कौन हैं नताशा नरवाल जिनका फोटो शेयर कर लोग कह रहे बेटी तुम्हारे साहस को सलाम
"मुझे उस पर गर्व है, कौन कहता है जेल बुरी जगह है, बदलाव ऐसे ही नहीं आते, लड़ना होता है...
जनज्वार ब्यूरो, दिल्ली। कल 30 मई को नताशा नरवाल ने तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण कर दिया था। आपको बता दें नताशा नरवाल के पिता महावीर नरवाल की कोविड-19 से मृत्यु होने के बाद नताशा नरवाल को उनके पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए 50 हजार के मुचलके के साथ 3 सप्ताह की सशर्त अग्रिम जमानत प्रदान की गई थी। कल उनके जमानत की अवधि पूरी हो गई थी। आपको बता दें नताशा नरवाल पिछले 1 साल से जेल में बंद है। उनके ऊपर दिल्ली दंगों की कथित साजिश रचने का आरोप लगाते हुए आतंक निरोधी कानून- गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) लगाया गया है। मामला अदालत में चल रहा है।
नताशा नरवल द्वारा आत्मसमर्पण किए जाने की तस्वीर शेयर करते हुए वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश लिखते हैं, ये तस्वीर है या अन्याय, अत्याचार और निरंकुशता के विरुद्ध अदम्य इंसानी-साहस की कोई महान् कविता!
ट्विटर पर छात्र आयुष चतुर्वेदी लिखते हैं, इस हिम्मत भरी तस्वीर पर हमें सिर्फ़ गर्व नहीं करना है बल्कि उतना ही गुस्सा होना है उस व्यवस्था के ख़िलाफ़ जो ऐसी तस्वीरें खिंचाने को मजबूर करती है. पिता की मृत्यु पर मिली अंतरिम ज़मानत ख़त्म होने के बाद एक्टिविस्ट नताशा नरवाल की तिहाड़ जेल जाते हुए यह तस्वीर.
कौन है नताशा नरवाल
"मुझे उस पर गर्व है, कौन कहता है जेल बुरी जगह है, बदलाव ऐसे ही नहीं आते, लड़ना होता है वह लड़ रही है।" - नताशा नरवल के पिता महावीर नरवाल ने अपनी बेटी के बारे में कहा था।
बीते साल एक अन्य इंटरव्यू में महावीर नरवाल ने नताशा के बारे में कहा था- "सफदर हाशमी का एक शेर है, महिलाएं ना उठी तो जुल्म बढ़ेगा। मैं मानता हूं कि महिलाओं को उठना ही होगा। मैं यह तो नहीं कहूंगा कि मेरी बेटी चैंपियन है लेकिन यह जरूर कहूंगा कि जहां पीड़ा है, वहां वह जरूर साथ खड़ी मिलेगी।" अपने पिता महावीर नरवाल की नजरों में एसी हैं नताशा नरवाल।
आपको बता दें नताशा नरवार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा है। जो इतिहास में शोध कर रही हैं। इसके अलावा नताशा नरवाल एक महिला छात्र कार्यकर्ता हैं। नताशा नरवाल पिंजरा तोड़ ग्रुप की मेंबर हैं। पिंजरा तोड़ महिलाओं का वह ग्रुप है जो दिल्ली के हॉस्टल और पीजी में लड़कियों के ऊपर लगने वाले प्रतिबंध को कम करने की दिशा में काम करता है। 2015 में यह ग्रुप बना था। जो दिल्ली भर में छात्राओं पर लगाई गई पाबंदियों के खिलाफ मुखर होकर आवाज़ उठाता और लड़ता है।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ किया था प्रदर्शन
आपको बता दें बीते वर्ष नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे। इसी कड़ी में दिल्ली में CAA-NRC का व्यापक विरोध हुआ था। दिल्ली के छात्रों व आम जनता ने मिलकर इन कानूनों का विरोध किया था। नताशा नरवाल विरोध करने वाले उन्हीं छात्रों में से एक है। बीते वर्ष 23 मई को लॉकडाउन के दौरान हिंसा फैलाने के आरोप में नताशा नरवाल को गिरफ्तार कर लिया गया।
पिंजरा तोड़ ग्रुप पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 22-23 फरवरी के बीच उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें 500 प्रदर्शनकारी इकट्ठे हुए थे।इनमें अधिकतर महिलाएं थी। 24 फरवरी को जाफराबाद क्षेत्र में हिंसा हो गई थी।
हिंसा की साजिश रचने के आरोप में पुलिस ने किया था गिरफ्तार
