कोरोनावायरस से चीन के 11 प्रांतों में बंदी, भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़े झटके की आशंका

Update: 2020-02-11 03:30 GMT

चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। साल 2018-19 में भारतीय आयात का कुल 14 प्रतिशत हिस्सा चीन का है। जबकि इसी साल (2018-19) में कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले देश चीन भारत के कुल निर्यात का 5 प्रतिशत हिस्सा रहा। घरेलू सामानों के लिए भारत चीन के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार है...

जनज्वार। चीन इस समय जानलेवा कोरोनावायरस से लड़ने में व्यस्त है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि चंद्र नव वर्ष की छुट्टी को कुछ प्रांतों में कम से कम 17 फरवरी से 10 फरवरी तक बढ़ाया जा सकता है। इन प्रांतों में चीन और भारत समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था की बहुत अधिक हिस्सेदारी है।

दाहरण के लिए जिन 11 चीनी प्रांतों ने एक विस्तारित अवकाश अवधि की घोषणा की गई है, वे आमतौर पर चीन में वाहन उत्पादन के दो-तिहाई से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं। कोरोनावायरस के संकट से 10 फरवरी तक पहली तिमाही में वाहन उत्पादन की लगभग 350,000 यूनिट्स को नुकसान हो हुआ है। अगर यही स्थिति मार्च महीने की मध्य तक रहती है और आस-पास के प्रांतों के प्रोडक्शन प्लांट बंद हो जाते हैं तो हुबेई से आपूर्ति सप्लाई चेन में कमी के कारण व्यापक प्रभाव हो सकता है।

ऑटोमोबाइल सेक्टर को हो सकता है नुकसान

भारत चीन से बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग सामान और रसायन का सामान आयात करता है। चीन से ऐसे उत्पादों की अनुपलब्धता का मतलब होगा कि भारत में संबंधित पक्षों को वैकल्पिक बाजारों की ओर देखना होगा जिसका मतलब उच्च लागत हो सकता है।

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निसंदेह भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए भी इसके दूरगामी परिणाम होंगे। भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर पहले से ही पिछले दो दशकों में सबसे मंदी के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में कोरोनावायरस के हमले का मतलब भारत में ऑटो सेक्टर के लिए कयामत आने जैसी स्थिति होगी।

Full View के अध्यक्ष आर.सी. भार्गव के मुताबिक भारत में कई मारुति विक्रेता चीन के कंपोनेंट्स और कच्चे माल की आपूर्ति पर भरोसा करते हैं। उनमें से ज्यादातर के पास 30 दिनों तक तक का ही माल है। भारत ने सीएनबीसी से कहा कि चीन से कुल आयात छोटा है लेकिन मुद्दा यह है कि एक कार में अगर एक भी कंपोनेंट कम हो तो मैं कार को सड़क पर नहीं रख सकता हूं। यह कमी निर्माताओं और विक्रेताओं को आपूर्ति के लिए वैकल्पिक स्त्रोतों की व्यवस्था करने के मजबूर कर देगी जिसे संभवतः वह कार बनाने की लागत में जोड़ देंगे।

पर्यटन के क्षेत्र में नुकसान

कोरोना वायरस के हमले से भारत को पर्यटन के क्षेत्र में भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 2019 में भारत में चीन से आने वाले पर्यटकों के आगमन 3.12 प्रतिशत था। भारत में बीते कुछ सालों में पर्यटकों के आगमन का प्रतिशत बढ़ा है लेकिन कोरोनावायरस के हमले के बाद यह अब कम हो सकती है। इससे पर्यटन के क्षेत्र को बड़ा नुकसान हो सकता है।

चीन के खिलाफ ट्रैवल एडवाइजरी जारी करने से विमानन उद्योग भी प्रभावित होगा। इंडिगो जो भारत से चीन के लिए तीन मार्गों पर जाती है उसे अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया गया है। एयर इंडिया ने भी चीन के लिए अपने ऑपरेशंस बंद कर दिए हैं।

व्यापार को नुकसान

चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। साल 2018-19 में भारतीय आयात का कुल 14 प्रतिशत हिस्सा चीन का है। जबकि भारत की ओर इसी साल (2018-19) में कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले देश चीन को कुल निर्यात का 5 प्रतिशत निर्यात किया गया। घरेलू सामानों के लिए भारत चीन के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार है।

हालिया रिपोर्ट में क्रेडिट एजेंसी केअर रेटिंग्स ने कहा कि यदि लंबे समय तक यह व्यवधान रहा तो भारत के निर्यात को असर पड़ सकता है जो घरेलू आर्थिक गतिविधि के लिए महत्वपूर्ण है। निकट अवधि में चीन से आयात के विकल्प तलाशना एक चुनौती हो सकती है। चीन में आर्थिक गतिविधियों में मंदी भारत से निर्यात को प्रभावित कर सकती है।

Full View बाजार के विशेषज्ञ संदीप सभरवाल ने इकनोमिक टाइम्स को बताया कि चीन में जो कुछ हो रहा है उससे दूसरी ओर वास्तविक आर्थिक प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। हम इसे सभी सेक्टरों में देख रहे हैं। डायमंड मार्किट में बड़े नुकसान की संभावना है। एम एंड एम ने बयान दिया कि उसके कुछ मॉडल प्रभावित हो सकते हैं। पेरासिटामोल लागत जैसी आम दवाओं के लिए कच्चे माल की लागत 10 दिनों में दोगुनी हो गई है। वास्तविक आर्थिक प्रभाव अगले तीन- चार महीनों में देखने को मिलेंगे।

भारत के लिए अवसर

चीन के इकनोमिक शटडाउन और इतना बड़ा खतरा बड़ा होने से भारत से भारत के लिए विभिन्न दरवाजे भी खुल सकते हैं। इकॉनोमिक टाइम्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सिरेमिक, होमवेयर, फैशन और लाइफ स्टाइल के सामान, कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और फर्नीचर के वैश्विक खरीददार चीन के बदले भारत को देख रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिमी बाजार से भारतीय निर्माताओं और निर्यातकों के हितों की बढ़ती संख्या देखी जा रही है।

वैश्विक खरीदार भारत को चीन के स्रोत सिरेमिक, होमवेयर, फैशन और जीवन शैली के सामान, कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और फर्नीचर के प्रतिस्थापन के रूप में देख रहे हैं।

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मेनलैंड चीन अब दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आयातक है, जो दुनिया के सामान के आयात का 10.4 प्रतिशत है, जबकि 2002 में दुनिया के आयात का 4 प्रतिशत था। सीएआरई के मुताबिक, स्थानीय उत्पादन प्रभावित होने (कोरोनोवायरस प्रकोप के कारण) के साथ, अन्य देशों से चीन के आयात में वृद्धि हो सकती है जो भारतीय निर्माताओं के लिए एक अवसर प्रदान कर सकते हैं। भारत मुख्य रूप से चीन को रसायन, पेट्रोलियम, कृषि, इंजीनियरिंग सामान, सूती धागे और प्लास्टिक का निर्यात करता है।

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