नोटबंदी की भयंकर असफलता के बाद जब आंकड़े खुद इसके फेल होने की गवाही दे रहे हैं वैसे में राहुल गांधी के इस बयान को लोग हाथोंहाथ ले रहे हैं और उनकी छवि एक साहसी और परिपक्व नेता की बन रही है
नोटबंदी का पक्ष लेने वाले अंधभक्तों को जानना चाहिए कि पिछले 4 साल से देश में हर रोज खत्म हो रही हैं 550 नौकरियां, 35 साल से कम के साढ़े 12 करोड़ युवाओं को रोजगार की जरूरत, बेरोजगारों में 20 से 24 साल के युवा सर्वाधिक
जनज्वार। नोटबंदी पर पहली बार राहुल गांधी ने कुछ ऐसा बोला, जिसकी वजह से उनकी हर तरफ तारीफ हो रही है। आम जनता उनके नोटबंदी पर दिए बयान के बाद कहने लगी है कि काश मोदी की जगह राहुल हमारे पीएम होते तो हम इस हद तक तबाह न हुए होते, न ही नोटबंदी के कारण लाखों लोग सड़क पर आते।
गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एकाएक नोटबंदी की घोषणा की थी, जिस कारण भारतीय अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी। नोटबंदी में 500 और 1000 रुपए के नोट बंद कर दिए गए थे।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सिंगापुर में दिए अपने एक भाषण में नोटबंदी को एक ‘बुरी पहल नहीं’ बताते हुए कहा कि अगर मोदी की जगह वे देश के प्रधानमंत्री होते तो नोटबंदी के प्रस्ताव को कचरे में डिब्बे के हवाले कर देते।
राहुल गांधी ने उस दौरान यह बात कही जब वे दक्षिण एशियाई देशों की पांच दिवसीय यात्रा पर गए हुए हैं। 10 मार्च को राहुल गांधी ने मलेशिया यात्रा शुरू की थी इसी दौरान कुआलालंपुर में भारतीय समुदाय के लोगों से हुई बातचीत के दौरान उन्होंने यह बात कही।
भारतीय समुदाय ने उनसे सवाल किया था कि वह मोदी के बजाय नोटबंदी को कैसे अलग तरह से लागू करते? के जवाब में राहुल ने कहा था, ‘यदि मैं प्रधानमंत्री होता और कोई मुझे नोटबंदी करने के प्रस्ताव की फाइल देता तो मैं उसे कचरे के डिब्बे में, कमरे से बाहर या कबाड़खाने में फेंक देता।’
राहुल ने कहा, ‘मैं इसी तरह नोटबंदी लागू करता, क्योंकि मेरे हिसाब से नोटबंदी के साथ ऐसा ही बर्ताव किया जाना चाहिए था। नोटबंदी किसी के लिए भी अच्छी नहीं है।' राहुल गांधी का नोटबंदी पर दिए गए इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा हे।
जब मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी, तो कांग्रेस समेत कुछ अन्य दलों ने इसका जबर्दस्त विरोध किया था। नोटबंदी की असफलता अब सबके सामने आ भी चुकी है, ऐसे में राहुल के बयान के लिए आम जनता न सिर्फ उनकी तारीफ कर रही है, बल्कि यहां तक कहने लगी है कि हमें एक ऐसे ही परिपक्व राष्ट्रनेता की जरूरत है।
इस दौरान महिला सशक्तीकरण पर बात रखते हुए राहुल ने कहा, वूमैन इम्पावरमेंट के लिए स्त्री—पुरुष समानता ही काफी नहीं है, महिलाओं के जिस तरह का पक्षपात समाज में किया जाता है उसके लिए उन्हें पुरुषों की बजाय ज्यादा मदद और संसाधनों की जरूरत है।
राहुल ने कहा, ‘मैं महिलाओं को पुरुषों के बराबर नहीं मानता, बल्कि महिलाएं पुरुषों से कई गुना ज्यादा बेहतर हैं। इसके लिए सरकार को पक्षपात बरतते हुए जितना समर्थन पुरुषों को देते हैं, उससे ज्यादा महिलाओं को देना होगा, तभी सही मायनों में महिला सशक्तीकरण होगा।’