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गौतम नवलखा को गिरफ्तारी पर महीनेभर की छूट, सुधा भारद्वाज को नहीं मिली जमानत

Prema Negi
16 Oct 2019 3:56 AM GMT
गौतम नवलखा को गिरफ्तारी पर महीनेभर की छूट, सुधा भारद्वाज को नहीं मिली जमानत
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3 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सुधा भारद्वाज, वर्णन गोंजालविस और अरुण फरेरा की जमानत याचिका मुंबई हाईकोर्ट ने कर दी खारिज, इन पर भी प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से जुड़े होने के आरोप...

जनज्वार। भीमा-कोरेगांव मामले में आरोपित मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ़्तारी पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने 4 सप्ताह के लिए रोक लगा दी है। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने 4 अक्टूबर को सुनवाई करते हुए गौतम नवलखा को भीमा-कोरेगांव केस के सम्बन्ध में न गिरफ्तार किये जाने की अंतरिम अवधि 15 अक्टूबर तक बढ़ायी थी।

ल 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी से सुरक्षा की अवधि 4 हफ्ते के लिए बढ़ा दी है।

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हीं 3 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं सुधा भारद्वाज, वर्णन गोंजालविस और अरुण फरेरा की जमानत याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दी है। इन पर भी प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से जुड़े होने के आरोप हैं।

ल मंगलवार 15 अक्टूबर को भीमा—कोरेगांव मामले में हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने गौतम नवलखा से कहा कि इस मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिये वह संबंधित अदालत में जाएं।

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सुनवाई के दौरान जब गौतम नवलखा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की घोषणा की गयी तब महाराष्ट्र सरकार के वकील ने उन्हें अंतरिम सुरक्षा दिये जाने का विरोध किया था। हालांकि इस मामले को देख रही पीठ ने वकील के विरोध पर यह कहकर चुप करा दिया कि एक साल से भी ज्यादा का वक्त बीत जाने के बावजूद उनसे पूछताछ क्यों नहीं की गयी। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि उनके केस सम्बन्धी उचित दस्तावेजों को वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश करे।

गौरतलब है कि गौतम नवलखा समेत 5 अन्य मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को महाराष्ट्र पुलिस ने 31 दिसंबर, 2017 को ऐलगार परिषद के बाद कोरेगांव-भीमा गांव में हुई हिंसा के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर 28 अगस्त, 2018 को गिरफ्तार किया था। इस सिलसिले में अपने खिलाफ दर्ज रिपोर्ट को उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में खारिज करने की अपील की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट के उसी फैसले को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है।

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पिछले साल अगस्त में महाराष्ट्र पुलिस ने मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा के अलावा वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, ख्यात कवि और बुद्धिजीवी वरवर राव, जिनेस आर्गनाइजेशन के वर्णन गोंजा​लविस और लेखक—सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा को छापेमारी के बाद पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा में संलिप्त बताते हुए गिरफ्तार किया था। महाराष्ट्र पुलिस ने आरोप लगाया कि इन कार्यककर्ताओं के माओवादियों से संबंध थे और भीमा—कोरेगांव में दिसंबर 2017 में जो हिंसा हुई है, उसमें इन कार्यकर्ताओं की भूमिका है।

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