सीओ सिविल लाइन ने जिओ के अधिकारियों और कर्मचारियों पर दर्ज कराई एफआईआर, रिलायंस का पुराना नम्बर 5 नवम्बर को दिया जिओ मे पोर्टिंग के लिये, लेकिन अधिकारियों ने कर दिया खेल...
इलाहाबाद से सूर्य प्रकाश त्रिपाठी
इलाहाबाद, जनज्वार। दूर संचार कंपनियों का मनमाना रवैया जब पुलिस महकमे जैसे महत्वपूर्ण विभाग के डिप्टी एसपी पद के अफसर श्रीश चन्द्र को भी परेशान कर देता है तो आम आदमी के लिए ये कितना भारी पड़ता है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
हैरानी की बात यह है कि एक डिप्टी एसपी को अपना मोबाइल नंबर दोबारा पाने के लिए कंपनी वालों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराना पड़ा। बावजूद इसके अभी भी उनका मोबाइल नंबर उन्हें नहीं मिल पाया है। फिलहाल पुलिस दर्ज मुकदमे के आधार पर जांच कर रही है।
गौरतबल है कि इलाहाबाद सीओ सिविल लाइंस श्रीशचंद्र के पास Reliance कम्युनिकेशन का एक मोबाइल नंबर था, कंपनी बंद होने की वजह से उस नंबर पर बात नहीं हो पा रही थी। 5 नवम्बर को उन्होंने सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के पत्रिका चौराहे पर स्थित रिलायंस जिओ के ऑफिस में अपना मोबाइल नंबर और एक एप्लीकेशन देकर नंबर को जिओ में पोर्ट करने को सारे डॉक्यूमेंट दिए थे। वहां कंपनी के कर्मचारियों ने बताया था कि 5 दिन में उनका नंबर पोर्ट हो जाएगा।
पर 5 दिन में जब नंबर पोर्ट नहीं हुआ तो वो दोबारा जियो के ऑफिस गए। वहां कर्मचारियों ने बताया कि यह नंबर तो 30 अक्टूबर को ही किसी और को एलॉट हो चुका है। यह सुनकर डिप्टी एसपी श्रीशचंद्र अवाक रह गए, उन्होंने पूछा कि कौन और कैसे कराया।
जिओ कर्मचारियों ने बताया कि 30 अक्टूबर 2017 को उनका Reliance का मोबाइल नंबर हरिद्वार के मुकेश सिंह के नाम के व्यक्ति को एलॉट कर दिया गया है। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि जब सिम कार्ड और मोबाइल नंबर पोर्टबिलिटी नंबर उनके पास है तो आखिर उनका मोबाइल नंबर किसी दूसरे के नाम कैसे एलाट हो गया।
इस सवाल पर वहां के कर्मचारियों ने किसी प्रकार का कोई सार्थक जवाब नहीं दिया, जिसके बाद सीओ सिविल लाइंस में सिविल लाइंस कोतवाली में रिलायंस जिओ के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी की धारा 419, 420, 467, 468 एवं 1208 आईपीसी के तहत रविवार को मुकदमा दर्ज कराया।
इंस्पेक्टर सिविल लाइंस बचन सिंह सिरोही ने बताया कि सीओ की तहरीर पर fir दर्ज हो गई है। मामले की जांच की जा रही है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर गड़बड़ी कहां हुई है, उसका पता चलने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।