केदारनाथ में भूस्खलन की चपेट में आने से मजदूर की मौत, 5 ने भागकर बचाई जान तो अल्मोड़ा में घर गिरने से बुजुर्ग की मौत
केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलचटटी में भूस्खलन होने के कारण एक टेंट में रह रहे 6 मजदूरों में एक मजदूर की मौत हो गई, जबकि 5 मजदूरों ने भागकर अपनी जान बचाई, यहां पर ऊपरी पहाड़ी से विशालकाय पत्थर गिरने के कारण मजदूर चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई....
Dehradun news : पिछले तीन दिन से राज्य में हो रही बारिश के चलते अस्त व्यस्त हुआ जनजीवन अभी भी पटरी पर नहीं आया है। लगातार हो रहे भूस्खलन के चलते प्रदेश की सैंकड़ों सड़कों पर आवागमन ठप्प हो गया है। मलवा साफ करके यातायात शुरू की गई सड़कों पर दुबारा मलवा आ जाने से जिंदगी की रफ्तार पर लगातार ब्रेक लग रहा है। केदारनाथ और अल्मोड़ा में दो लोगों की मौत बरसात की वजह से और हो चुकी है। उत्तराखंड की इस आपदा के मद्देनजर पूरे प्रदेश को आपदाग्रस्त घोषित किए जाने की मांग मुखर हो रही है।
कुमाउं मंडल के पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, चम्पावत, नैनीताल, बागेश्वर जिलों में बारिश का ज्यादा कहर देखने को मिल रहा है। पिथौरागढ़ के मूनाकोट ब्लॉक में अतिवृष्टि की घटना सामने आई है। सोन पट्टी क्षेत्र के ग्राम पंचायत बसौड़ के कैनखोला गांव में अतिवृष्टि से गधेरा उफान में बह रहा है। गधेरे में पत्थर और मिट्टी पानी के तेज बहाव में बहते नजर आ रहे हैं। अतिवृष्टि से खेत खलिहान पैदल आवाजाही मार्गों को नुकसान पहुंचा है। हालांकि किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन लगातार हो रही बारिश से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई है। भारी बारिश के चलते नदी नाले उफान पर आने से लोग दहशत में हैं।
रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ पैदल मार्ग पर बोल्डर गिरने से एक मजदूर की मौत हो गई है। जंगलचट्टी के पास हुई इस घटना में 6 मजदूर टेंट लगाकर सो रहे थे। घटना के बाद बाकी लोगों ने मौके से भागकर अपनी जान बचाई। गौरीकुंड-केदारनाथ 18 किमी पैदल मार्ग पर जगह-जगह बोल्डर गिरने के साथ ही मलबा आ रहा है। केदारनाथ पैदल मार्ग पर जंगलचटटी में भूस्खलन होने के कारण एक टेंट में रह रहे 6 मजदूरों में एक मजदूर की मौत हो गई, जबकि 5 मजदूरों ने भागकर अपनी जान बचाई। यहां पर ऊपरी पहाड़ी से विशालकाय पत्थर गिरने के कारण मजदूर चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
लगातार हो रहे भूस्खलन के चलते प्रदेश की सैंकड़ों सड़कों पर आवागमन ठप्प हो गया हैघटना के बाद एसडीआरएफ, पुलिस एवं डीडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और मजदूर के शव को गौरीकुंड लेकर आई। गौरीकुंड में पंचनामा भरने के लिए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। मजदूर पैदल यात्रा मार्ग पर घोड़े खच्चर संचालन का कार्य करता था। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नन्दन सिंह रजवार ने बताया कि जंगलचट्टी के पास कुछ घोड़ा खच्चर मजदूरों ने टेंट लगाया हुआ था। आज सुबह के समय ऊपरी पहाड़ी से पत्थर गिरने से धनवीर पुत्र सांतु लाल उम्र 24 वर्ष निवासी कंडाली विकासखण्ड जखोली जिला रुद्रप्रयाग की मौत हो गई।
जबकि दूसरी तरफ अल्मोड़ा जिले के सल्ट में एक घर पर पहाड़ी से मलबा आने से ग्रामीण की मौत हो गई। सल्ट के पीपना गांव में लक्ष्मण सिंह (55 वर्ष) के मकान के पिछले हिस्से में मध्यरात्रि बाद पहाड़ी दरक गई। जिसमें उनकी मौत हो गई। हादसे के समय लक्ष्मण सिंह की पत्नी और पुत्र दूसरे मकान में सोने चले गए थे। इससे उनकी जान बच गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मलबे में दबे शव को निकालकर पोस्टमार्टम को भेजा। घटना से मृतक के परिजनों में कोहराम मचा है।
उत्तराखंड में आई आपदा के चलते पूरे उत्तराखंड को राष्ट्रीय आपदा क्षेत्र घोषित करने की मांग की जाने लगी है। पंचायत प्रतिनिधियों के मुताबिक बारिश के कहर ने सामुदायिक व्यवस्था को सबसे अधिक प्रभावित किया है। जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ईमेल से पत्र भेजकर तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश से हुए नुकसान को देखते हुए इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि किसानों की फसलें चौपट हो गई है।
पहाड़ी क्षेत्रों में पैदल व मोटर मार्ग बदहाल हो गए है। तीन दिनों की इस बारिश ने राज्य को अरबों रुपए का नुक़सान पहुंचा दिया है। राज्य में धान, तिलहन, दालें, आलू, राजमा तथा जाड़ों के समय के लिए काटकर रखी जाने वाली घास अत्यधिक मात्रा में बारिश होने के कारण खराब हो गई है। इससे किसानों को करोड़ों रुपए की क्षति हुई है। मर्तोलिया ने कहा कि किसानों ने खेती के लिए कृषि लोन लिया था, उसकी अदायगी रहा किसानों के पास ब्याज देने के लिए भी सामर्थ्य बची हुई नहीं है।
बारिश ने पैदल मार्ग तथा मोटर मार्गों को फिर जर्जर तथा बदहाल स्थिति में ला दिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी सम्पत्तियों को भी इस भीषण बारिश से नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि आम जनजीवन को पटरी में लाने के लिए इस आपदा को शीघ्र राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव तैयार कर भेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बारिश से मजदूर, किसान, व्यवसायियों, दुकानदारों, वाहन स्वामियों को भारी नुक्सान पहुंचा है। मोटर मार्गों के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में पैदल मार्गों की दशा सुधारने के लिए आपदा मद से अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होगी, इसके लिए राष्ट्रीय आपदा घोषित होना बेहद जरूरी है।