पहले पेट्रोल कांग्रेस दफ्तर में बनता था। अब ईरान ईराक से लाना पड़ता है। ये बेचारे इतनी दूर से मंगवा कर दे रहे हैं, यही बहुत है...
मोदी राज में पेट्रोल—डीजल के लगातार बढ़ रहे दामों पर दीपक असीम की चुटीली टिप्पणी
सन दो हजार चौदह के पहले तक पेट्रोल दिल्ली में बनता था और यमुना नदी के गंदे पानी से बना करता था। राहुल गांधी और सोनिया गांधी दोनों मिलकर पेट्रोल बनाते थे। ये लोग क्या करते थे कि यमुना नदी के गंदे पानी को टैंकरों में भर कर जोर से चिल्लाते थे, नेहरू जी की जय। कांग्रेस के बाकी नेता नारा लगाते थे, नेहरू जी अमर रहें और टैंकर में भरा यमुना का गंदा पानी पेट्रोल बन जाया करता था।
फिर राहुल गांधी और सोनिया गांधी मिलकर इस पेट्रोल को महंगे दामों पर बेचा करते थे और अपना घर भरते थे। इन दोनों की लूट से जो कुछ बच जाया करता था, वो कांग्रेस के दूसरे नेता हड़प लिया करते थे। देश के साथ बहुत अन्याय हो रहा था।
फिर दो हजार चौदह में एक नायक उभरा नरेंद्र मोदी नाम का। उसने देश के हर पेट्रोल पंप के बाहर एक पोस्टर लगवाया जिस पर लिखा था - बहुत हुई जनता पर पेट्रोल डीजल की मार, अबकी बार मोदी सरकार...। जनता इस नायक पर मोहित हो गई। बाबा रामदेव ने वचन दिया कि ये नायक अगर चुनाव जीतता है, तो पेट्रोल पैंतीस रुपये लीटर हो जाएगा। काला धन खुद चल कर भारत तक आएगा। वगैरह वगैरह।
जनता ने मोदी को चुनाव जिता दिया। मगर पेट्रोल के भाव कम नहीं हुए, डीजल के भी कम नहीं हुए। गैस का सिलेंडर भी बहुत महंगा हो गया। लोगों ने फिर एक दिन का बंद रखा और सरकार से पूछा कि पेट्रोल डीजल सस्ता क्यों नहीं हो रहा?
आपने कहा था कि हम पेट्रोल डीजल सस्ता करेंगे? इस पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और देश की नासमझ जनता को समझाया कि पेट्रोल डीजल की कीमत कम करना हमारे हाथ में नहीं है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव कम ज्यादा होते हैं, उसी के मुताबिक दाम कम ज्यादा होते रहते हैं। तब कहीं जाकर जनता को पता चला कि अब सिस्टम बदल गया है।
पहले कांग्रेस यमुना नदी के गंदे पानी का पेट्रोल बनाकर साठ रुपया लीटर बेच रही थी। ये बेचारे ऐसा नहीं कर पा रहे। इन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार से पेट्रोल खरीदना पड़ रहा है। पत्रकार भी पसीज गए कि अब क्या सवाल पूछना। पहले पेट्रोल कांग्रेस दफ्तर में बनता था। अब ईरान ईराक से लाना पड़ता है। ये बेचारे इतनी दूर से मंगवा कर दे रहे हैं, यही बहुत है।
जनता अगर पेट्रोल डीजल के बढ़ते दामों पर नाराज है, तो बेजा नाराज है। पेट्रोल कोई बीजेपी दफ्तर में तो नहीं बनता। हां, कांग्रेस दफ्तर में ज़रूर बना करता था।