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दिल्ली चुनाव 2020: कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले लोगों की सरकार को लेकर क्या है राय ?
दिल्ली चुनाव से पहले 'जनज्वार' ने जाना छतरपुर विधानसभा का हाल, चुनाव में पानी की निकासी, कच्ची कॉलोनी और साफ-सफाई अहम मुद्दा, दिल्ली की सभी विधानसभा सीटों पर 8 फरवरी को मतदान...
विकास राणा और विवेक राय की ग्राउंड रिपोर्ट
जनज्वार। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के लिए इन दिनों सभी राजनीतिक दल पूरे जोर-शोर के साथ चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। प्रत्येक दल अपनी- अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहा है। लेकिन इन दावों और वादों में कितनी सच्चाई है। ये जानने के लिए जनज्वार की टीम ने इस बार छतरपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की राय जानी, साथ ही यह भी जानने की कोशिश की कि इस बार के विधानसभा चुनाव में क्या मुद्दे महत्वपूर्ण हैं।
साल 2008 में छतरपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के बलराम तंवर ने जीत दर्ज की थी जबकि साल 2013 में भाजपा के ब्राह्म सिंह तंवर इस सीट पर जीते थे। इसके बाद साल 2015 में आम आदमी पार्टी के करतार सिंह तंवर इस सीट पर जीतकर आए थे।
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बलराम तंवर को साल 2008 में कुल 32,406 वोट मिले थे, तब दूसरे नंबर पर भाजपा के ब्राह्म सिंह तंवर थे जिन्हें 27,376 वोट मिले थे। जबकि साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के ब्राह्म सिंह तंवर ने 49,975 वोटों के साथ जीत दर्ज की थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर कांग्रेस बलराम सिंह तंवर थे। बलराम तंवर को 2013 में 33,851 वोट मिले थे।
जनज्वार ने छतरपुर के कई इलाकों का जायजा लिया और मुद्दों व आगामी चुनावों को लेकर उनकी राय जानी। एक स्थानीय नागरिक बृजेश कुमार ने कहा कि जब केंद्र में भाजपा है तो यहां भी भाजपा होना जरूरी है। झूठे वादों से कुछ हो नहीं पाएगा। मेरे घर पर पानी के तीन मोटर लगे हैं लेकिन पानी आने का कोई टाइम नहीं हैं। जब हम पानी के लिए मोटर चलाते हैं जिसकी वजह से हम तीन से चार हजार रूपये उसका बिजली का बिल भरते हैं। मोटर के लिए हमने स्पेशल मीटर लगवाया है।
छतरपुर के आया नगर में दुकान चलाने वाले मनोज कुमार कहते हैं, 'ज्यादातर लोगों का रूझान आम आदमी पार्टी की ओर है। उसकी वजह यह है कि सरकारी स्कूल और अस्पतालों की स्थिति थोड़ा अच्छी है। कुल मिलाकर सारी सुविधाएं उतनी अच्छी नहीं है जितनी होनी चाहिए थी। कच्ची कॉलोनियों को लेकर ड्रामा हो रहा है। ये ड्रामा केंद्र सरकार कर रही है। कुछ गलतियां मैं आम आदमी पार्टी की भी मानता हूं कि उन्होंने जल्दी जल्दी नालियां बिछायी हैं लेकिन उनकी कोई व्यवस्था नहीं है। पानी लोगों के घरों के बाहर जमा है। सभी पार्टियां लोकलुभावन वादे कर रही हैं लोग उनपर भरोसा कर रहे हैं।'
कच्ची कॉलोनियों के सवाल पर एक अन्य व्यक्ति ने बातचीत में कहा कि आम आदमी पार्टी ने पहले की अपेक्षा स्कूल और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार है लेकिन कच्ची कॉलोनी को लेकर किसी ने कुछ नहीं किया है। जहां हम रहते हैं कि आना जाना भी मुश्किल है। हमें नहीं लगता है कि सरकार कच्ची कॉलोनियों को पक्का कर रही है क्योंकि हमें कोई कागजात नहीं मिले हैं।
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आया नगर में कुछ आगे-जाने पर जनज्वार की टीम को एक खाली मैदान मिला जिसमें कई लोगों के घरों की तोड़फोड़ की जा रही थी और चारों तरफ पत्थर के टुकड़े पड़े हुए थे। स्थानीय निवासी मनीष बताते हैं कि यह जमीन एमसीडी के अंतर्गत आती है। हमारे इलाके में सीवर के साथ जल निकासी बहुत बड़ी समस्या है। इसके अलावा यहां पर दिल्ली और उत्तर प्रदेश और बिहार से आने वाले मजदूर यहां पर अवैध रुप से आकर अपना घर बना लेते हैं और ये सब काम पुलिस की मिली भगत से किया जाता है।
मनीष बताते हैं कि पुलिस वाले इन गरीब लोगों से पैसे लेकर इन लोगों के घरों को बनने की इज़ाजत दे देते हैं लेकिन बाद में एमसीडी के अधिकारी आकर इन लोगों के घरों को तोड़ देते हैं। ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी कई बार एमसीडी वाले ऐसे करते आए हैं।
सरकार से नाराज आया नगर के स्थानीय निवासी रमेश कहते हैं कि केजरीवाल सरकार ने बिजली, पानी और स्कूलों की व्यवस्था तो काफी अच्छी की हुई है। लेकिन कच्ची कॉलोनियों को लेकर अभी तक सरकार का कुछ खास काम नहीं दिखता है। मुझे यहां रहते हुए 15 साल हो गए लेकिन अभी तक जल निकासी और सड़कों का काम किसी सरकार ने यहां पर नहीं किया है। प्रशासन के लोग यहां आकर पूरा रिसर्च कर के ले जाते हैं। लेकिन काम कुछ नहीं करते अभी चुनाव आ रहे हैं इसलिए सरकार की तरफ से कुछ काम दूसरे इलाकों में तेजी से हुआ लेकिन अभी तक हमारे इलाके की व्यवस्था के लिए कुछ खास काम नहीं किया गया है।