भोपाल पहुंची PSC चयनित अभ्यर्थियों की 'संविधान रक्षा यात्रा', 251 अभ्यर्थियों ने करवाया मुंडन, भीख मांगकर किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
महू से चलकर भोपाल पहुंची संविधान रक्षा यात्रा, लोकसेवा आयोग ने 27,000 सहायक प्राध्यापकों को किया चयनित लेकिन किसी को नहीं मिली नियुक्ति, संविधान रक्षा यात्रा के दौरान 251 चयनित अभ्यर्थियों ने कराया मुंडन..भीख मांगकर किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन...
भोपाल से रोहित शिवहरे की रिपोर्ट
जनज्वार। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग चयनित सहायक प्राध्यापक संघ की 'संविधान रक्षा यात्रा' 24 नवम्बर 2019 को महू से शुरु होकर आज 4 दिसंबर को राजधानी भोपाल पहुंची। इस संविधान रक्षा यात्रा के दौरान 251 चयनित अभ्यर्थियों ने मुंडन करवा कर और अन्य अभ्यर्थियों ने हाथ में कटोरा लेकर भीख मांगकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापक संघ ने कहा कि पहले भी कई बार शासन-प्रशासन को पीएससी से चयन होने के बाद शीघ्र नियुक्ति के लिए नींद से जगाने का प्रयास किया गया। हम सभी विधायकों और मंत्रियों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। 12 नवम्बर को मुख्यमंत्री ने स्वयं प्रतिनिधिमंडल को नियुक्ति देने का ठोस आश्वाशन दिया लेकिन आज तक नियुक्ति नहीं होना शासन- प्रशासन की उदासीनता है।
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पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. प्रकाश खातरकर ने कहा, 'सभी चयनितों में भारी रोष है क्योंकि विगत 15 माह से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। फिर भी मात्र तारीख पर तारीख ही मिल रही हैं। ऐसा लगता है जैसे पीएससी परीक्षा पास करके हमने कोई गुनाह कर लिया। नेट, सेट, पीएचडी करके भी हमको सरकार बेरोजगारी की हालत में तड़पा रही है और सड़कों पर आने के लिए मजबूर कर रही है। हम सभी संवैधानिक पद सहायक प्राध्यापक पर संवैधानिक संस्था पीएससी द्वारा चुने गए हैं।
डॉ. प्रकाश खातरकर ने आगे कहा, 'हम सामूहिक रूप से मर्यादा में रहकर संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहब आंबेडकर के जन्मस्थान महू से पीएससी की परीक्षा देकर चयन का प्रायश्चित कर रहे हैं। संवैधानिक अधिकार और संवैधानिक संस्था पीएससी की रक्षा के लिए भारतीय संविधान की प्रतियां मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और महामहिम राज्यपाल को भेंट करेंगे। रविवार 24 नवम्बर 2019 से महू से राऊ, इंदौर, देवास, सोनकच्छ, आष्टा, सीहोर होते हुए भोपाल तक भारतीय तिरंगा लेकर पैदल संविधान रक्षा यात्रा लेकर आए हैं।
उन्होंने बताया कि महू से 'संविधान रक्षा यात्रा' शुरु होने के बाद से अबतक 251 चयनित साथियो ने मुंडन करवाकर विरोध जताया है और हाथ में कटोरा लेकर भीख मांगते हुए रास्ते भर भोजन का प्रबंध किया। भोपाल पहुंचकर संविधान की प्रतियां मुख्यमंत्री और राज्यपाल को भेंट करेंगे और शीघ्र नियुक्ति के लिए सामूहिक भूख हड़ताल की जाएगी।'
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आज मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग चयनित सहायक प्राध्यापक संघ के 32 चयनित अभ्यर्थी 3 दिसंबर को सामूहिक रूप से भूख हड़ताल पर बैठे। मंगलवार 3 दिसंबर को संगठन के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश खातरकर ने समस्त जिलों एवं संभागों से आए हुए चयनित अभ्यर्थियों को भोपाल गैस त्रासदी के विषय में संक्षेप में जानकारी दी और सभी चयनित अभ्यर्थियों ने 2 मिनट का मौन धारण कर और शाम को कैंडल जलाकर मृतकों श्रद्धांजलि अर्पित की।
संगठन के विधि सलाहकार डॉ पुष्पेंद्र सिंह ने कहा, 'उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी के द्वारा लगातार मीडिया के सामने कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के द्वारा दिए गए आदेश जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति होने पर अतिथि शिक्षकों को हटा दिया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट के कई पूर्व निर्णयों में यह स्पष्ट कर दिया गया है। राज्य सरकार किसी भी स्थिति मे फर्स्ट क्लास, सेकंड क्लास नौकरी बिना परीक्षा पास किए किसी भी व्यक्ति को नहीं दे सकती है। जीतू पटवारी संवैधानिक पद पर होते हुए खुलेआम मीडिया के सामने कह रहे हैं जो यह न्यायालय की अवमानना है।'
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एक महिला आंदोलनकारी ने कहा, 'ये हमारे लिए बहुत ही दुखद है कि हमें अपने अधिकारों के लिए यहां पर आकर धरने पर बैठना पड़ रहा है। हम मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा चयनित सहायक प्राध्यापक हैं। ये भर्ती परीक्षा लगभग 27 सालों के बाद निकली और लगभग 3000 पदों के लिए ये परीक्षा निकली जिसमें सभी तीन हजार लोगों का चयन हुआ। 2700 लोगों की नियुक्त के लिए हम आंदोलन कर रहे हैं। इस परीक्षा का विज्ञापन 2017 में निकला था, उसके बाद जून 2018 में इसकी परीक्षा हुई थी। अगस्त 2018 में हमारे रिजल्ट आ गए थे और सितंबर 2018 में हमारा वेरिफिकेशन हो चुका है। बहुत सारे लोग तो स्थायी नौकरी में थे, उनसे एनओसी भी ले ली गई।
महिला आंदोलनकारी ने आगे बताया, 'इस परीक्षा में चयन होने के करीब पंद्रह महीने बाद भी वह अपनी नौकरी छोड़कर नई नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। हमें इतने महीनों से सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। हम किसी भी राजनेता के पास जाते हैं, शिक्षा मंत्री के पास जाते हैं, मुख्यमंत्री के पास जाते हैं तो सिर्फ आश्वासन मिलते हैं। सिर्फ हमसे यह कहा जाता है कि आपकी नियुक्ति पंद्रह बीस दिन में हो जाएगी। फिर पंद्रह दिन बाद हमें नई तारीख मिलती है। तो हम आखिर कब तक इंतजार करेंगे। इसीलिए हमने इन प्रताड़नाओं से त्रस्त होकर आंदोलन किया है।'