मद्रास हाईकोर्ट से किरण बेदी को लगा तगड़ा झटका

Update: 2019-04-30 14:20 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने कहा सरकार के रोजाना के कामकाज में उपराज्यपाल को दखल देने का कोई हक नहीं

जनज्वार। राज्यपालों और उपराज्यपालों के माध्यम से राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को लगातार अस्थिर करने और उनके रोज़मर्रा के कामकाज में अडंगा लगाने के आरोप केंद्र सरकार पर लगते रहे हैं, चाहे कांग्रेस की केंद्र सरकार रही हो या भाजपा की। मद्रास हाईकोर्ट ने उपराज्यपाल किरण बेदी को हिदायत देते हुए कहा है कि आप बतौर पुडुचेरी की उपराज्यपाल केंद्र शासित राज्य के काम में दखल देने का अधिकार नहीं रखती हैं।

कोर्ट ने उन्हें राज्य के रोजाना के काम में दखल न देने के लिए कहा है। मद्रास हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी के पास केंद्रशासित प्रदेश की दैनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करने की शक्ति नहीं है। इससे प्रकारांतर से केंद्र सरकार और उपराज्यपाल किरण बेदी को तगड़ा झटका लगा है।

मद्रास हाईकोर्ट पुडुचेरी के सीएम वी नारायणसामी और किरण बेदी के बीच जारी सियासी घमासान और अधिकार क्षेत्र से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।नारायाणसामी का आरोप है कि किरण बेदी कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स से जुड़ी फाइलों को सरकार के पास नहीं भेज रही हैं।

पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायामस्वामी और उपराज्यपाल किरण बेदी के बीच पिछले कई महीनों से सियासी घमासान जारी है। फरवरी महीने में मुख्यमंत्री राजभवन के बाहर धरना प्रदर्शन पर बैठ गए थे। उपराज्यपाल पर सीएम प्रदेश के कार्यों में गतिरोध पैदा करने का आरोप लगाते रहे हैं। पिछले कई महीनों से उपराज्यपाल किरण बेदी और पुडुचेरी सरकार के साथ जारी गतिरोध के बीच अब मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है।

हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी के पास केंद्रशासित प्रदेश की दैनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करने की शक्ति नहीं है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब उपराज्यपाल किरण बेदी पुडुचेरी सरकार से किसी भी फाइल के बारे में नहीं पूछ सकती हैं। इतना ही नहीं वह ना तो सरकार को और ना ही सरकार की तरफ कोई आदेश जारी कर सकेंगी।

गौरतलब है कि पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायामस्वामी ने फरवरी 19 में उपराज्यपाल किरण बेदी पर राज्य के कार्यों में गतिरोध पैदा करने का आरोप लगाया था। इसके बाद वह विरोध-प्रदर्शन करते हुए राजभवन के सामने धरने पर भी बैठ गए थे। इस दौरान सीएम कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों के साथ राजभवन के बाहर ही सोए थे। सीएम ने तब चुनी हुई सरकार के कार्यों में दखल देने और विकास कल्याण की योजनाओं को रोकने के विरोध में किया जा रहा है।

सीएम ने आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल किरण बेदी ने हमारी मुफ्त चावल योजना को खारिज कर दिया और फाइल वापस कर दी। वह कौन हैं? वह चुनी हुई सरकार की योजनाओं और नीतियों को रोक नहीं सकतीं।' सीएम ने यह भी आरोप लगाया था कि उन्होंने 7 फरवरी को खत लिखकर 36- चार्टर डिमांड्स को पूरा करने की मांग की थी लेकिन उन्हें उपराज्यपाल का जवाब नहीं मिला।

उन्होंने आरोप लगाया कि जब से किरण बेदी उपराज्यपाल बनी हैं, वह सरकार के विकास कार्यों को रोक रही हैं। वह कैबिनेट और सरकार के फैसलों को नजरअंदाज कर रही हैं। बेदी का रवैया यूनियन टेरिटरी के लिए हानिकारक है।

आरोप पूरी तरह बेबुनियाद

कोर्ट की टिप्पणी के बाद उपराज्यपाल किरण बेदी ने कहा कि सीएम के आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि सरकार जनता के लिए कम कर रही है। अभी हम फैसले की कॉपी का इंतज़ार कर रहे हैं और उसे पढ़कर ही जवाब देंगे। बेदी ने इसी साल एक तस्वीर ट्वीट कर सीएम पर सीधा निशाना साधा था।

उन्होंने कहा था कि क्या यह कानूनी है मिस्टर सीएम? यदि कोई आम आदमी आपके कार्यालय के बाहर ऐसा करे तो कैसा लगेगा। आप पुलिस से क्या करने की अपेक्षा करते हैं? कृपया वही कीजिए। क्या स्थानीय पुलिस कार्रवाई करेगी?

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