गौतम नवलखा की जमानत याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट 6 दिसंबर को करेगा सुनवाई

Update: 2019-12-02 13:56 GMT

गौतम नवलखा ने कोर्ट में कहा था वे किसी भी प्रतिबंधित संगठन से नहीं जुड़े रहे हैं और उन्होंने केवल नागरिक अधिकार के मुद्दे ही उठाये, षड्यंत्र के तहत फंसाया गया मुझे...

जनज्वार। भीमा कोरेगांव केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की सुनवाई 6 दिसंबर तक आगे बढ़ा दी है। भीमा कोरेगांव मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को दी गई गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा बढ़ाते हुए उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 6 दिसंबर तक बढ़ा दी है।

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपित गौतम नवलखा को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज 2 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान अंतरिम राहत देते हुए उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख छह दिसंबर कर दी है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा की गिरफ़्तारी पर 15 अक्टूबर तक रोक लगाई थी। 15 अक्टूबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी से सुरक्षा की अवधि 4 हफ्ते के लिए बढ़ा दी थी।

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गौरतलब है कि इससे पहले पुणे की स्थानीय सत्र अदालत ने एलगार परिषद मामले में गिरफ्तार माओवादी कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने 5 नवंबर को अग्रिम जमानत के लिए सत्र अदालत में याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर को गौतम नवलखा को गिरफ्तारी से चार हफ्ते की अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी। गौरतलब है कि बांबे हाईकोर्ट द्वारा भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में उनके ऊपर से मामला खत्म करने की याचिका खारिज किए जाने के बाद नवलखा ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल गिरफ्तारी से उन्हें राहत प्रदान करते हुए स्थानीय अदालत में जाने को कहा था।

नवरी 2018 में पुणे पुलिस ने 31 दिसंबर 2017 को भीमा-कोरेगांव में एल्गार परिषद की सभा के बाद पैदा हुयी हिंसा का दोषी मानते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं वरवर राव, अरुण परेरा, वर्नोन गोंजाल्वेस और सुधा भारद्वाज सहित गौतम नवलखा के खिलाफ़ भी एफआईआर दर्ज़ की थी। पुणे पुलिस ने ये आरोप भी लगाए थे कि नवलखा और दूसरे आरोपियों के माओवादियों से सम्बन्ध रहे हैं और ये लोग सरकार का तख़्ता पलटने की कोशिश कर रहे थे।

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गौतम नवलखा ने कोर्ट से कहा था कि वे किसी भी प्रतिबंधित संगठन से नहीं जुड़े रहे हैं और उन्होंने केवल नागरिक अधिकार के मुद्दे ही उठाये थे। उन्होंने कोर्ट को यह भी कहा कि पूरा का पूरा केस साथी आरोपियों के वक्तव्यों और दस्तावेजों पर आधारित है।

मुंबई उच्च न्यायलय ने 13 सितम्बर को नवलखा के खिलाफ़ दायर एफआईआर को खारिज करने से मना कर दिया था, जिस कारण उन्हें सर्वोच्च अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा।

गौतम नवलखा और उनके साथ भीमा कोरेगांव मामले में आरोपित अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को पिछले सा​ल 28 अगस्त को पुणे पुलिस द्वारा माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, और वर्णन गोंसाल्विस की गिरफ्तारी की थी।

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गिरफ्तारी के बाद सुधा भारद्वाज ने मीडिया से कहा था कि ‘मुझे लगता है जो भी वर्तमान शासन के खिलाफ है, चाहे वह दलित अधिकारों, जनजातीय अधिकारों या मानवाधिकारों की बात हो, विरोध में आवाज उठाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ इसी तरह व्यवहार किया जा रहा है।’

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