राफेल सौदे में मोदी ने दबाव डालकर बनवाया अंबानी को पार्टनर : प्रशांत भूषण

Update: 2018-10-07 15:17 GMT

प्रशांत भूषण ने कहा राफेल घोटाले में प्रधानमंत्री मोदी, पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर, अनिल अंबानी और डसाल्ट कंपनी के सीईओ एरिक ट्रेपियर हैं दोषी, इनके खिलाफ हो सीबीआई जांच....

जनज्वार। एक के बाद एक भ्रष्टाचारों की कलई खोलने वाले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण राफेल सौदे पर खुलकर सामने आ गए हैं। फ्रांस के साथ राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की जांच के मसले पर दिल्ली में सीबीआई निदेशक और मुख्य सतर्कता आयुक्त के पास शिकायत करने वाले प्रशांत भूषण ने कल 6 अक्टूबर को भोपाल में शिकायत की कॉपी सार्वजनिक करते हुए मीडिया से कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने राफेल विमान सौदे में दबाव डालकर अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट पार्टनर बनवा 21 हजार करोड़ रुपए का अनुचित लाभ दिलवाया है।

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गौरतलब है कि इससे पहले भी प्रशांत भूषण तथ्यजनक ढंग से दावा कर चुके हैं कि राफेल डील इतना बड़ा घोटाला है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। इससे पहले भी प्रशांत भूषण ने सभी पार्टियों के भ्रष्टाचार को जनता के बीच पूरे तथ्यों के साथ लाने का हमेशा से सराहनीय काम किया है। वे राफेल डील के भ्रष्टाचार को बहुत तथ्यगत, तार्किक और सिलसिलेवार ढंग से बता चुके हैं।

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मीडिया के सामने सीबीआई निदेशक और मुख्य सतर्कता आयुक्त को दी गई 46 पेज की शिकायत में प्रशांत भूषण ने राफेल सौदे से जुड़े घोटाले में सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। प्रशांत भूषण ने मोदी के अलावा पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर, रिलायंस ग्रुप के अनिल अंबानी और डसाल्ट कंपनी के सीईओ एरिक ट्रेपियर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 के तहत मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग सीबीआई से की है।

इस मसले पर मीडिया से बात करते हुए प्रशांत ने कहा कि विपक्षी पार्टियों में से सिर्फ कांग्रेस ने ही राफेल घोटाले को डंके की चोट पर उठा रही है, मगर चूंकि कांग्रेस आमजन के बीच अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है, रक्षा सौदे घोटाले में भी कांग्रेस की भूमिका आरोपों के घेरे में रही है इसलिए आमजन एकाएक उस पर भरोसा नहीं कर पा रही है।

भूषण के मुताबिक असल में इस मुद्दे को वाम दलों द्वारा डंके की चोट पर उठाना चाहिए था, क्योंकि इन दलों के नेताओं पर अभी तक उस तरह से भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं, जैसे कांग्रेस—भाजपा पर। मगर न जाने क्यों वामदल इस मुद्दे पर चुप बैठे हैं, मगर वह न जाने किस इंतजार में चुप्पी साधकर बैठे हैं। अभी राफेल सौदा जितना बड़ा करप्शन का मुद्दा है, उसके बारे में हर गांव—शहर में लोगों को बताना जरूरी है। सबसे बड़ी जरूरत अभी इसकी सीबीआई जांच कराने की है।

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इसके अलावा प्रशांत भूषण ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की कंपनियों की वित्तीय स्थिति से जुड़े दस्तावेजों के आधार पर दावा किया है कि उनकी ज्यादातर कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर हैं। उनके पास रक्षा उपकरणों के निर्माण का न तो कोई तकनीकी अनुभव है, न ही वित्तीय क्षमता।

प्रशांत भूषण ने यह भी दावा किया है कि मोदी ने राफेल सौदे में दबाव डालकर अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट पार्टनर बनवा सीधे 21 हजार करोड़ रुपए का अनुचित लाभ दिलवाया है, जो कि उन्हें 40 साल तक मिलता रहेगा। भूषण ने गुजरात के अमरेली स्थित अनिल रिलायंस डिफेंस लिमिटेड (एडीआरएल) की यूनिट के फोटोग्राफ भी शिकायत में दर्ज किए हैं, जहां सिर्फ खाली जमीन और टीनशेड है। वहां पर उसके पास कोई प्रोडक्शन यूनिट रिलायंस डिफेंस के पास अब तक नहीं है।

इससे पहले भी राफेल सौदे के भ्रष्टाचार पर प्रशांत भूषण कह चुके हैं कि भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने केवल सौदे में अनिल अम्बानी की कंपनी को जगह देने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया और भारतीय वायु सेना को ‘बेबस’ छोड़ दिया।

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गौरतलब है कि राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार के मसले पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद की तरफ से भी बयान आ गया कि इस डील में अनिल अंबानी की कंपनी को चुनने में उनकी सरकार का कोई रोल नहीं था, बल्कि अंबानी का चुनाव करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने सिफारिश की थी।

इसके बाद भी प्रशांत भूषण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते हुए ट्वीट किया था कि, ‘ये धमाकेदार है! पूर्व फ्रास राष्ट्रपति ओलांद जिन्होंने मोदी के साथ 36 राफेल विमान को लेकर सौदा किया था, ने कहा है कि फ्रांस या दसॉ ने डील के लिए अंबानी का चयन नहीं किया था! क्या इसकी सिफारिश मोदी ने की थी। क्या यह भी कोई सीक्रेट है मोदी जी?’

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