मोदी बताएं, जनता उन्हें किस चौराहे पर दे सजा : ज्योतिरादित्य सिंधिया

Update: 2018-09-09 08:30 GMT

कांग्रेस नेता और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नोटबंदी पर घेरा मोदी को, कहा किया था ऐलान नोटबंदी हो असफल तो चौराहे पर जला देना मुझे, अब बताएं मोदी कहां दें उन्हें सजा

जनज्वार। नोटबंदी की विफलता को आरबीआई की रिपोर्ट भी उजागर कर चुका है। यह भी कि नोटबंदी ने देश को बर्बाद करने का काम किया है। इसी नोटबंदी से बर्बाद हुए देश के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए सांसद और मध्यप्रदेश कांग्रेस की चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि "मोदी बताएं कि उनके इस अपराध के लिए देश की जनता उन्हें किस चौराहे पर सजा दे।"

गौरतलब है कि आरबीआई ने नोटबंदी को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि बैंकों में 99.3 फीसदी रुपए वापस आ गए। जबकि तकरीबन 2 साल पहले 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने आधी रात को अचानक नोटबंदी का फैसला लिया था तो दावा किया था 3 से 4 लाख करोड़ रुपए का कालाधन सिस्टम से निकल जाएगा, जबकि आरबीआई की रिपोर्ट कहती है मात्र 10,720 करोड़ रुपए यानी 0.7 प्रतिशत 1000 या 500 के नोट ही बैंकों में वापस नहीं आ पाए।

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मीडिया में आई खबरों के मुताबिक बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के दौरे पर गए कांग्रेस नेता सिंधिया ने कहा, "इस समय देश में एक ऐसी सरकार है, जिसने तानाशाही वाले तरीके से एक गैर लोकतांत्रिक फैसला कर नोटबंदी का ऐलान कर दिया, इसके चलते इस देश की अर्थव्यवस्था के इंजन से तेल ही निकाल लिया गया। नोटबंदी के लागू होने के बाद लोगों को अपनी ही रकम हासिल करने के लिए कई हफ्तों तक लाइन में लगना पड़ा और इसमें 125 लोगों की जान तक चली गई। जान गंवाने वालों के लिए प्रधानमंत्री के मुंह से संवेदना के दो शब्द तक नहीं निकले।'

सिंधिया ने प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए कहा, 'उन्होंने देश से 50 दिन का समय मांगते हुए कहा था कि अगर इस अवधि में हालात न सुधरें तो देश की जनता उन्हें जो चाहे, जिस चौराहे पर चाहे बुलाकर सजा दे, अब मोदीजी स्वयं बताएं कि देश की जनता उन्हें किस चौराहे पर सजा दे।

गौरतलब है कि नोटबंदी के समय मोदी सरकार की ओर से दावा किया गया था कि तीन लाख करोड़ से ज्यादा की रकम वापस नहीं आएगी, मगर 99़ 30 प्रतिशत रकम बैंकों में वापस आ चुकी है, इसके अलावा भारत की मुद्रा भूटान, नेपाल आदि देशों में चलती है और उसका ब्यौरा आना अभी बाकी है। सरकार के सारे दावे फेल हो चुके हैं। गरीब जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। गरीब—गुरबा महिलाओं ने आड़े वक्त में काम आने के लिए जो पैसे रखे थे, उन्हें मजबूरन वो पैसे निकालने पड़े।

दूसरी तरफ आरबीआई रिपोर्ट जारी कर बता चुकी है कि दो बार नए नोट छापने में क्रमश: 7,965 करोड़ और 4, 912 करोड़ रुपए लगे, यानी कुल 12 हजार 877 करोड़ मोदी सरकार ने नए नोट छापने पर खर्च किए। यानी नोटबंदी के बाद बैंकों में जो पैसा वापस नहीं आया वह 10 हजार 720 करोड़, जबकि नए नोटों की छपाई खर्च हुआ 12 हजार 877 करोड़। यानी 2157 करोड़ छपाई में ज्यादा खर्च हुआ। खैर 99.3 प्रतिशत आने के बाद जो बची रकम 10 हजार 720 करोड़ है वह तब है जबकि अब तक नेपाल और भूटान में पुराने नोट ही चल रहे हैं।

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नवंबर 2016 में अटॉर्नी जनरल आॅफ इंडिया मुकुल रोहतगी ने सर्वोच्च न्यायालय में बताया था कि मार्केट में चल रहे कुल नोटों यानी 15.44 लाख करोड़ में से 4 से 5 लाख करोड़ यानी करीब 25 प्रतिशत नकली होंगे, जबकि अब साबित हो गया है मुकुल रोहतगी ने अदालत में सरेआम झूठ बोला।

इन आंकड़ों से साफ है कि एक रुपए का कालाधन सरकार के पास नहीं आया है और इसे कोई मोदी विरोधी नहीं बल्कि रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया कह रहा है। अलबत्ता अर्थशात्रियों के अनुसार नोटबंदी से 3 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। साथ ही नकली नोटों का सर्कुनेशन नोटबंदी के साल के बाद से लगातार बढ़ रहा है।

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