यूपी के 75 वर्षीय पूर्व आईजी और लखनऊ हाईकोर्ट के वकील को योगी सरकार ने जेल में डाला
उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड आईजी एसआर दारापुरी और लखनऊ हाईकोर्ट के वकील मोहम्मद शोएब को जेल में डाला..
जनज्वार। उत्तर प्रदेश कई इलाकों में एनआरसी और नागरिक संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन अब भी जारी हैं। सूबे के कई इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को अबतक बहाल नहीं किया गया है। वहीं योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश के 75 वर्षीय एसआर दारापुरी और लखनऊ हाईकोर्ट के वकील मोहम्मद शोएब को हिंसक प्रदर्शन के मामले में जेल में डाला दिया है।
75 वर्षीय एस आर दारापुरी कैंसर के पेशेंट हैं, जिस पुलिस महकमे में उन्होंने पूरी जिंदगी गुजार दी आज वो ही उन्हें अब देश के लिए खतरा मान रहा है। वहीं जिंदगीभर मजलूमों की आवाज उठाने वाले और आपातकाल के दौरान जेल की सजा काट चुके रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शोएब 76 साल की उम्र में फिर से कैद कर दिए गए।
संबंधित खबर : CAA और NRC के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन जारी, यूपी में दर्जनों घायल और 6 से ज्यादा मौतें
एसआर दारापुरी के परिजनों का कहना है कि दारापुरी को प्रदर्शन से पहले ही पुलिस ने नजरबंद कर रखा हुआ था और उनपर निगरानी रखी जा रही थी। वह नागिरकता संशोधन अधिनियम का विरोद कर रहे थे, इसलिए उन्हें जेल भेजा गया है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाप 19 दिसंबर को काई सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने प्रदर्शन का आह्वाहन किया गया था। लखनऊ के परिवर्तन चौक पर प्रदर्शन के दौरान आस-पास के इलाके में हिंसा हुई थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और पुलिस-मीडिया कर्मी समेत कई लोग घायल हो गए थे। इसके बाद पुलिस रविवार 20 दिसंबर को एसआर दारापुरी को उनके लखनऊ स्थित आवास से उठा ले गई।
संबंधित खबर : नागरिकता संशोधन अधिनियम - हिरासत में लिए गये इतिहासकार रामचंद्र गुहा समेत 30 प्रदर्शनकारी, रिहाई मंच के मोहम्मद शोएब नजरबंद
उन्होंने लिखा, 'एक प्रतिबद्ध अंबेडकरवादी और विद्वान, जो हमेशा आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए तत्पर रहे। वे उन लोगों के लिए लड़े, जिन्हें ‘आतंकवादी’ बताकर झूठे मामलों में फंसा दिया गया।'
सिद्धार्थ ने आगे लिखा, 'वे उन लोगों के लिए लड़े, जिन्हें उद्योग और विकास के नाम पर जंगलों से बेदखल किया जा रहा था। वे हाशिये के उन लोगों के लिए लड़े, जिन्हें जातिगत प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। वे उन लोगों के लिए लड़े जो एक जून की रोटी के मोहताज थे।'