बंद के दौरान पुरुष पुलिसकर्मी जबरन घुसे गर्ल्स हॉस्टल में, छात्राओं से की छेड़खानी और मारपीट, दर्जनभर को आई गंभीर चोटें

Update: 2018-04-03 10:37 GMT

घायल छात्राओं ने कहा पुरुष पुलिस ने जबरन हॉस्टल के कमरों में घुस की हमसे छेड़खानी और बदतमीजी, लगाया झूठा आरोप कि हमने हॉस्टल में छिपाया है आंदोलनकारी लड़कों को

रांची से विशद कुमार की रिपोर्ट

रांची, जनज्वार। एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दलितों ने भारत बंद आयोजित किया। कल 2 अप्रैल के भारत बंद का झारखंड में भी व्यापक असर देखा गया।

झारखंड में आजसू पार्टी को छोड़कर बंद का सभी राजनीतिक पार्टियों का समर्थन प्राप्त था। राजधानी रांची में सुबह से ही बंद का व्यापक असर रहा। बंद के दौरान रांची जिले में 763 लोगों को हिरासत में लिया गया। 10—11 बजते-बजते बंद समर्थकों और पुलिस के बीच संघर्ष की खबरें परवान चढ़ने लगीं।

पूरी राजधानी पुलिस फोर्स से भरा था। खासकर पुलिस ने जेल मोड़ से करमटोली जाने का रास्ता पूरी तरह बंद कर रखा था। जेल मोड़ से थोड़ी ही दूरी पर स्थित आदिवासी हॉस्टल के बाहर सड़क पर टूटे शीशे के टुकड़े व बिखरे ईंट के टुकड़े इस बात की गवाह दे रहे थे कि बंद समर्थकों और पुलिस के बीच काफी तीखा संघर्ष हुआ है।

हॉस्टल के अंदर पुलिस पत्रकारों को भी प्रवेश नहीं करने दे रही थी। थोड़ी देर बाद पूर्व शिक्षा मंत्री व कांग्रेस नेता गीताश्री उरांव हॉस्टल पहुंचीं। उन्होंने छात्रों की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए पूछा यह सब किसके आदेश से हो रहा है।

एसडीओ अंजलि यादव के आदेश से पुलिस एक्शन में थी। छात्राओं को बस में भर लिया गया था। कुछ छात्राओं को पुलिस जबरन गाड़ी के अंदर डाल रही थी, तो कुछ छात्राएं मुस्कुराते हुए खुद गाड़ी में बैठ गयी थीं। गीताश्री उरांव भी छात्रों के साथ गाड़ी में बैठ गयीं। पुलिस की गाड़ी खेलगांव के लिए निकली। छात्रों की गिरफ्तारी के कुछ देर के बाद ही बंद रास्ते आम लोगों के लिए खोल दिया गया।

आदिवासी हॉस्टल में हुई झड़प से कुछ छात्राओं के सिर फटे, तो किसी के हाथ में चोट आयी। छात्राओं ने आरोप लगाया कि पुलिस लड़कियों के कमरे में घुस गयी और उनके साथ मारपीट की। कई छात्राओं ने पुलिस पर बदसलूकी का आरोप लगाया है। दूसरी तरफ पुलिसवालों ने सफाई में कहा कि लड़कियों को कमरे में लड़के छिपे थे और उन्होंने हम पर पत्थरबाजी की, जबकि छात्राओं ने कहा उन्होंने किसी लड़के को नहीं छिपाया था।

संभव है कि इस पूरी घटना पर पुलिस आधिकारिक तौर पर अपना पक्ष रखे लेकिन कई लड़कियों ने गंभीर आरोप लगाये हैं जिनमें छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार के गंभीर मामले हैं। रिम्स में पूनम, मिली और अंजू का इलाज हो रहा था। मिली के सिर में गंभीर चोट आयी है, डॉक्टर ने सिटी स्कैन के लिए कहा है। पूनम आंख में गंभीर चोट आते-आते बची है। उसकी आंख बच गयी लेकिन पलक पर चोट आयी है। अंजू के हाथ में चोट लगी है वह हाथ भी ऊपर नहीं उठा पा रही है।

