डीयू मैथ विभाग के धरनारत छात्रों ने कहा जानबूझकर किया जा रहा हमें फेल

Update: 2019-02-17 07:02 GMT

हम यूनिवर्सिटी परिसर में ही शांतिपूर्ण धरने पर बैठे हैं। इस दौरान डीन—प्रॉक्टर सब आये, पर उन्होंने हमारी मांगें नहीं मानीं। उल्टा प्रशासन द्वारा धरना दे रहे छात्रों को रात में बलपूर्वक कैंपस से बाहर निकाला जा रहा है....

सुशील मानव की रिपोर्ट

जनज्वार। दिल्ली यूनिवर्सिटी के मैथ डिपार्टमेंट में परास्नातक (MSc) छात्र-छात्राएं अपनी मांग और समस्याओं को लेकर पिछले दो दिन से लगातार धरने पर बैठे हैं। धरने पर बैठे छात्रों का आरोप है कि उन्हें जान—बूझकर फेल कर दिया जाता है।

MSc द्वितीय वर्ष की छात्रा नेहा कहती हैं, दिल्ली यूनिवर्सिटी में मैथ की कुल 300 सीटें हैं और ये हर साल भरी भी जाती हैं। इस साल भी भरी गई थीं, लेकिन सेंकंड ईयर में महज 192 बच्चे ही पास होकर आये हैं। बाकी फेल कर दिए गए थे। जबकि इनमें से बड़ी संख्या में छात्रों को तीसरे सेमेस्टर में फेल कर दिया गया है। आखिर में यहां 20 प्रतिशत बच्चे ही पास हो पाते हैं, 80 प्रतिशत बच्चे फेल कर दिये जाते हैं। फेल करने के अलावा एक बड़ी बात यह है कि पेपर देने के बावजूद कई बच्चों को अनुपस्थिति दिखाया गया है।

नेहा आगे बताती हैं कि यहां आने वाले बच्चे अलग अलग यूनिवर्सिटी—कॉलेज के टॉपर होते हैं। वो इंट्रेंस इक्जाम क्लियर करके एडमिशन लेते हैं। आप उनकी पढ़ाई के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं खड़े कर सकते। आप सेंट्रल लाइब्रेरी की सीसीटीवी फुटेज निकालकर देख लीजिए, उसमें मास्टर क्लास के मैथ के बच्चे आपको पढ़ते हुए मिलेंगे। विभाग के रवैये से छात्र इस हद तक वो मानसिक रूप से पीड़ित और परेशान हैं कि यहां परास्नातक के मैथ के छात्र-छात्राओं के चेहरों पर आपको हँसी नहीं मिलेगी।

गौरतलब है कि फर्स्ट ईयर के मिजर थियरी पेपर में 150 बच्चे फेल हैं, जबकि एक दूसरे पेपर में भी 150 से ज्यादा बच्चे फेल हैं। तीसरे सेमेस्टर के एक पेपर में 40 में से 35 बच्चे फेल हैं।

अंतिम वर्ष के छात्र विवेक चौधरी कहते हैं उन्होंने सभी चारों पेपर की परीक्षा दी, लेकिन रिजल्ट में उसे सभी चारों पेपर में अनुपस्थित दिखाया गया है। इसके शिकायत के लिए जब फोन किया गया तो डीयू के परीक्षा विभाग के विनय गुप्ता और गणित विभाग विभागाध्यक्ष प्रो. सीएस ललिता ने फोन नहीं उठाया। हमारे पेपर हमारे टीचर नहीं चेक करते। ये किसी और से चेक करवाये जाते हैं। अगर यही हमारे टीचर चेक करें तो हम नहीं फेल होंगे।

पीड़ित छात्र बताते हैं कि उनसे इवैलुएशन फार्म के लिए अलग से एक हजार रुपए लिए जाते हैं। जो बच्चे फेल हुए रहते हैं, उन्हें इवैलुएशन के बाद पासिंग मार्क्स देकर पास कर दिया जाता है। कई बच्चों को 70 में से 3 नंबर मिले थे। इवैलुएशन के बाद उन्हें 28 नंबर देकर पास कर दिया गया, लेकिन हम सिर्फ पासिंग मार्क्स लेकर क्या करेंगे। बहुत मेहनत के बावजूद हमारा 55 प्रतिशत नहीं बन पाता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैथ में मास्टर डिग्री लेकर पास होने वाला छात्र नेट में नहीं बैठ सकता, क्योंकि उसके 55 प्रतिशन बनते ही नहीं।

पीड़ित छात्रों का कहना है, इसके अलावा लगातार हर विषय में छात्रों की बैक आती है। बैक पर बैक आते हैं और चार साल के बाद छात्र परीक्षा में बैठने के लिए अयोग्य हो जाते हैं। तीसरे-चौथे सेमेस्टर में ऑप्शनल सब्जेक्ट का विकल्प होता। 4 विषय में से एक चुनना होता है, लेकिन छात्रों को उनके मनपसंद विषय नहीं दिए जाते। वैकल्पिक विषय भी जबर्दस्ती थोपे जाते हैं। ऑप्शनल में जो विषय दिए जाते हैं वो आगे थीसिस के सब्जेक्ट से मैच ही नहीं करते।

धरनारत छात्र कहते हैं हम यूनिवर्सिटी परिसर में ही शांतिपूर्ण धरने पर बैठे हैं। इस दौरान डीन—प्रॉक्टर सब आये, पर उन्होंने हमारी मांगें नहीं मानीं। उल्टा प्रशासन द्वारा धरना दे रहे छात्रों को रात में बलपूर्वक कैंपस से बाहर निकाला जा रहा है।

धरने पर बैठे छात्र कहते हैं कि उन्होंने अपनी समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मानव संसाधन विकास मंत्रालय मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को लेटर लिखकर अवगत कराया है। अगर अब हमारी बात नहीं सुनी गई तो हम डीन—प्रोक्टर सबके सामने सामूहिक आत्महत्या करेंगे।

क्या हैं छात्रों की मांग

छात्रों के उत्तर पुस्तिका को मुफ्त और पारदर्शी तौर पर रिचेक करने के लिए 15 दिन के अंदर एक स्वतंत्र जांच कमेटी का गठन किया जाए और हर एक छात्र को उसकी उत्तर पुस्तिका दिखाई जाए।

हर छात्र को उसकी उत्तर पुस्तिका दिखाई जाए, चाहे वो इंटरनल परीक्षा हो, हाउस परीक्षा हो, या सेमेस्टर परीक्षा हो।

ऑप्शनल सब्जेक्ट छात्र को उसकी निजी चुनाव या पसंद के आधार पर दिया जाए। मार्कस के आधार पर नहीं। यह डीयू के पोलिटिकल साइंस और पोलिटिकल डिपार्टमेंट में लागू है।

—जांच कमेटी में जो दोषी पाए जाएं एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा उनके खिलाफ़ सख्त कार्रवाई की जाए।

जिन छात्रों के बैकलॉग आये उनकी पुनर्परीक्षा हर सेमेस्टर परीक्षा के दो महीने के अंदर संपन्न करवाई जाए।

हर महीने छाक्षों को शिक्षकों का फीडबैक फार्म भरने की अवसर दिया जाए, ताकि शिक्षक और छात्रों के संबंध में पारदर्शी बने रहें।

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