हिंसा की कथित साजिश रचने के आरोप में नताशा नरवाल व ग्रुप की अन्य सदस्य देवांगना कलीता को 23 मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में 24 मई को सुनवाई के दौरान मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अजीत नारायण ने दोनों को जमानत दे दी थी और कहा था अभियुक्त केवल NRC और CAA के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी। ऐसा करना इस आरोप को साबित नहीं करता कि वे किसी हिंसा में शामिल थे।
नताशा नरवाल के जेल से बाहर आने से पहले ही उनके खिलाफ दूसरी एफआईआर संख्या 50 दर्ज कर ली गई और गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा कि दोनों ही लड़कियां दिल्ली दंगों की साजिश रचने में शामिल है। जिसमें एक व्हाट्सएप मैसेज को आधार बनाया गया था। जिसका शीर्षक था- 'दंगे के हालात में घर की औरतें क्या करें।'
इससे पहले कि नताशा नरवाल बेल पर रिहा होती एफआईआर-59 दर्ज कर उनके ऊपर UAPA लगा दिया गया।
17 सितंबर 2020 को जब एफआईआर 59 में पहली चार्जशीट दाखिल की गई थी ठीक उसी दिन नताशा को एफआईआर में कड़कड़डूमा कोर्ट की ओर से जमानत मिल गई थी।
नताशा को जमानत देते हुए कड़कड़डूमा जिला अदालत के जज ने कहा था कि वह किसी तरह का खतरा पैदा नहीं करती, ना ही इस बात की आशंका है कि वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेगी क्योंकि उसके मामले में या तो पुलिसवाले गवाह है या गवाहों को सुरक्षा मिली हुई है। अदालत ने यह भी कहा कि नताशा के खिलाफ प्रॉसीक्यूशन ने जो मामला बनाया है वह कमजोर है।
एडिशनल सेशन जज अमिताभ रावत ने कहा- प्रॉसीक्यूशन ने जो वीडियो दिखाया है उसमें नरवाल गैरकानूनी सभा में हिस्सा लेती तो दिखाई देती हैं लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं है जिससे यह पता चले कि वह हिंसा में शामिल थी या उसे भड़का रही थी।
ऐसे में जब पुलिस नताशा के खिलाफ सबूत नहीं जुटा पा रही थी और अदालत में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पा रही थी तब पुलिस ने नताशा नरवाल पर UAPA लगा दिया। UAPA विपक्ष की आवाज को दबाने, विरोध प्रदर्शनों को दबाने, मानवाधिकार व सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने का जरिया बन गया है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार ही 2016 से 19 के दौरान UAPA के तहत दायर कुल मामलों में से केवल 2.2 प्रतिशत मामलों में ही दोष सिद्ध हुआ है।
UAPA के तहत अभियुक्त बनाये जाने के बाद 30 मई 2020 से ही नताशा नरवाल जेल में बंद है। नताशा नरवाल के पिता महावीर नरवाल की मृत्यु हो जाने के बाद 10 मई को उन्हें 3 सप्ताह की अंतरिम जमानत मिली थी।
जेल में भी महिला कैदियों व उनके बच्चों के जीवन की बेहतरी के लिये कर रही है काम
नताशा नरवाल और उनके साथ सह आरोपी देवांगना कलीता कैदी महिलाओं के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। जेल में भी महिला कैदियों की सुविधाओं और कल्याण हेतु काम कर रही हैं। उन्होंने महिला कैदियों की परेशानियों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि किस तरह महामारी ने महिला कैदियों की तकलीफ को बढ़ाया है। अपनी याचिका में इन्होंने जेलों में कई सुधार करने की मांग भी की है। इनके प्रयासों के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल संख्या 6 में कैदी महिलाओं की मदद करने वाले कई निर्देश भी जारी किए हैं। क्वारंटाइन में रहने वाली कैदियों को टेली-कॉलिंग की सुविधा, कैदियों को वैक्सीन लगाने की नीति बनाये जाने का आदेश, ई-मुलाकातों को चालू किये जाने, कंप्यूटर रूम में लीगल सहायता और फंक्शनल कंप्यूटर और इंटरनेट के इस्तेमाल का आश्वासन आदि हैं।