'मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह का इस्तीफ़ा सोची-समझी साजिश' सुप्रिया श्रीनेत बोलीं राहुल गांधी से कुछ सीखिये मोदीजी !
जो 9 विधायक JDU और MPP से उनके साथ आए थे, वो भी अयोग्य (disqualify) घोषित होने की कगार पर हैं। यह मुँह छिपाने के अंदेशे से दिया इस्तीफ़ा है। मणिपुर असेंबली सस्पेंड रहेगी, तो सवाल पूछने का कोई तरीका ही नहीं है बीरेन सिंह से...;

नरेंद्र मोदी जिस इंडिया के प्रधानमंत्री हैं क्या उसमें मणिपुर शामिल नहीं है, इसे दूसरा कश्मीर बनने से रोकना होगा
Manipur CM N Biren Singh resign : कल 9 फरवरी को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया। मणिपुर हिंसा के 21 महीने बाद CM एन बीरेन सिंह ने अमित शाह से मुलाकात के बाद अपने पद से रिजाइन किया था।
मणिपुर में बीरेन सिंह के इस्तीफे पर जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, 'करीब दो साल तक बीजेपी के सीएम बीरेन सिंह ने मणिपुर में बंटवारा कराया। मणिपुर में हिंसा, जानमाल के नुकसान और भारत के विचार के विनाश के बावजूद पीएम मोदी ने उन्हें बने रहने की अनुमति दी। सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे से पता चलता है कि बढ़ते जन दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव ने फैसले पर मजबूर कर दिया है।, लेकिन सबसे जरूरी प्राथमिकता राज्य में शांति बहाल करना और मणिपुर के लोगों के घावों को भरने के लिए काम करना है।'
वहीं अब कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने भी इस इस्तीफे को सोची-समझी साजिश करार दिया है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है, 'मणिपुर में बीरेन सिंह का इस्तीफ़ा कोई मृत अंतरात्मा के जागने से नहीं दिया गया है, यह मजबूरी में लिया गया निर्णय है।
कल से मणिपुर असेंबली में सेशन की शुरुआत थी, बीरेन सिंह के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव आ रहा था - जो वह हर क़ीमत पर हारते, उनके ख़ुद के विधायक उनके साथ नहीं थे. यही नहीं, जो 9 विधायक JDU और MPP से उनके साथ आए थे, वो भी अयोग्य (disqualify) घोषित होने की कगार पर हैं। यह मुँह छिपाने के अंदेशे से दिया इस्तीफ़ा है। मणिपुर असेंबली सस्पेंड रहेगी, तो सवाल पूछने का कोई तरीका ही नहीं है बीरेन सिंह से।
एक और ज़रूरी बात -सुप्रीम कोर्ट ने 4 फरवरी को CFSL को बीरेन सिंह के कथित ऑडियो क्लिप की जांच करने का भी आदेश दिया था, जहां वह राज्य में हिंसा भड़काने का दंभ भरते सुनाई देते हैं। CFSL को एक महीने में सीलबंद कवर में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
सुप्रिया आगे लिखती हैं, 'सबको पता है कि मणिपुर में बीरेन सिंह के ख़िलाफ़ भारी आक्रोश है - यहाँ तक उनकी अपनी पार्टी में भी विद्रोह है। BJP विधायकों ने उनके ख़िलाफ़ लगातार शिकायतें की हैं, लेकिन तब भी वो अपने पद पर क़ायम रहे, लेकिन सबसे बड़ी असलियत यह है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने जलते हुए मणिपुर को लगभग दो साल से अपने हाल पर छोड़ दिया है। प्रधानमंत्री के पास विदेश यात्रा के लिए वक्त है, लेकिन मणिपुर वो एक बार भी नहीं गए।
सुप्रिया कहती हैं, मणिपुर जाना तो छोड़िये, मोदी-शाह ने एक बार भी मणिपुर से आए सर्वदलीय लोगों से मुलाकात नहीं की। वो तो अपने विधायकों तक से नहीं मिले। जिस हिंसा ने मणिपुर में करोड़ों की संपत्ति तबाह कर दी, बच्चों का बचपन छीन लिया, लोगों की दर्दनाक मौतें हुईं, 60,000 लोगों को विस्थापित कर दिया, जहाँ 50,000 से ऊपर आज भी रिलीफ कैम्प में हैं, मणिपुर की सड़कों पर गोलियाँ और बम चले, सेना और राज्य सरकार में झड़प हुई, औरतों के साथ वो हैवानियत हुई कि रूह काँप जाये उस मणिपुर के असल ज़िम्मेदार नरेंद्र मोदी हैं।
बकौल सुप्रिया 'लेकिन मजबूरी में ही दिया बीरेन सिंह का यह इस्तीफा उन तमाम लोगों, मीडिया और BJP फेक न्यूज़ फैक्ट्री के मुँह पर करारा तमाचा है जो सब चंगा सी का घटिया खोखला दावा करते थे। मोदी जी, कुछ सीखिये राहुल जी से। वो तीन बार मणिपुर हो आए, लोगों को गले लगाया, आँसूँ पोंछे, उनको विश्वास दिलाया - लेकिन आप तो एक बार भी नहीं गए।