योगी सरकार बताये क्यों उजाड़ा गया अकबरनगर, बुल्डोजर चलाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की उठी मांग

सरकार और प्रशासन के लोग लिखित रूप से यह स्वीकार रहे हैं कि सिर्फ 35 मीटर रिवर बेड में ही कुकरैल रिवर फ्रंट का निर्माण किया जाना है और फ्लड प्लेन एरिया जो 50 मीटर है, उसका न तो कोई प्रस्ताव है और न ही कोई आवश्यकता है। तब प्रशासन ने अकबरनगर में नदी से 500 मीटर दूर तक के क्षेत्र को बुलडोजर लगाकर तहस-नहस करने का काम क्यों किया...

Update: 2024-07-18 06:12 GMT

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लखनऊ। पंतनगर, अबरार नगर, खुर्रमनगर, रहीम नगर, इंद्रप्रस्थ कॉलोनी और स्कॉर्पियो क्लब की बेदखली के आदेश को सरकार से वापस कराने के बाद लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में योगी सरकार से सवाल किया है कि उसे प्रदेश की जनता और लखनऊ के नागरिकों को बताना चाहिए कि उसने अकबरनगर को क्यों बुलडोज किया?

समिति ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में कहा है कि जब सरकार और प्रशासन के लोग लिखित रूप से यह स्वीकार रहे हैं कि सिर्फ 35 मीटर रिवर बेड में ही कुकरैल रिवर फ्रंट का निर्माण किया जाना है और फ्लड प्लेन एरिया जो 50 मीटर है, उसका न तो कोई प्रस्ताव है और न ही कोई आवश्यकता है। तब प्रशासन ने अकबरनगर में नदी से 500 मीटर दूर तक के क्षेत्र को बुलडोजर लगाकर तहस-नहस करने का काम क्यों किया है?

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प्रस्ताव में कहा गया कि सरकार के बुलडोजर राज के कारण आज हालात यह हैं कि अकबरनगर के लोग अपने घर, मकान, रोजगार से वंचित हो गए, अभी भी सैकड़ों लोग आवास पाने के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं और बसंतकुंज में जो आवास उन्हें आवंटित भी किया गया है उसका पैसा मांगा जा रहा है। यही नहीं वहां सरकारी शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है।

लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति ने सरकार से मांग की है कि उसे तत्काल प्रभाव से अकबरनगर को बुलडोजर करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, उजाड़े गए परिवारों को मुआवजे के साथ अकबरनगर में पुन: स्थापित करना चाहिए और लोगों के सम्मानजनक जीवन के लिए रोजगार व बुनियादी नागरिक सुविधाओं का इंतजाम करना चाहिए। साथ ही बसंत कुंज आवासीय योजना में जो आवास दिए गए हैं, उन्हें फ्री करना चाहिए।

भाकपा (माले) ने भी अकबरनगर के उजड़े परिवारों को इंसाफ दिये जाने की मांग की है। पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बुधवार 17 जुलाई को जारी बयान में कहा कि प्रदेश की राजधानी के रहीमनगर, खुर्रमनगर, पंतनगर, इंद्रप्रस्थनगर व अबरारनगर पर बुल्डोजर चलाने की तैयारी को जहां इन क्षेत्रों के नागरिकों के एकजुट संघर्षों ने पीछे धकेला है, वहीं लोकसभा से लेकर हालिया विधानसभा उपचुनावों में मिली भाजपा को शिकस्त ने भी नेतृत्व व सरकार को पुनर्विचार के लिए बाध्य किया है। जनता के इन संघर्षों ने स्पष्ट संदेश दिया है कि पुराने तौर-तरीकों से सरकार नहीं चलेगी। सौंदर्यीकरण के नाम पर गरीबों के आशियाने नहीं टूटेंगे। जनता के जीवन व आजीविका की सुरक्षा करना सरकार का कर्तव्य है।

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माले नेता ने कहा कि पूर्व में बेतहाशा बुल्डोजर अभियान चलाकर जमींदोज किये गए लखनऊ के अकबरनगर के 1300 परिवारों के साथ जो नाइंसाफी हुई है, सरकार को जवाबदेही लेकर उसकी भरपाई करनी चाहिए। उनके ध्वस्त किये गए मकान, भूमि व आजीविका का मुआवजा देना चाहिए। सभी विस्थापितों का निःशुल्क व उचित पुनर्वास हो। साथ ही, वसंतकुंज (दुबग्गा) में आवंटित पीएम आवास में रह रहे विस्थापित परिवारों से लिये जा रहे किस्त को भी माफ करना चाहिए।

राज्य सचिव ने कहा कि बुल्डोजर का पहिया फिलहाल लखनऊ में कुकरैल किनारे रुका है, प्रदेश में इसे रोकने के लिए संघर्ष जारी रहेगा। माले बुल्डोजर राज का शुरु से विरोध करती आ रही है और लखनऊ वासियों के संघर्षों में भी शामिल रही है।

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