पहाड़ में जंगली जानवरों के हमले इंसानों पर लगातार बढ़ रहे हैं, आए दिए अखबारों में बाघ—गुलदार के हमलों की खबरें छाई रहती हैं। इन हमलों में अब तक पता नहीं कितने इंसान असमय मौत के मुंह में समा चुके हैं, जानवरों का तो कोई आंकड़ा ही नहीं है। 23 जून को उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जनपद के एक दूरदराज गांव पोखरी में 4 साल के बच्चे को गुलदार ने अपना शिकार बना लिया।
बाघ के बढ़ते हमलों, वहां की विषम परिस्थितियों, सरकारी रवैये, इलाज का अभाव, वन विभाग की लापरवाही और पहाड़ के दूरदराज के गांवों में रह रहे ग्रामीणों की मुश्किलों को लेकर उत्तराखंड में शिक्षक कंचन जोशी की महत्वपूर्ण टिप्पणी
परसों रात गाँव में सिर्फ 4 साल के बच्चे को गुलदार उठा ले गया। गाँव के सभी लोग रातभर जंगलों की खाक छानते रहे। किसी घर मे चूल्हा नहीं जला। सुबह अवशेष मिले, क्षत विक्षत शव।
11 ग्रामसभाओं पर एक राजकीय चिकित्सालय, जहां एक डेंटिस्ट है बस। कितने गुलदार इलाके में सक्रिय हैं, मेरे ख्याल से वन विभाग के पास कोई जानकारी नहीं थी। पोस्टमार्टम के लिए 100 किलोमीटर दूर पिथौरागढ़ से चिकित्सक बुलाने पड़े।
ये कोई पहली घटना गुलदार के हमले की नहीं है। हमारे पालतू जानवरों और मवेशियों पर तो आए दिन गुलदार हमला करता ही है। हर दो साल में इंसानों पर हमले की भी कोई न कोई घटना हो ही जाती है।
पलायन से जूझते गांवों में आबादी के सिकुड़ने से गुलदारों के हमले के मौके बढ़ गए हैं। खेतों में उगे लैंटाना के जंगल गुलदार के आसान आरामगाह बन गये हैं। ये परेशानियां एक दिन की नहीं है और न ही इन्हें गाँव विशेष के लोगों की कार्यशैली की समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए।
मैं वन्य जीवों से बहुत प्रेम करता हूँ, पर अपने बच्चों से ज्यादा नहीं। यदि सरकार गुलदारों की सक्रियता और प्रजनन के सही आंकड़े नहीं जुटा सकती, अस्पताल और सुरक्षा नहीं दे सकती तो फिर गांववाले अपने स्तर पर सुरक्षा और प्रतिरोध करने पर मजबूर होंगे ही।
और अगर वो अपने स्तर से ही सुरक्षा और प्रतिरोध करेंगे तो उन्हें नरभक्षी गुलदार और सामान्य गुलदार में अंतर करना नहीं आता। सरकार की उदासीनता वन्य जीवन के हित में है, न कि हम जैसे दोयम दर्जे के नागरिकों के हित में। हमारी समस्याएं सिर्फ फाइलों के कागज खाती हैं।
और एक निवेदन उन मोबाइल कैमरा खबर्चियों से, जिन्हें हर फोटो को जल्दी से जल्दी अपने जानकारों तक पहुंचाना होता है- भाई कैमरा और डाटा तुम्हारा जरूर है, पर इसे कब और कैसे इस्तेमाल करना है, इसकी भी थोड़ी समझ बना लो। हर फोटो शेयर करने को नहीं होती। वीभत्सता की तस्वीरों को निरुद्देश्य, अपने दिखावे के लिए शेयर करना जागरूकता नहीं, अव्वल दर्जे की घटिया हरकत के अलावा और कुछ नहीं।