिले ये पुरस्कार और सम्मान

राणा अय्यूब को साल 2011 में पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए संस्कृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2017 में उन्हें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान राज्य के शीर्ष अधिकारियों की मिलीभगत का खुलासा करने वाली अंडरकवर जांच के लिए ग्लोबल शाइनिंग लाइट अवार्ड दिया गया। इसके अलावा साल 2016 अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने फिल्म चाक एन डस्टर में राणा अय्यूब से प्रेरित होने का दावा किया, जो उनकी दोस्त भी हैं, फिल्म में ऋचा ने एक पत्रकार की भूमिका निभाई है। इसके बाद 2018 में अय्यूब को अपना काम जारी रखने के लिए फ्री प्रेस अनलिमिटेड द्वारा मोस्ट रेजिलिएंट जर्नलिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया था। फरवरी 2020 में अय्यूब को जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के ग्रैडी कॉलेज में पत्रकारिता के साहस के लिए मैकगिल मेडल से सम्मानित किया गया। वह मुस्लिम पब्लिक अफेयर्स काउंसिल ऑफ अमेरिका से 2020 वॉयस ऑफ करेज एंड कॉन्शियस अवार्डी हैं। टाइम मैग्जीन द्वारा उनका नाम उन दस वैश्विक पत्रकारों में शामिल किया गया था जो अपने जीवन में सबसे ज्यादा खतरों का सामना कर रहे हैं।

मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

फरवरी 2022 मामले प्रवर्तन निदेशालय ने राणा अय्यूब के 1.77 करोड़ रुपये जब्त कर लिए थे। राणा के 1.77 करोड़ रुपये जब्त करने के बाद ईडी ने कहा था कि उन्होंने कथित तौर पर तीन अभियानों के लिए दिए गए दाना का सही उद्देश्य से इस्तेमाल नहीं किया। ईडी ने यह कदम उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर उठाया।

इस बीच प्रवर्तन निदेशालय ने राणा अय्यूब को पूछताछ के लिए तलब किया है। उनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया है। ईडी की ओर से जारी लुकआउट सर्कुलर के आधार पर राणा को आज मुंबई के हवाई अड्डे पर उस वक्त रोक दिया गया जब वह लंदन जा रही थीं।

महिला पत्रकार ने अपने ट्वीट में जानकारी दी, जब मैं पत्रकारों को डराने धमकाने के मुद्दे पर अपना भाषण देने के लिए लंदन जाने वाली उड़ान में सवार होने वाली थी तभी मुझे रोक दिया गया। जर्नलिज्म फेस्टिवल में भारतीय लोकतंत्र पर मुख्य भाषण देने के तुरंत बाद मुझे इटली के लिए रवाना होना था। 

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