बलात्कारियों को भगवान मानना छोड़ दो भक्तो!

Update: 2017-08-26 16:30 GMT

धूर्त साधु संतों को यह बात अभी तक समझ नहीं आई है कि यह मनुस्मृति का नहीं बल्कि भारतीय संविधान का दौर है। आज महिलाओं की इज्जत के साथ खिलवाड़ करने वालों को लीला या देवता की उपाधि नहीं मिलती, बल्कि बलात्कारी को जेल का दरवाजा दिखाया जाता है...

सूरज कुमार बौद्ध

धर्म भी अजीब चीज होती है। धर्म के ठेकेदार उससे भी अजीब होते हैं लेकिन इन सत्ताखोर ठेकेदारों को अपना रहमगर तथा फरिश्ता मान बैठे भक्तों की बात ही निराली है। भक्तों की आस्था इतनी जबरदस्त होती है कि वह बलात्कारियों को भी अपना भगवान समझ बैठते हैं और उनके इस बलात्कारी साधु संतों पर जो कोई व्यक्ति, संस्था या अदालत सवाल उठाता है वह उन्हें तहस-नहस करने पर उतारू हो जाते हैं।

ताजा उदाहरण है गुरमीत राम रहीम सिंह।

समर्थकों का देश के आंतरिक सुरक्षा पर हमला
डेरा सच्चा सौदा समिति के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को पंचकूला की सीबीआई अदालत द्वारा बलात्कारी करार दिए जाने पर उनके समर्थकों द्वारा पंजाब हरियाणा तथा चंडीगढ़ सहित अन्य प्रदेशों में आतंक का माहौल तैयार किया जाना देश के आंतरिक सुरक्षा पर पूरी साजिश के साथ किया गया हमला है।

पंजाब-हरियाणा-दिल्ली में डेरा समर्थकों की हिंसा, 30 की मौत, 400 से अधिक घायल, अनेक ट्रेन-बसों में आग, सच्चाई को दिखा रहे पत्रकारों पर जानलेवा हमला, हरियाणा में हजारों प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। देश के जितनी संपत्ति का नुकसान मुंबई बम विस्फोट में नहीं हुआ था उससे अधिक संपत्ति का नुकसान बलात्कारी बाबा के समर्थकों ने पहुंचाया है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह, मनोहर लाल खट्टर तथा राजनाथ सिंह की भूमिका निराशाजनक
क्या इंटेलिजेंस ब्यूरो एवं अन्य खुफिया टीम ने पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ जैसे राज्यों के सरकारों को गुरमीत राम रहीम सिंह के समर्थकों द्वारा आतंक फैलाए जाने की अंदेशा नहीं जताई थी? हजारों करोड़ों की संपत्ति का नुकसान, 30 से अधिक मौत तथा सैकड़ों घायल मासूमों पर शांति व्यवस्था का राग अलापने वाले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अरमिंदर सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर तथा केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह जी किस गहरी नींद में सो रहे थे? क्या इतने बड़े हिंसक घटना समय रहते न रोक पाने के लिए इन केंद्र तथा राज्य सरकारों को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए?

पीड़ित साध्वी तथा पत्रकार के जज्बे को सलाम
सलाम है महिला शक्ति की प्रेरणा बनी उस साध्वी को जो कि इस तरह के आतंकी समर्थकों के पोंगा पंडित ढोंगी गुरमीत राम रहीम से डरी नहीं। 15 साल तक इंसाफ के लिए लड़ती रही। गुरमीत राम रहीम द्वारा साध्वी के साथ दुष्कर्म किए जाने के संदर्भ में साध्वी ने 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट सहित अनेक जगह यह गोपनीय चिट्ठी भेजी हुई थी।

लेकिन असली मामला तूल पकड़ता है जब 'पूरा सच' नाम से अखबार निकालने वाले निर्भीक पत्रकार राम चन्देर छत्रपति ने साध्वी के उस गोपनीय चिट्ठी को अपने अखबार में प्रकाशित किया था। इस खत के प्रकाशन के कुछ ही दिनों बाद 24 अक्टूबर 2002 में चंदेल छत्रपति जी पर जानलेवा हमला किया गया। वह बच न सके। आगे चलकर उनकी मौत हो गई। पत्रकार के परिवार वालों ने हत्या का दोषी गुरमीत राम रहीम को ठहराया।

यह मनुस्मृति का नहीं भारतीय संविधान का दौर है
मगर सबसे अफसोस की बात यह है कि आखिर नाबालिक बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोपी आसाराम के बाद गुरमीत राम रहीम द्वारा बलात्कार किए जाने पर भी भक्तों की आंख क्यों नहीं खुली? दरअसल महिलाओं में भक्ति भाव तथा पाखंड ज्यादा ही समाया होता है। इसी का फायदा ढोंगी साधु संत उठाते हैं। यह धर्म के ठेकेदार लोग आज भी महिलाओं को भोग और तिरस्कार की सामग्री समझ बैठे हुए हैं।

इन धूर्त साधु संतों को यह बात अभी तक समझ नहीं आई है कि यह मनुस्मृति का नहीं बल्कि भारतीय संविधान का दौर है। आज महिलाओं की इज्जत के साथ खिलवाड़ करने वालों को लीला या देवता की उपाधि नहीं मिलती, बल्कि बलात्कारी को जेल का दरवाजा दिखाया जाता है। मगर अफसोस की अपने धर्मसत्ता का दोष दिखाकर आज भी धार्मिक ठेकेदार लोग महिलाओं की इज्जत के साथ धर्म की आड़ में खिलवाड़ करते रहते हैं।

(इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एलएलएम कर रहे सूरज कुमार बौद्ध भारतीय मूलनिवासी संगठन के राष्ट्रीय महासचिव हैं।)

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