गारंटी नहीं, डिलीवरी चाहिए दिल्ली की जनता को केजरीवाल साहेब !

Update: 2020-01-20 09:13 GMT

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने जारी किया घोषणा पत्र, घोषणा पत्र का नाम रखा 'केजरीवाल का गारंटी कार्ड', दिल्ली की जनता से किए दस वादे..

वरिष्ठ पत्रकार पीयूष पंत का विश्लेषण

कौल आम आदमी पार्टी 'दिल्ली के नायक' कहे जा रहे मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 19 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली के मतदाताओं के लिए अपने हस्ताक्षर से युक्त 'गारंटी कार्ड' जारी कर दिया। इस कार्ड के माध्यम से दिल्ली के मतदाताओं को ये गारंटी दी गयी है कि अगर आम आदमी पार्टी की सरकार एक बार फिर से बनती है तो सरकार कम से कम दस कामों की गारंटी तो देती ही है।

ये काम हैं- 1. दो सौ यूनिट तक मुफ़्त बिजली मिलना जारी रहेगी, 24 घंटों बिजली की आपूर्ति की जाएगी और ये आपूर्ति जमीन के नीचे केबल बिछा कर की जाएगी। 2. बीस हज़ार लीटर मुफ्त पानी हर घर को मिलता रहेगा। साथ ही हर घर को 24 घंटों पीने का साफ़ पानी मुहैय्या कराया जायेगा और लोग सीधे नल से पानी पी सकेंगे।

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3.अधिक मोहल्ला क्लीनिक, पॉली क्लीनिक, अस्पताल खोले जायेंगे और सरकारी अस्पतालों में 15,000 अतिरिक्त बिस्तरों की व्यवस्था की जाएगी। 4. दिल्ली में पैदा हुए बच्चों को ग्रेजुएशन तक की बढ़िया शिक्षा सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों में उपलब्ध कराई जाएगी। ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए पहले की तरह ही दिल्ली सरकार कर्ज की सुविधा मुहैय्या कराती रहेगी।

5. यातायात व्यवस्था को विश्व स्तर का बनाया जाएगा। 11,000 नयी बसें चलायी जाएंगी और महिलाओं की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए उनके अंतिम पड़ाव तक यातायात सुविधा प्रदान की जाएगी। विधार्थियों के लिए भी दिल्ली की बसों में मुफ्त यात्रा करने का प्रावधान रक्खा जाएगा। 6. दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को तिगुना कम किया जाएगा इसके लिए दो करोड़ पेड़ लगाए जायेंगे।

7. नमामि गंगे की तर्ज पर नमामि यमुने कार्यक्रम चलाया जाएगा। 8. दिल्ली को महिलाओं के लिए अधिक सुरक्षित बनाया जाएगा। इसके लिए और अधिक स्ट्रीट लाइट्स और सीसी टीवी कैमरे लगाए जायेंगे। साथ ही बस मार्शल की तर्ज पर मोहल्ला मार्शल की तैनाती की जाएगी। 9.अनधिकृत कॉलोनियों को सभी मूल सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी। 10. झुग्गी -झोपड़ी में रहने वालों को उसी जगह पर पक्के मकान दिए जायेंगे।

Full View का घोषणा-पत्र ना जारी कर आखिर गारंटी कार्ड लोगों को देने की जरुरत अरविन्द केजरीवाल को क्यों पड़ी ? क्या उन्हें लगता है कि शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में किया गया उनकी सरकार का काम और मुफ्त बिजली-पानी की सुविधा के बावजूद उनके फिर से सरकार बनाने की गारंटी नहीं है ? या फिर 2015 में किये गए 70 वायदों में से ज़्यादा के पूरा ना होने से उनकी छवि को लगी ठेस को दुरुस्त करने की ये एक पब्लिक रिलेशन्स एक्सरसाइज़ भर है ?

तो क्या 2015 के 'मफलर बाबा ' 2020 आते-आते 'कॉर्पोरटे बाबा' में तब्दील हो गए हैं जिन्हें अपनी विश्वसनीयता दिल्ली के लोगों के बीच पैदा करने के लिए कॉर्पोरेटी लटकों-झटकों का इस्तेमाल करना पड़ रहा है ? यहां ये भी याद रखना होगा कि इस बार आम आदमी पार्टी के चुनाव-प्रचार का जिम्मा प्रशांत किशोर की कंपनी के हाथों है। ये वही प्रशांत किशोर हैं जिनकी कंपनी ने 2017 में उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान कांग्रेस के चुनाव अभियान की बागडोर संभाली थी और गांव-गांव खटिया बिछवा दी थी। लेकिन जब चुनाव परिणाम आये तो कांग्रेस की ही खटिया खड़ी हो गई थी। तो कहीं गारंटी कार्ड अरविन्द केजरीवाल पर भी तो भारी नहीं पड़ेगा ?

