कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने क्यों कहा कश्मीर में आर्टिकल 370 बहाल करना नामुमकिन
जी-23 गुट के नेता गुलाम नबी आजाद को लगता है कि लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस 300 सीटें नहीं जीत पाएंगी। ऐसे हालात में कश्मीर में फिर से आर्टिकल 370 लागू करना नामुमकिन होगा।
जम्मू कश्मीर। जम्मू-कश्मीर की सियासी स्थित पर लंबे अरसे बाद चुप्पी तोड़ते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि फिर से आर्टिकल 370 को बहाल करना नामुमकिन जैसा है। आजाद ने कहा कि केवल सुप्रीम कोर्ट, जहां यह मामला लंबित है और केंद्र ही इसे बहाल कर सकते हैं। पुंछ जिले के कृष्णाघाटी इलाके में एक रैली में उन्होंने कहा कि चूंकि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया है, इसलिए वह इसे बहाल नहीं करेगी।
अनुच्छेद 370 तभी हटा पाएंगे जब केंद्र में हमारी सरकार होगी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे पास 300 सांसद ( सरकार बनाने के लिए जरूरी ) कब होंगे? इसलिए, मैं अनुच्छेद 370 को बहाल करने का वादा नहीं कर सकता, क्योंकि हमें 2024 में 300 सांसदों को लाना होगा। चाहे जो हो जाए, भगवान हमारे 300 सांसद बनाएं, तभी कुछ हो सकेगा। लेकिन वर्तमान में मुझे यह नहीं दिख रहा है कि ऐसा हो सकेगा। इसलिए मैं कोई झूठा वादा नहीं करूंगा। धारा 370 के बारे में बात करने से बचूंगा।
अनुच्छेद 370 पर बात करना अप्रासंगिक
पुंछ और राजौरी के दौरे पर गए आजाद ने हाल ही में कश्मीर में कहा था कि अनुच्छेद 370 पर बात करना अप्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि उनकी मुख्य मांगें जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करना और विधानसभा चुनाव जल्दी कराना है। आजाद ने कहा कि वह अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं अकेले ही पिछले तीन सालों से संसद में इस बारे में बोल रहा हूं।
आजाद ने कहा कि सरकार के साथ हमारी लड़ाई यह है कि जब अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया और राज्य का विभाजन किया गया, तो मैंने कहा कि केंद्र सरकार को संविधान में बदलाव लाने का अधिकार है, लेकिन यह जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के माध्यम से आएगा, न कि संसद के माध्यम से आएगा।
आजाद ने मान ली हार
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उनके बयान की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले ही हार मान ली है।