अर्धकुम्भ में योगी कैबिनेट की बैठक के हवाई फैसलों को सुर्खियां बनाता गोदी मीडिया और बजट की असलियत

Update: 2019-02-23 17:50 GMT

प्रयागराज में 29 जनवरी को हुई योगी कैबिनेट की बैठक में प्रयागराज में सौंदर्यीकरण, धार्मिक पर्यटन, पार्क निर्माण, मूर्तियां लगाने, प्रयागराज और चित्रकूट के बीच आश्रम और पार्क का सौंदर्यीकरण करने, रामायणशोध संस्थान की स्थापना करने आदि के फैसले हुए, मगर इनके लिए नहीं दिया गया अलग से कोई बजट...

जेपी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

जनज्वार। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा प्रयागराज में आयोजित अर्धकुम्भ, जिसे दिव्यकुंभ का नाम दिया गया है, में कैबिनेट बैठक करने और उसमें लिए गए फैसलों पर ढोल मजीरा जमकर बजाया गया और गोदी अख़बारों ने इन निर्णयों को सुर्खियों में छापा, लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से पेश बजट में इसके लिए धन का प्रावधान ही नहीं किया गया।

यही नहीं प्रयागराज में 29 जनवरी को हुई इस कैबिनेट बैठक में प्रयागराज में ही भारद्वाज मुनि के आश्रम का सौंदर्यीकरण, श्रृंग्वेपुर को धार्मिक पर्यटन घोषित कर उसका विकास करने, निषादराज पार्क का निर्माण, निषादराज और राम की मूर्तियां लगाने, प्रयागराज और चित्रकूट के बीच पहाड़ी नाम की जगह पर वाल्मीकि ऋषि के आश्रम और पार्क का सौंदर्यीकरण करने, रामायणशोध संस्थान की स्थापना करने आदि के फैसले हुए, लेकिन इनके लिए बजट में अलग से प्रावधान नहीं किया गया।

उत्तर प्रदेश कि भाजपा सरकार ने कुंभ को इवेंट ही नहीं बनाया, बल्कि पिछले महीने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रयागराज में कैबिनेट की बैठक की। इस बैठक के पहले और बाद में खूब प्रचार किया गया कि किस तरह पहली बार कुंभ में प्रदेश की किसी सरकार ने कैबिनेट की बैठक की और कई फैसले भी लिए।

इस कैबिनेट बैठक में कई नई परियोजनाएं शुरू करने का निर्णय लिया गया, जिनमें मेरठ से प्रयागराज तक 36 हजार करोड़ रुपये की लागत से 600 किलोमीटर लंबा गंगा एक्सप्रेस-वे बनाना भी शामिल है। लेकिन इसके कुछ दिनों बाद ही जब सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अपना बजट पेश किया तो इसके लिए पैसे का प्रावधान ही नहीं किया। यानी जिस परियोजना को कैबिनेट की बैठक के बाद खूब जोर-शोर से प्रचारित किया गया, परन्तु हकीकत में यह फिलहाल ऐलान तक ही सीमित है।

इसके साथ ही कैबिनेट ने बुंदेलखंड, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे आदि योजनाओं को भी मंजूरी दी थी। बजट में अन्य एक्सप्रेस वे के लिए राशि का प्रावधान किया गया है, लेकिन गंगा एक्सप्रेस वे इसमें शामिल नहीं है। अब कहा जा रहा है कि अनुपूरक बजट में इसके लिए धन का प्रावधान किया जायेगा।

माया काल में फेल हो चुका है गंगा एक्सप्रेस वे

गौरतलब है कि कि मायावती के नेतृत्व वाली बीएसपी सरकार ने भी गंगा एक्सप्रेस-वे के नाम से ही एक परियोजना की पहल की थी। तब उसे नोएडा से बलिया तक बनाने का फैसला लिया गया था, जबकि योगी सरकार इसे मेरठ से प्रयागराज तक बनाना चाहती है। मायावती शासन में नोएडा-बलिया गंगा एक्सप्रेस-वे बनाने का काम जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेपी ग्रुप) को दिया गया था। प्रदेश सरकार और कंपनी के करार के मुताबिक कंपनी को अपनी रकम से यह प्रोजेक्ट तैयार करना था और बदले में वह टोल वसूलती और रोड के किनारे मॉल, रेस्तरां और रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स विकसित करती।

जनवरी 2008 में मायावती के 52वें जन्मदिन पर इसका शिलान्यास किया गया था। काफी जमीनों का अधिग्रहण भी हो चुका था, जिसको लेकर किसानों का काफी विरोध प्रदर्शन भी हुआ था। केंद्र में तब यूपीए की सरकार थी। इससे परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिली जिससे काम आगे नहीं बढ़ पाया और परियोजना रद्द कर दी गयी।

