सरकार कहती है जल्दी ही नियुक्त किया जायेगा स्टाफ, लेकिन मौजूदा हालातों को देखकर लगता है सिर्फ लॉलीपॉप दिखाती है सरकार जनता को...
देवरिया से सत्येंद्र यादव की रिपोर्ट
गोरखपुर में एम्स बन रहा है। देवरिया जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने का ऐलान हुआ है। हालांकि ये मेडिकल कॉलेज देवरिया जिले के सलेमपुर लोकसभा, बलिया और घोसी लोकसभा क्षेत्र के लिए मिला है, लेकिन बताया जा रहा है कि ये देवरिया में बनेगा। जहां भी बने जल्द बने तो अच्छा है। हो सकता है कि 10 साल में गोरखपुर में एम्स और देवरिया में मेडिकल कॉलेज की इमारत बन कर तैयार हो जाए।
इलाज कब से शुरू होगा पता नहीं। ये आशंका इसलिए कि देवरिया जिले के लार ब्लॉक में एक प्रसूति विंग पिछले 2 साल से डॉक्टरों का इंतजार कर रहा है। 30 बेड का ये प्रसूति विंग अखिलेश यादव सरकार में बनकर तैयार हो गया था, लेकिन अभी तक चालू नहीं हुआ। स्टाफ का इंतजार करता ये अस्पताल सवाल पूछ रहा है कि आखिर कब तक स्टाफ आएगा?
जिन महिलाओं की सुविधा के लिए ये बिल्डिंग बनाई गई उन्हें इसका लाभ कब से मिलेगा? 6 महीने पहले जन सूचना अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में सरकार ने इस बारे में जवाब दिया कि जल्द ही यहां पर स्टाफ उपलब्ध करा दिया जाएगा। स्थानीय लोगों को लगा कि अब ये अस्पताल चालू हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
दिन, हफ्ते और महीनों बीत गए लेकिन लार ब्लॉक का प्रसूति विंग चालू नहीं हुआ। हां, इसे लार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को हैंडओवर जरूर कर दिया गया। हैंडओवर होने के बाद फिर ग्रामीणों में एक उम्मीद जगी, लेकिन आज भी प्रसूति विंग डॉक्टरों का इंतजार कर रहा है।
करीब डेढ़ महीने पहले इन पंक्तियों के लेखक ने भी जन सूचना अधिकार के तहत इस मामले में जवाब मांगा। सवाल के जवाब में सरकार की तरफ से जो भी जवाब आया उसमें कुछ नया नहीं है। कहा गया कि प्रसूति विंग हैंडओवर कर दिया गया है और जल्द ही स्टॉफ की व्यवस्था होने पर चालू हो जाएगा। वो वक्त कब आएगा लॉर ब्लॉक की महिलाएं इंतजार कर रही हैं।
गौरतलब है कि लार ब्लॉक में जब भी किसी महिला को डिलिवरी करानी होती है तो उसे 40 किमी दूर देवरिया जिला अस्पताल जाना होता है। न तो लार में और न ही सलेमपुर तहसील में प्रसूति केंद्र है। यही नहीं अगर किसी गर्भवती महिला के लिए ऐसे समय में एंबुलेंस को बुलाया जाता है तो उसे आने में भी घंटों लग जाते हैं या नहीं भी पहुंचती है।
स्थानीय एंबुलेंस सेवा सिर्फ लार के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक ही सुविधा देती है, फिर वहां से डॉक्टर के कहने पर दूसरी एंबुलेंस उन्हें देवरिया ले जाती है। ये प्रक्रिया इतनी जटिल होती है कि आम नागरिक परेशान हो जाता है और महिलाओं की स्थिति काफी खराब हो जाती है।
अगर गर्भवती महिला के लिए प्राइवेट एंबुलेंस देवरिया तक की जाती है तो उसे करीब 2 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं । गरीब परिवार की महिलाओं के लिए ये काफी महंगा पड़ता है। हालांकि लार और सलेमपुर में भी डिलिवरी कराई जाती है, लेकिन ये काफी रिस्की होता है।
जन सूचना अधिकार के जरिए इस मामले को स्वास्थ्य महानिदेशक तक पहुंचाया गया है। सरकार की ओर से जवाब आने के बाद उसे हेल्थ मिनिस्टर को ट्वीट कर दिया है। उम्मीद कीजिए कि जल्द लार का प्रसूति विंग चालू हो जाए। हालांकि सरकार के रवैये को देखते हुए लगता है कि इसे चालू होने में अभी और वक्त लगेगा। हो सकता है किसी चुनाव के वक्त जनभावनाओं को भुना वोट हासिल करने के लिए इसे चालू किया जाए।