96% प्रवासी मजदूरों को नहीं मिला सरकार से राशन, 90% को नहीं मिली लॉकडाउन के दौरान मजदूरी: सर्वे

Update: 2020-04-27 10:06 GMT

यह सर्वे विभिन्न राज्यों में 11,159 प्रवासी मजदूरों के बीच किया गया था. यह सर्वे सरकार के कई दावों पर सवाल उठाता है....

नई दिल्ली: प्रवासी मजदूरों के बीच किए गए एक सर्वे ने सरकार के कई दावों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. यह सर्व विभिन्न राज्यों में 11,159 प्रवासी मजदूरों के बीच किया गया था.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक 8 अप्रैल से 13 अप्रैल के बीच 96% मजदूरों को सरकार की तरफ से राशन नहीं मिला था. 90% के करीब मजूदरों को उनके मालिकों ने वेतन नहीं था. इस सर्वे में यह भी निकल कर आया कि 27 मार्च से 13 अप्रैल के बीच करीब मजदूरों के पास 200 रुपये से भी कम बचे थे. यह सर्वे स्ट्रेंडेड वर्कर एक्शन नेटवर्क (SWAN) की तरफ से करवाया गया था.

13 अप्रैल तक स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क (स्वान) के 73 स्वयंसेवकों के समूह से फंसे हुए श्रमिकों के 640 समूहों ने संपर्क किया गया था, जिनकी देशभर में संख्या 11,159 थी. उन्होंने श्रमिकों को नकद हस्तांतरण (3.8 लाख रुपये) में मदद की, उन्हें स्थानीय संगठनों से जोड़ा और सरकारी सुविधाओं की व्यवस्था की.

पनी सर्वे रिपोर्ट में स्वान ने बताया कि, एंटॉप हिल और मुंबई जैसे जगहों पर हमें 300 से अधिक प्रवासी मजदूर मिले. वे पके हुए भोजन की मांग कर रहे रहे हैं और डब्बाबंद खाना खाने के कारण बच्चों के बीमार पड़ने की कई खबरें हैं. वे बार-बार व्यर्थ में हेल्पलाइन पर कॉल करते हैं. तलोजा-पनवेल क्षेत्र में लगभग 600 प्रवासी फंसे हुए हैं, जिनमें कु​छ दिन पहले पैदा हुए नवजात, कम उम्र के बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. उन क्षेत्रों में काम करने वाले संगठनों के पास इतनी बड़ी जनसंख्या की आवश्यक जरूरतों को आवश्यकताओं को पूरा करने की कैपेसिटी. सरकार को जल्दी से जल्दी इस तरफ कदम बढ़ाने होंगे.’

स्वान ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इस विश्वव्यापी संकट के दौरान भूखें लोगों की संख्या राहत से कहीं ज्यादा है. सरकार की तरफ से राशन न मिलने वालों की संख्या 8 अप्रैल तक 99 फीसदी थी जो 13 अप्रैल को 96 फीसदी हुई है. यानी दो सप्ताह के लॉकडाउन के बाद केवल एक प्रतिशत फंसे हुए श्रमिकों को सरकार की तरफ से राशन मुहैया कराया गया, जबकि तीन सप्ताह के लॉकडाउन में उनमें से केवल 4 प्रतिशत को सरकार से राशन मिला।

क्या कहता है सर्वे- मजदूरों का राशन

-देशभर में 96% मजदूरों को सरकार से राशन नहीं मिला था.

-उत्तर प्रदेश में 100% प्रवासी मजदूरों को राशन नहीं मिला. महाराष्ट्र में 99% मजदूरों को राशन नहीं मिल सका, कर्नाटक में 93% मजदूरों को राशन नहीं मिल सका.

-देशभर में 70 प्रतिशत मजदूरों ने सर्वे में कहा कि उन्हें सरकार या स्थानीय संस्थाओं द्वारा पका हुआ खाना नहीं मिला. -उत्तर प्रदेश में 64%, कर्नाटक में 80%, महाराष्ट्र में 58%, दिल्ली और हरियाणा में 68% मजदूरों को नहीं मिल सका पका हुआ खाना.

-देशभर के 70 प्रतिशत मजदूरों ने कहा कि उनके पास सिर्फ दो दिन का राशन बचा है.

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