जानिये पर्यावरण विशेषज्ञों से कि असल में कोका कोला जैसी कंपनियों के कारण इंसानी और प्राकृतिक जीवन कैसे हो रहा है बर्बाद और कैसे सरकारें इन बड़ी कंंपनियों के पर्यावरणीय अत्याचार के खिलाफ नहीं खोल पा रही हैं मुंह...
अजय प्रकाश की रिपोर्ट
जनज्वार। भारत में प्लास्टिक से मुक्ति के लिए प्रधानमंत्री मोदी जब अभियान शुरू करते हैं तो प्लास्टिक में पैकेजिंग करने वाली कंपनियों के उत्पादों पर कभी कोई बात नहीं करते, लेकिन हाल ही में खुलासा हुआ है कि सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा तो कोका कोला की वजह से फैल रहा है, जो दुनिया की सबसे बड़ी शीतल पेय कंपनी है।
जनज्वार ने इस बारे में भारत में पर्यावरणीय आंदोलनों और उसकी रक्षा से जुड़े विशेषज्ञों से जानकारी जुटाई कि कोका कोला को लेकर 'ब्रेक फ्री फ्रॉम प्लास्टिक' के अध्ययन से भारत को किस रूप में सचेत होने की जरूरत है। साथ ही जनज्वार ने विशेषज्ञ टीम से यह भी जानना चाहा कि कैसे प्लास्टिक कचरे के कारण गंभीर रोग बढ़ रहे हैं और पर्यावरणीय संकट गहराते जा रहे हैं।
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पर्यावरणीय मामलों के कार्यकर्ता और जनज्वार से जुड़े वरिष्ठ लेखक महेंद्र पांडेय, पारिस्थितिकी मामलों के जानकार चंद्र विकास और गंगा बचाओ व जल संरक्षण के आंदोलनों से जुड़े ब्रजेश कुमार झा से जानिए कि असल में कोका कोला जैसी कंपनियों के कारण इंसानी और प्राकृतिक जीवन कैसे बर्बाद हो रहा है और कैसे सरकारें इन बड़ी कंंपनियों के पर्यावरणीय अत्याचार के खिलाफ मुंह नहीं खोल पा रही हैं।