अग्निवीरों की उम्र सीमा 2 साल बढ़ने के बावजूद क्यों नहीं थम रहा हिंसक आंदोलन

अग्निपथ योजना के खिलाफ छात्रों के आंदोलन तेज होने के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। फिलहाल, सरकार ने आयु सीमा बढ़ाकर मूल समस्या का समाधान नहीं किया है।

Update: 2022-06-17 11:45 GMT

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नई दिल्ली। अग्निपथ योजना ( Agnipath Scheme ) के विरोध को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने साल 2022 के लिए अग्निवीरों ( Agniverr Age ) की आयु सीमा में दो साल बढ़ाने का फैसला लिया है। ऐसा कोरोना काल के दौरान सेना में भर्ती न होने की वजह से लिया गया है। इसके बावजूद अग्निपथ योजना का विरोध ( Student protest ) देशभर में जारी है। बशर्ते कि विरोध पहले से ज्यादा उग्र या हिंसक हो गया है। अब तो यह आंदोलन जानलेवा भी हो गया है।

सवाल यह है कि जब सरकार ने अग्निवीरों की आयु सीमा ( Agniverr Age )  बढ़ाने का फैसला ले लिया तो फिर इसका विरोध क्यों? इस बारे में जानकारों की राय अलग-अलग है। विशेषज्ञों के मुताबिक छात्रों के आंदोलन ( Student protest ) तेज होने के पीछे एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं। फिर, सरकार ने आयु सीमा बढ़ाकर मूल समस्या का समाधान नहीं किया है। आयु सीमा को कोरोना काल के दो साल के दौरान फौज में भर्ती न होने की वजह से बढ़ाया गया है।

मूल समस्या जस की तस

अमात्य आईएएस अकादमी के संचालक राजेश भारती का कहना है कि आयु सीमा ( Agniverr Age ) में बढ़ोतरी से प्रदर्शनरत छात्रों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। यह तो केवल उन छात्रों के लिए लाभकारी है जो कोरोना काल में फौज में भर्ती न होने की वजह से सेना की नौकरी चाहते हुए करने से वंचित रह गए। विरोध की मूल वजह तो अग्निपथ योजना के टर्म एंड कंडीशन हैं। छात्र पहले के टर्म और कंडीशन पर ही सेना में भर्ती चाहते हैं। यानि एक बार चयन हो जाए तो पहले की तरह पूरे कार्यकाल के लिए सेना बने रहने की सुविधा। साथ ही पेंशन, ग्रैच्युटी और अन्य सुविधाएं भी। सरकार ने इस बिंदु पर अभी कोई विचार नहीं किया है।

युवा नये बदलाव को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं

वहीं योद्धा मिलिट्री अकादमी के संचालक लेफ्टिनैंट कर्नल अमरदीप त्यागी का कहना है कि युवाओं का विरोध उचित नहीं है। उनका कहना है कि सरकार अब नए तरीके से युवाओं को सेना भर्ती करना चाहती है। अग्निपथ योजना के मुताबिक सरकार अब एक पद के चार छात्रों को चयन करेगी। चारों को प्रशिक्षण दिया जाएगा और फौज के नियमानुसार उनसे काम लिया जाएगा। चार साल के बाद चार में एक, यानि जो योग्यतम होंगे उन्हें सेवा में रखा जाएगा। ऐसा कर सरकार सेना के योग्य युवाओं को बनाए रखना चाहती है। चूंकि, पहले ऐसा नहीं था, इसलिए इसका विरोध हो रहा है। यानि लोग बदलाव को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।

जो सभी मानदंडों पर फिट बैठेंगे वो सेवा में बने रहेंगे

यूके, इजरायल, रूस, सिंगापुर कोरिया, थाईलैंड, अमेरिका सहित कई अन्य देशों से यह प्रथा पहले से ही प्रचलन में है। लेफ्टिनैंट कर्नल अमरजीत त्यागी का कहना है कि सरकार को जरूरत तो चयनित में केवल 25 फीसदी की है, लेकिन योग्य जवानों संख्या सुनिश्चित करने के लिए चार गुना ज्यादा जवानों को चयन करने का फैसला लिया गया है, ताकि चार साल बाद जिन्हें सेवा में बनाये रखने का मौका मिलेगा वो सेना के सभी मानदंडों पर फिट ​बैठ सकें।

नुकसान किसी का नहीं, सोच में बदलाव की जरूरत

कर्नल त्यागी का कहना है कि चयन की इस प्रक्रिया में युवाओं का कोई नुकसान नहीं है। वो कहते हैं कि मान लीजिए सरकार इतने युवाओं का चयन ही न करे। ऐसे में युवा तो 25 की उम्र तक ठीक से तैयारी पर भी अमल नहीं कर पाते हैं। इसलिए ये बहाना बनाना कि युवाओं को भविष्य बर्बाद हो जाएगा, गलत है। हां, सरकार ने टर्म एंड कंडीशन बदले हैं। ये बात सही है। सभी को नये टर्म एंड कंडीशन में खुद को ढालना होगा।

अमरदीप त्यागी का कहना है कि जो लोग सेवा से बाहर हो जाएंगे, उनका कुछ भी नुकसान नहीं होगा। ऐसा इसलिए कि वो लोग अलग-अलग कार्यों में सेना के पूर्व ट्रेंड फौजी होंगे। उनके पास हुनर होगा। वो चाहेंगे तो सरकार के अन्य विभागों में नौकरी करेंगे या फिर चार साल के सेवा के बाद जो एक हैंडसम अमाउंट मिलेगा उसके बल पर वो अपना काम भी शुरू कर सकते हैं।


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