World Inequality Report 2022: सबसे अधिक असमानता वाले देशों की लिस्ट में भारत, 10 % लोगों के पास है राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी

World Inequality Report 2022: रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की शीर्ष 10 फीसदी आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी, जबकि एक फीसदी आबादी के पास 22 फीसदी है. वहीं, नीचे से 50 फीसदी आबादी की इसमें हिससेदारी मात्र 13 फीसदी है. इसके मुताबिक, भारत में औसत घरेलू संपत्ति 9,83,010 रुपये है.

Update: 2021-12-08 06:53 GMT

World Inequality Report 2022: अमीर और ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और ज्यादा गरीब होते जा रहे हैं. ऐसे में किसी देश के लिए अमीर-गरीब के बीच की ये खाई किसी भी मायने में अच्छी नहीं है. अब World Inequality Report 2022 की रिपोर्ट को देखें तो भारत एक गरीब और भयानक असमानता वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में राष्ट्रीय आय का 22 फीसदी हिस्सा एक फीसदी लोगों के पास है जबकि निचले तबके के पास 13 फीसदी है.

दुनिया के सर्वाधिक असमानता वाले देशों की लिस्ट में भारत

"विश्व असमानता रिपोर्ट 2022" (World Inequality Report 2022) शीर्षक वाली रिपोर्ट के लेखक लुकास चांसल हैं जोक 'वर्ल्ड इनइक्यूलैटी लैब' के सह-निदेशक हैं. इस रिपोर्ट को तैयार करने में फ्रांस के अर्थशास्त्री थॉमस पिकेट्टी समेत कई विशेषज्ञों ने सहयोग दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब दुनिया के सर्वाधिक असमानता वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है.

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की वयस्क आबादी की औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपये है जबकि निचले तबके की आबादी (50 प्रतिशत) की आय 53,610 रुपये है और शीर्ष 10 फीसदी आबादी की आय इससे करीब 20 गुना (11,66,520 रुपये) अधिक है.

1 परसेंट लोगों के पास देश की कुल आय का 22 फीसदी हिस्सा

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की शीर्ष 10 फीसदी आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी, जबकि एक फीसदी आबादी के पास 22 फीसदी है. वहीं, नीचे से 50 फीसदी आबादी की इसमें हिससेदारी मात्र 13 फीसदी है. इसके मुताबिक, भारत में औसत घरेलू संपत्ति 9,83,010 रुपये है.

इसमें कहा गया है कि भारत एक गरीब और काफी असमानता वाला देश है जहां कुलीन वर्ग के लोग भरे पड़े हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में लैंगिक असमानता बहुत अधिक है. इसमें कहा गया है कि महिला श्रमिक की आय की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है. यह एशिया के औसत (21 प्रतिशत, चीन को छोड़ कर) से कम है.

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