रांची शहर में कुछ जगहों पर बंद का असर कम देखा गया। वैसे तो रांची की मुख्य सड़क पर रोज की तरह आवाजाही देखी जा रही थी। बातचीत में कुछ फुटपाथ दुकानदार और ऑटो वालों ने बताया कि आज बंद का पूरा असर रहा है, जिसका असर उनकी कमाई पर पड़ा है।

कई फुटपाथ दुकानदारों की बोहनी तक नहीं हुई, तो ऑटो वाले झक मारते रह गए। एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर जिन लोगों ने भी विरोध-प्रदर्शन निकाला, पुलिस उन्हें पकड़ कर अस्थायी जेल ले गयी। लड़कों को मोरहाबादी के बाद फुटबॉल स्टेडियम में रखा गया तो लड़कियों को खेलगांव भेजा गया।

प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने पर कई लोगों ने कहा कि हम सभी लोगों ने मिलकर प्रदर्शन किया है। हमलोगों के साथ पूरा विपक्ष है। सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की है वह सिर्फ छलावा है। हमारी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। हम शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने के लिए गये थे हमें रोक लिया गया।

बंद समर्थकों के साथ आने के लिए दो पूर्व शिक्षा मंत्रियों को भी हिरासत में लिया गया। पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की और गीताश्री उरांव छात्रों के साथ खेलगांव के अस्थायी जेल में रखे गए। जेवीएम नेता बंधु तिर्की ने कहा, 'पुलिस की बर्बर कार्रवाई की निंदा की जानी चाहिए। पुलिस ने छात्रों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है। यहां कई छात्राएं घायल हैं उनके इलाज की भी इजाजत नहीं दी जा रही है। इस पूरे मामले में जो भी पुलिस वाले दोषी हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए। हम उनके लिए कड़ी कार्रवाई की मांग करते हैं।'

गीताश्री उरांव कहती हैं, 'हमारी पार्टी एससी-एसटी एक्ट के संशोधन के खिलाफ है। देशभर में केंद्र सरकार ने जो माहौल बना दिया है हम उसका विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने एससी-एसटी को यह अधिकार दिया था। विरोध कर रहे लोगों को साथ पुलिस ने गलत व्यवहार किया। छात्रावास में आंसू गैस के गोले छोड़े गये। अगर शांतिपूर्ण तरीके से भी लोग विरोध नहीं कर सकते तो इस लोकतंत्र का क्या होगा

पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा लोकतंत्र की हत्या हो रही है। छात्राओं के साथ गलत व्यवहार किया गया है। महिला हॉस्टल में पुरुष पुलिसकर्मी गये यह गलत है। हमारे साथ यहां 80-85 लड़कियां हैं, दर्जनभर लड़किया घायल है। उनके इलाज के लिए कोई काम नहीं हो रहा है। हमें लोकतंत्र में अपनी बात रखने की इजाजत है।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC/ST) अधिनियम की रक्षा के लिए दलित और आदिवासी संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद के दौरान झारखंड में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। राजधानी रांची रणक्षेत्र में तब्दील हो गयी। पुलिस पर पथराव किया गया, तो जमशेदपुर में ट्रक को फूंक दिया गया। रांची वीमेंस कॉलेज के साइंस ब्लॉक के पास का नजारा किसी रणक्षेत्र से कम नहीं था। यहां पुलिस और छात्र-छात्राओं के बीच जमकर हंगामा हुआ।

झारखंड के अलग-अलग जिलों में बंद समर्थकों ने ट्रेनों का परिचालन ठप कर दिया। रांची में पुलिस और बंद समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई। वीमेंस कॉलेज बंद समर्थकों ने पुलिस पर ईंट-पत्थरों से हमला कर दिया, तो पुलिस ने उन पर लाठियां बरसायीं और आंसू गैस के गोले छोड़े। पुलिस की कार्रवाई में कई छात्रों के घायल होने की खबर है। झड़प में सिटी एसपी और डीएसपी समेत कम से कम 10 पुलिसकर्मी भी घायल हो गये। हटिया में टायर जलाकर सड़क को जाम कर दिया गया।

बताया गया है कि जेल चौक के पास स्थित आदिवासी होस्टल के पास बंद समर्थक उत्पात मचा रहे थे। जब पुलिस ने रोका, तो आंदोलनकारी उग्र हो गये। पत्थरबाजी करने लगे। बंद समर्थकों को खदेड़ने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। पत्थरबाजी में कई बंद समर्थक और पुलिसकर्मी घायल हो गये।