वैसे भी क्या गारंटी है कि जो दस बातें गारंटी कार्ड में कही गयी हैं उनमें सभी पूरी हो जाएं ? आम आदमी पार्टी कोई सरकारी बैंक तो है नहीं कि गारंटी कार्ड में कही गयी बातें पूरी ना होने पर दिल्ली का मतदाता आम आदमी पार्टी को कोर्ट-कचेहरी खींच ले जाए और मुआवजे की गुहार लगाए। उसके पास तो बस 2025 में पार्टी के खिलाफ ईवीएम का बटन दबाने का विकल्प ही बचेगा।

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किसी भी सरकार के लिए लगातार फिर से चुनाव जीतकर सत्ता में लौटने का सबसे बड़ा गारंटी कार्ड होता है मतदाता का उस पर भरोसा। ये भरोसा पैदा होता है जनता से किये गए वायदों को पूरा करने से। आम राय ये है कि आम आदमी पार्टी द्वारा 2015 में अपने घोषणा पत्र में किये गए 70 वायदों में से ज़्यादातर वायदे पूरे नहीं किये गए।

हां ये जरूर है कि मुफ्त बिजली, पानी और उत्कृष्ट सरकारी स्कूली शिक्षा मुहैय्या कराने में आम आदमी पार्टी खरी उतरी है। निजी स्कूलों द्वारा मोटी फीस उगाही पर भी लगाम लगाकर आम आदमी पार्टी सरकार ने बड़ा काम किया है। मोहल्ले-मोहल्ले क्लीनिक खोलना और सस्ती दवाएं उपलब्ध कराना भी केजरीवाल सरकार की उपलब्धियों में शामिल है। खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य पर मोटा बजटीय आवंटन केजरीवाल सरकार के गरीबों के प्रति उत्तरदायित्व को दर्शाता है।

वैसे भी गारंटी कार्ड में कही गयी बातों में आधी से ज्यादा वे हैं जिन पर काम किया जा चुका है, बस विस्तारित करना है और जो 2015 के घोषणा पत्र में शामिल थीं लेकिन शुरू नहीं की गयी थीं। उदहारण के तौर पर महिला सुरक्षा को ही लें तो गारंटी कार्ड की बातें 2015 में घोषणा पत्र में भी कही गयी थीं जैसे स्ट्रीट लाइट्स, सीसीटीवी कैमरे, वाई-फाई सुविधा और बसों में सुरक्षा मार्शलों की तैनाती आदि।

Full View ये सब भी हाल ही में तब किया गया जब दिल्ली के चुनाव नजदीक आ गए थे और मई 2011 में हुए लोकसभा चुनाव में सात संसदीय सीटों में से पांच में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर पहुंच चुके थे। इसके उलट 2012 से 2018 के बीच महिलाओं के साथ बलात्कार और छेड़छाड़ की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि ही हुई है। सन 2012 में जहां बलात्कार के 702 मामले दर्ज़ किये गए थे वहीं 2018 में इनकी संख्या बढ़ कर 2,134 हो गई। इसी प्रकार छेड़छाड़ की घटनाएं 727 से बढ़ कर 3,134 पर पहुँच गईं।

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दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्ज़ा दिलाने,जन लोकपाल कानून और स्वराज्य कानून लाने की बात को भुला भी दिया जाये तो आपके एक बड़े वायदे घरेलू कामगारों सम्बन्धी बिल का क्या हुआ केजरीवाल जी ? निम्न आय वर्ग के लिए मकानों का क्या हुआ? किसानों के लिए सोलर पॉवर योजना का क्या हुआ ? ठेका शिक्षकों को नियमित करने के वायदे का क्या हुआ ? दिव्यांगों को हर जगह पहुंच पाने की सुविधा देने के वायदे का क्या हुआ ? दिल्ली को नशा मुक्त बनाने का क्या हुआ ? और केजरीवाल जी ! क्या हुआ उन युवाओं को रोज़गार देने का जिनसे आपने पांच सालों में 8 लाख नौकरियां देने का वायदा किया था ?

तो क्या आपके ये वायदे मोदी जी की ही तरह जुमले भर थे? वैसे भी आप मोदी जी की राह पर चलते नजर ही आ रहे है। याद कीजिये मोदी जी ने बनारस को क्योटो बनाने का वायदा किया था ना और आप भी दिल्ली की सड़कों को लन्दन और टोकियो जैसी बनाने का वायदा कर रहे हैं।

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