World Human Rights Day 2021 : पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में मजदूरों ने निकाला मशाल जुलूस, कहा - 'हमें भीख नहीं सम्मान चाहिए'

World Human Rights Day 2021 : लोगों ने कहा - 93 प्रतिशत मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। उनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। वे गरीबी से भयंकर रूप से लड़ रहे हैं। हमारे मानवाधिकारों की रक्षा करना जरुरी है। पीएम मोदी को ये काम करना जरूरी है।

Update: 2021-12-10 06:54 GMT

वाराणसी। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस ( World Human Rights Day 2021 ) के उपलक्ष्य में लोक समिति कार्यकर्ता ( Lok Samiti Workers ) और दिहाड़ी मजदूरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) के संसदीय क्षेत्र बनारस ( Varanasi ) के बीरभानपुर गांव ( Beerbhanpur Village ) में मशाल जुलूस ( Mashaal Juloos ) निकाली। जुलूस निकालने से पहले सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण गांव के पंचायत भवन पर एकत्रित हुए। हाथ में मशाल, तख्ती, पोस्टर, बैनर के साथ गांव की विभिन्न बस्तियों में रैली निकाली।

बिना भेदभाव के जीने का अधिकार चाहिए

मशाल जुलूस के दौरान लोगों ने रोटी कपड़ा और मकान, मांग रहा मजदूर किसान, भीख नही अधिकार चाहिए, जीने का सम्मान चाहिए, जुल्म करेंगे नहीं जुल्म सहेंगें नही, आदि नारे लगाकर मानवाधिकार के प्रति ग्रामीणों को जागरूग किया। मशाल जुलूस में शामिल मजदूरों ने कहा कि सभी को बिना भेदभाव के जीने का अधिकार होना चाहिए।

कोरोना महामारी के समय में देश का सबसे बड़ा तबका मजदूर कोरोना से तो लड़ ही रहा है, पर उसके साथ-साथ अत्याचार, भय, भूख और रोज़गार के संकट से भी जूझ रहा है। हम सभी जानते हैं कि कुल मजदूरों के 93 प्रतिशत मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। जिनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। वे गरीबी से भयंकर रूप से लड़ रहे हैं। मजदूरों ने कहा कि हमारे मानवाधिकारों की रक्षा करना जरुरी है। पीएम मोदी को ये काम करना जरूरी है।

हर व्यक्ति को भोजन के साथ सम्मान चाहिए

लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर ने कहा कि मानवाधिकार यह सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति को भोजन के साथ सम्मान मिले। देश में संविधान के मुताबिक बिना किसी भेदभाव के समान अधिकार एवं समान अवसर उपलब्ध कराए जाएं। आज पूरे विश्व में मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। इसका प्रमुख कारण मानव अधिकारों के प्रति लोगों को अनभिज्ञ होना है। सरकार को चाहिए कि मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता अभियान चलाए।

मशाल जुलूस कार्यक्रम में मुख्यरूप से सुबास राजभर, शिया राम, ऋषि मार, लालमन, श्रीप्रकाश, गीता, ऊषा, उर्मिला, रेखा, रीना, सबिता, दिलीप, रवि, कमलेश, प्रकाश सिंह, सपना, मीरा, चंदा, सुनील, मनीष, श्यामसुन्दर,रामबचन, शिवकुमार, सोनी, सरोज, आशा, अनीता, अरविन्द, आलोक, पंचमुखी प्रेमा आदि लोग शामिल थे।

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार दिवस की 10 दिसंबर 1948 की घोषण की थी। 1950 से 10 दिसंबार को दुनिया भर में विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। मानवाधिकार एक सार्वभौमिक घोषणा पत्र है, जो मानव अधिकारों के प्रति सभी को जागरूक होने का आह्वान करता है। मानवाधिकार दिवस मनाने का मुख्य उद्देशय लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।

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