बढ़ते तापमान में और धधकेंगे पहाड़, हाईकोर्ट के आदेशों से अफसर हलकान

Update: 2018-05-28 16:41 GMT

नैनीताल वन प्रभाग में अब तक 40 आग की घटनाओं में 56 हैक्टेयर वनों में लग चुकी है आग, मिश्रित वन भी हैं खतरे में

नैनीताल, जनज्वार। इन दिनों जहां लगातार तापमान बढ़ रहा है, वहीं शीतकालीन वर्षा व बर्फवारी कम होने के कारण पहाड़ के वनों में आग लगने की पूरी आशंका बन चुकी है। कई स्थानों में वनों में लगातार आग की घटनाएं हो भी रही हैं।

नैनीताल सहित पर्वतीय क्षेत्रों के चीड़ वनों में नमी भी समाप्त हो रही है। वन विभाग को फिलहाल वनों में नमी के लिए अच्छी बरसात की जरूरत है। नैनीताल वन प्रभाग में अब तक 40 आग की घटनाओं में 56 हैक्टेयर वनों में आग लग चुकी है।

बीते दिनों वर्षा होने के बाद नैनीताल में कम नुकसान हुआ है। अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में व्यापक नुकसान हुआ है। अभी तक नैनीताल वन प्रभाग के अधिकारियों ने राहत ही ली है। डीएफओ टीआर बीजू लाल के अनुसार नैनीताल वन प्रभाग में अब तक 40 आग की घटनाओं में 56 हैक्टेयर वनों में आग लग चुकी है।

वर्षा नहीं होने से चीड़ जंगलों में नमी की कमी होने लगी है। फिलहाल वन प्रभाग में आग की अभी तक अधिक घटनाएं नहीं हुई है। इसके अलावा वनों को आग से बचाने के लिए कार्य कराया जा रहा है। इसके साथ ही जागरूकता अभियान चलाने, कन्ट्रोल रूम भी स्थापित करने व अतिरिक्त कर्मी तैनात किये गये हैं।

गौरतलब है कि 2016 में पर्वतीय क्षेत्र के 4470 हैक्टेयर वनों में भीषण आग से भारी नुकसान हो गया था। 2017 में समय-समय पर वर्षा होने के कारण आग की घटनाएं कम हुई हैं। इस बार भी समय-समय पर हो रही वर्षा के कारण वन अफसरों को इन्द्रदेव से राहत मिल रही थी, लेकिन इन दिनों लगातार तापमान बढ़ने से फिर आ धधकने की आशंका बन रही है।

यदि वर्षा नहीं हुई तो 2016 की पुनरावृत्ति होने की आशंका बनी हुई है। इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट का खौफ भी बना हुआ है। वर्ष 2016 में उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों में भीषण आग का मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट में पहुंच गया था। इस मामले हाईकोर्ट ने गम्भीर रुख आख्तियार कर लिया था। इसके साथ ही कड़े निर्देश भी जारी कर दिये।

कोर्ट ने जहां शासन को एसडीआरएफ, एनडीआरएफ फोर्स तैनात करने के निर्देश दिये थे, वहीं 24 घंटे में आग नहीं बुझने पर डीएफओ, 48 घंटे में वन संरक्षक व 72 घंटे जंगल की आग नहीं बुझने पर प्रमुख वन संरक्षक को सस्पेंड करने तक के कड़े आदेश जारी किये थे, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सस्पेंड मामले पर स्टे दिया था। लेकिन अफसरों को अन्य आग को रोकने संबंधित आदेशों का पालन करने को लेकर इस बार भी डर बना हुआ है।

पहाड़ों में मिश्रित वनों को भी खतरा
पहाड़ों के चीड़ जंगलों में गर्मियों में आग लगना आम बात है। लेकिन सूखे व सरकारी मशीनरी की उदासीनता के कारण यह आग भीषण रूप रख लेती है। जंगलों में नमी नहीं होने के कारण आग और अधिक भयानक होती है। पहाड़ों में चीड़ के जंगलों में भारी पतझड़ होने के बाद आग की घटनायें शुरू होती है। मार्च माह से शुरू होने पतझड़ तक वन विभाग को पूरी तैयारी करनी पड़ती है। वनों की आग चीड़ जंगलों को भारी नुकसान पहुंचाती है, वहीं अब बांज वनों में चीड़ के अतिक्रमण से मिश्रित वनों को भी खतरा पैदा हो गया है।

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