विकास की गंगा बहाते रहने का दावा

इस बीच सड़क, परिवहन और राजमार्ग, पोत परिवहन, रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री मनसुख मांडविया ने दावा किया है कि कुंभ मेले के मद्देनजर प्रयागराज के विकास कार्यों पर करीब चार हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, लेकिन प्रयागराज और आसपास के जिलों में विकास की गंगा अभी रुकेगी नहीं। छहलेन पुल, इनर रिंगरोड और राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के करीब 15 हजार करोड़ रुपये के काम जल्द होंगे।

गंगा नदी पर (मलाकराज तिराहा से बेली रोड तिराहा) छहलेन पुल के लिए डिटेल्स प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार हो गई है। जल्द टेंडर प्रक्रिया पूरी कर निर्माण का काम शुरू होगा। 98 किमी. इनर रिंगरोड समेत एक बाईपास, दो फोरलेन और एक राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण की स्वीकृति भी सरकार ने दी है। इनर रिंगरोड का काम भी जल्द शुरू होगा।

इसके पहले सात फरवरी 2018 को गडकरी ने कुंभ मेले से पहले इलाहाबाद में केंद्र द्वारा स्वीकृत 5632 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का शिलान्यास किया था ।इन रुपयों से इलाहाबाद में इनर रिंग रोड के साथ, कई हाइवे और गंगा नदी पर नया पुल बनाया जाना था। गडकरी ने संगम के परेड ग्राउंड पर हुए समारोह में इन परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इनमें इनर रिंग रोड के पहले चरण का कार्य शुरू होने की घोषणा की गया थी।

इसके साथ ही फाफामऊ में गंगा नदी पर फोर लेन पुल का निर्माण, राम वन गमन मार्ग, 7 रेल ओवर ब्रिज, फोर लेन का हाईकोर्ट फ्लाई ओवर और इलाहाबाद से प्रतापगढ़ फोर लेन सड़क के निर्माण का शिलान्यास हुआ था। गंगा नदी पर फोर लेन पुल का निर्माण और इनर रिंग रोड का काम अभी तक शुरू भी नहीं हुआ है।

जलमार्ग से आवागमन नहीं हो सका

अब घोषणाओं को क्या कहा जाये 13 जून 2017 को नयी दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि 2019 के कुंभ मेले में तीर्थ यात्री वाराणसी से इलाहाबाद पहुंचने के लिए गंगा जलमार्ग का उपयोग कर पायेंगे। गडकरी ने दावा किया था कि हम इलाहाबाद से वाराणसी तक गंगा के हिस्से को जलमार्ग में तब्दील करेंगे और उसे नौवहन लायक बनायेंगे, ताकि 2019 के कुंभ मेले में पहुंचने वाले तीर्थयात्री वाराणसी और इलाहाबाद के बीच यात्रा कर सकें, लेकिन यह दावा फिलवक्त फुस्स साबित हो गया है क्योंकि गंगा में जल परिवहन के लिए पर्याप्त जल नहीं है और गाद जमने से जो नदी जल है उसमें गहरायी नहीं है।

20 दिसम्बर, 2016 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इलाहाबाद में कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया था। इसमें केपी केपी कम्युनिटी सेंटर से इलाहाबाद-प्रतापगढ़ राजमार्ग, फाफामऊ गंगा नदी पर 300 करोड़ के प्रस्तावित नए पुल, इलाहाबाद-रीवा राजमार्ग के यूपी के हिस्से और अम्बेडकर नगर वाराणसी-टांडा राष्ट्रीय राजमार्ग का लोकार्पण किया था। कहा गया था कि इलाहाबाद-प्रतापगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 96 को फोर लेन किया जाएगा। इसके लिए कुल 599।34 करोड़ लागत आएगी।

गडकरी ने कुंभ तक सारी सड़कें—पुलों का निर्माण पूरा कराने का वादा किया था। सांसदों की मांग पर इलाहाबाद में अन्य सड़कों के लिए केंद्रीय सड़क निधि से 10000 करोड़ के प्रस्ताव का एलान किया था। फूलपुर बाईपास और गंगा पर आठ लेन का पुल बनाने का भी एलान किया था। सीमेंट और कंक्रीट की बनेगी सभी सड़कें। 200 साल तक इन सड़कों पर नहीं पड़ेंगे गड्ढे।

गडकरी ने दावा किया था कि इस बार इलाहाबाद आऊंगा तो गंगा में सी प्लेन से उतरुंगा पर ऐसा हो न सका। फिलवक्त कोई भी यहाँ आकर देख सकता है कि उक्त घोषणाओं में से कितनी क्रियान्वित हुई, हो रही हैं या हवा में हैं।

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