सिटी एसपी, सिटी डीएसपी समेत 8 से 10 पुलिसकर्मी घायल हो गये। जेल चौक के पास कुछ समय के लिए अफरा-तफरी मच गयी थी। पूरे झारखंड में सैकड़ों बंद समर्थकों को गिरफ्तार कर कैंप जेल भेज दिया गया। दोपहर के बाद स्थिति सामान्य हो गयी। आदिवासी होस्टल और जेल चौक के पास भारी संख्या में पुलिस बलों को तैनात कर दिया गया। आदिवासी होस्टल से छात्र-छात्राओं को गिरफ्तार कर पुलिस कैंप जेल ले गयी।

जमशेदपुर के पास हाइवे पर एक ट्रक में आग लग गयी। पुलिस के मुताबिक बंद समर्थकों ने ट्रक को फूंक दिया। कोडरमा में आंदोलन का असर सुबह से ही दिखने लगा। प्रदर्शनकारियों ने अहले सुबह करीब 5 बजे कोलकाता-नयी दिल्ली रेलखंड के यडुडीह हॉल्ट के पास रेल पटरी को जाम कर दिया। इसकी वजह से अप व डाउन दोनों रेल लाइनों पर ट्रेनों का परिचालन ठप हो गया।

नयी दिल्ली-कोलकाता राजधानी एक्सप्रेस करीब ढाई घंटे तक कोडरमा जंक्शन पर खड़ी रही। अन्य कई ट्रेनों को जहां-तहां खड़ा करना पड़ा। बाद में आरपीएफ और पुलिस बलों ने लोगों को समझा-बुझाकर पटरी से हटाया, तो करीब 7:30 बजे ट्रेनें अपने गंतव्य की ओर रवाना हुई। डाल्टनगंज में बंद समर्थकों ने ट्रेन का परिचालन ठप किय। डाल्टनगंज बाइपास रोड को भी जाम किया।

लोहरदगा में भारत बंद का आंशिक असर रहा। लंबी दूरी के वाहनों का परिचालन नहीं हुआ। बॉक्साइट की ढुलाई नहीं हुई। बाजार, सरकारी कार्यालय खुले रहे। पुलिस और प्रशासन द्वारा जिले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये थे।

भारत बंद के दौरान पतरातू रोड में भी बंद का असर देखने को मिला। पिठोरिया में बंद कराने निकले समर्थकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। पिठोरिया थाना क्षेत्र से 118 बंद समर्थकों की गिरफ्तारी हुई।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी एसटी एक्ट में संशोधन किए जाने के विरोध में भारत बंद को लेकर बगोदर में भी बंद को लेकर सुबह छह बजे सड़क पर उतरे। वही बंद का आह्वान अनुसूचित जाति-जनजाति एकता मंच के द्वारा किया गया है। इनका समर्थन झाविमो, भाकपा माले के अन्य घटक दलों ने भी किया।

बेरमो के फुसरो बाजार में जुलूस निकालकर लोगों ने SC/ST Act में बदलाव के विरोध दर्ज किया। जुलूस में शामिल सैकड़ों लोगों ने अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी भी की। ललपनिया क्षेत्र में भी बंद का दिखा असर। झामुमो, झाविमो, आजसू सहित विभिन्न संगठनों के लोग बंद में शामिल हुए। गांधीनगर क्षेत्र में भी बंद का व्यापक असर देखा गया।

हजारीबाग के बड़कागांव प्रखंड में एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरोध में सड़क जाम, बाजार बंद रहा। गोमिया मे बंद समर्थक ने बाइक जुलूस निकाला और दुकानें बंद रहीं।

नावाडीह में बंदी असरदार रहा, वाहनों की लगी लंबी कतार लगी रही, आदिवासी दलित मोर्चा के लोग सड़क पर उतरे। भारत बंद के समर्थन में चतरा जिला झारखंड मुक्ति मोर्चा ने प्रखंड मुख्यालयों सहित जिला मुख्यालय के केसरी चौक पर झंडा बैनर के साथ दुकानें बंद करवा दी।

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