MCD चुनाव में क्यों बिखर गया BJP का साम्राज्य, ये है 5 बड़ी वजह
MCD Election Result 2022 Latest Updates : करीब 15 सालों से एमसीडी की सत्ता पर काबिज रही बीजेपी के हाथ से गद्दी निकल गई है. आम आदमी पार्टी ने यह करिश्मा कैसे किया. यह आप 5 पॉइंट में समझ सकते हैं.
MCD Election Result 2022 Latest Updates : दिल्ली नगर निगम चुनाव में जीत हासिल कर आम आदमी पार्टी ( AAP ) ने एक बार फि सबको चौंका दिया है। इतना ही नहीं देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी भी बन गई है। इसके अलावा एमसीडी ( MCD ) में भाजपा ( BJP ) के साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया। विगत 15 सालों से एमसीडी की सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। साथ ही दिल्ली के लोगों ने अरविंद केजरीवाल ( Arvind Kejriwal ) की ख्वाहिश के मुताबिक आप की डबल इंजन वाली सरकार बना दी।
एमसीडी चुनाव ( MCD election result ) में AAP की यह जीत क्या सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की छवि का परिणाम रही या भाजपा को एंटी-इनकम्बेंसी का खामियाजा उठाना पड़ा। आइए हम आपको 5 प्वाइंट में बताते हैं आप की जीत की वजह। दिल्ली की जनता क्या चाहती है, इस बात को आप तभी समझ पाएंगे।
MCD Election Result 2022 :
1. एमसीडी में भाजपा को लेडूबी एंटी-इनकम्बेंसी
भारतीय जनता पार्टी एमसीडी में पिछले 15 सालों से काबिज थी, लेकिन कभी सफाई तो कभी भ्रष्टाचार की वजह से वह लगातार विवादों में रही। पार्टी के बड़े नेताओं ने एमसीडी पर गंभीरता से ध्यान देने के बजाय उसे स्थानीय नेताओं के भरोसे छोड़ दिया। वे स्थानीय नेता आम जनता के मुद्दों का समाधान कराने के बजाय हर वक्त केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को कोसने में लगे रहे। इसका नतीजा यह निकला कि भाजपा चुनाव हार गई। दिल्ली की जनता ने उन्हें समझा दिया कि उनके साथ यही होना चाहिए जो हुआ है।
2. काम कर गया केजरीवाल की सॉफ्ट हिंदुत्व
भाजपा ने तयशुदा रणनीति के जरिए अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को एंटी-हिंदू घोषित करने का अभियान चलाया। इफ्तार पार्टी के दौरान सिर पर मुस्लिम टोपी पहने केजरीवाल की फोटो शेयर कर उन पर निजी हमले किए। उन्हें मुस्लिम हितैषी और हिंदू विरोधी साबित करने की कोशिश की गई। सीएम अरविंद केजरीवाल इस रणनीति को वक्त रहते भांप गए और सॉफ्ट हिंदुत्व की रणनीति अपनाकर इस दांव को फेल कर दिया। गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल को हिंदुत्व का रौबदार रूप को दिल्ली के लोगों ने पसंद किया। केजरीवाज नं अपनी चुनावी यात्राओं की शुरुआत मंदिरों से की और अपनी सभाओं में खुलकर भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगवाए। परिणम यह हुआ कि आप के खिलाफ भाजपा का हिंदुत्ववादी हमला कुंद हो गया।
3. दिल्ली में केजरीवाल आज भी भाजपा पर भारी
दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी देश की एकमात्र क्षेत्रीय पार्टी है जिसकी दो राज्यों में अपनी सरकार है। पार्टी ने यह कमाल सीएम अरविंद केजरीवाल की इमेज के बल पर किया है। अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की छवि ऐसे नेता की बन गई है, आम जनता से जुड़े अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, बिजली, पानी, सीवर, किसान और मजदूरों के कल्याण की बात करता है। एक ऐसा नेता जो सादगी से रहना पसंद करता है और भ्रष्टाचार से तनिक भी समझौता नहीं करता। केजरीवाल की इस छवि ने भी आम आदमी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में बड़ा योगदान दिया।
4. AAP की सधी हुई रणनीति के सामने भगवावादी फेल
आम आदमी पार्टी ने 2017 के बाद से ही 2022 में होने वाले पार्षद के चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी थी। इन 5 सालों के दौरान पूरी दिल्ली में पार्टी संगठन का विस्तार किया गया। नए-नए नेताओं और कार्यकर्ताओं को जोड़कर शहर के हर हिस्से में पार्टी को पहुंचाया गया। इसके साथ ही दिल्ली नगर निगम में अफसरों-पार्षदों के भ्रष्टाचार पर अटैक करते हुए लगातार भाजपा को कठघरे में खड़ा किया। एमसीडी में घोटाले को उजागर किया। ये रणनीति काम कर गई और दिल्ली में पीएम मोदी की छवि भी डूब गई।
5. इनके बीच बढ़ाया अपना जनाधार
आम आदमी की बात करने वाली केजरीवाल सरकार ने इस बात पर भी गौर फरमाया कि दिल्ली नौकरीपेशा और कारोबारियों का शहर है। आम पार्टी ने पूरी योजना के साथ इन दोनों तबकों में अपना आधार बढ़ाया। पार्टी की ट्रेडर विंग के जरिए व्यापारी और कारोबारी तबके के नामचीन लोगों को संगठन से जोड़ा। उनकी समस्याओं को हल करवाने का प्रयास जारी रखा। आरडब्ल्यूए विंग के जरिए सेक्टरों और रिहायशी इलाकों में पैठ बढ़ाई। इस बात का भरोसा दिलाया कि एमसीडी में भी आम आदमी पार्टी सत्ता में आ जाती है तो लोगों को अपनी परेशानियों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। उन्हें सारी सुविधाएं डोर टू स्टेप मिलेंगी। आप की यह रणनीति काम कर गई। आप के इस रणनीति के सामने 15 साल के एमसीडी में काबिज भाजपा पर हमला बोला। भाजपा के शीर्ष नेताओं पर लगातार हमला बोला। सत्येंद्र जैन के वीडियो के खिलाफ भी आक्रामक रुख का परिचय दिया। इस नतीजा यह हुआ कि आम लोगों ने भाजपा पर भरोसा करने के बजाय सफाई, निगम में भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को फोकस करते हुए AAP को ही वोट दिया।