प्रयागराज विकास प्राधिकरण गरीबों को उजाड़ नियम विरूद्ध कर रहा सड़क चौड़ीकरण, विरोध में जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना

Update: 2019-12-08 04:18 GMT

केन्द्र व उप्र सरकार, प्रयागराज में सेना, प्रयागराज विकास प्राधिकरण, जिला प्रशासन तथा नगर निगम द्वारा परेड ग्राउंड सिविल लाइंस सागरपेशा तथा म्योर रोड राजापुर आदि में रहने वाले हजारों गरीबों-कमजोर वर्ग के लोगों के संविधान में दिये गये जीने व रोजगार के अधिकार को क्रूरता-बर्बरतापूर्वक छीन रहे हैं...

जेपी सिंह की रिपोर्ट

निवार 7 दिसंबर को सुबह 10:30 बजे से जिलाधिकारी प्रयागराज के कार्यालय पर एक धरना आयोजित किया गया और ज्ञापन दिया गया, जिसमें मुख्य रूप से शहर उत्तरी के पूर्व विधायक माननीय अनुग्रह नारायण सिंह, वरिष्ठ पार्षद शिव सेवक सिंह, उत्तम केसरवानी, प्रमिल केसरवानी समेत बड़ी सख्या में क्षेत्रीय जनता उपस्थित रही।

जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजा गया। ज्ञापन के माध्यम से प्रयागराज में रोड चौड़ीकरण मेन रोड चौड़ीकरण और सागर पैसा में रह रहे गरीब जनता को विकास के नाम पर उजड़े जाने के पूर्व उनके रहन-सहन और रोजगार के लिए उनको पहले घर देने की मांग की गयी।

ज्ञापन में कहा गया है कि म्योर रोड स्टैनली रोड यातायात चौराहे से पश्चिम की तरफ राजापुर मलीन बस्ती से क्लाइव रोड म्योर रोड हनुमान मन्दिर चौराहे तक बिना किसी स्वीकृत योजना के नियम विरूद्ध सड़क चौड़ीकरण करने पर आमादा प्रयागराज विकास प्राधिकरण को तत्काल रोका जाय, क्योंकि प्राधिकरण इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना करते हुए संविधान के अनुच्छेद 300ए, 14, 21 व उप्र नगर नियोजन और विकास अधिनियम 1973 की धारा 17 तथा भूमि अधिग्रहण नियम 1984 व 2013 के नियम व प्रावधानों के विपरीत नागरिकों की निजी भूमि पर अवैध कब्जा करने पर आमादा है।

हायोजना 2021 में उक्त क्षेत्र में म्योर रोड की चौड़ाई व गहराई यथावत रखने के पारित आदेश के विरूद्ध उक्त क्षेत्र के नागरिकों द्वारा दिये गये निम्न प्रत्यावेदनों (अनुस्मारकों) पर आज तक कोई निर्णय नहीं किया गया।

ज्ञापन में कहा गया है कि दो बार ई-निविदा निरस्त करके दिनांक 05 दिसम्बर 2019 को बिना किसी सार्वजनिक सूचना के ई-निविदा मात्र ऑनलाइन डालकर व दिनांक 16 दिसम्बर 2019 को एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अधिकारों एवं अधिशासी अभियन्ता एसडी शर्मा व मुख्य अभियन्ता सुबोध राय द्वारा गोपनीय ढंग से तीसरी बार निविदा प्रारूप बलदकर नियम विरूद्ध ई-निविदा कराने का प्रयास किया जा रहा है।

ही नहीं निविदा को पूल करवाकर भारी कमीशन लेकर धन उगाही करने के लिए ऐसा किया जा रहा है क्योंकि लोक निर्माण विभाग द्वारा उक्त म्योर रोड राजापुर का नवम्बर 2018 में नवीनीकरण व निर्माण मात्र धनांक 50.59 लाख में किया जा चुका है, जबकि प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा 14 गुना अधिक आगणन 707.70 की निविदा नियम विरूद्ध सरकार व शासन को गुमराह करके नियम विरूद्ध करायी जा रही है। इस पर तत्काल रोक लगाई जाय।

ज्ञापन में कहा गया है कि केन्द्र व उप्र सरकार, प्रयागराज में सेना, प्रयागराज विकास प्राधिकरण, जिला प्रशासन तथा नगर निगम द्वारा परेड ग्राउंड सिविल लाइंस सागरपेशा तथा म्योर रोड राजापुर आदि में रहने वाले हजारों गरीबों-कमजोर वर्ग के लोगों के संविधान में दिये गये जीने व रोजगार के अधिकार को क्रूरता-बर्बरतापूर्वक छीन रही है।

प्रयागराज में पीडी टण्डन बनाम उप्र राज्य सरकार के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय ने क्रमश दिनांक 25 मार्च 1986 तथा 14 जनवरी 1987 को निर्णय देते हुए कहा है कि ‘नजूल भूमि पर पुश्त-दर-पुश्त निवासित कमजोर वर्ग के सागरपेशा वासियों की सूची बनाकर पांच वर्षों में पुर्नवासित किया जाये। अन्यथा जब तक पूर्ववासन नहीं होता, तब तक विस्थापित न किया जाये। इसके बावजूद जहां सैन्य प्रशासन कैंट क्षेत्र में बसे सागरपेशा और निर्धनतम लोगों को उजाड़ने में लगा है, वहीं राज्य सरकार और उसके अंतर्गत प्रयागराज विकास प्राधिकरण एवं नगर निगम नजूल जमीन पर बसे लोगों को विस्थापित करके बहुमंजिले भवन बनाना चाहता है।

ज्ञापन में कहा गया है कि देश संविधान और कानून के शासन की अवधारणा पर चलता है। संविधान में लोगों को जीने का अधिकार भी दिया गया है। जीने के अधिकार में निवास व जीविकोपार्जन भी आता है। समय-समय पर उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय ने गरीबों के जीने के मौलिक अधिकार को संरक्षण प्रदान किया है, जो संविधान के अनुच्छेद- 14 के अनुसार कानूनी प्रभाव रखते हैं, जब तक कि संसद या विधानसभा उसको निरस्त या परिवर्तित न कर दे।

ज्ञापन में याद दिलाया गया है कि तत्कालीन कांग्रेस विधायक अनुग्रह नारायण सिंह ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में उठाया था, जिस पर सरकार ने सर्वे कराकर पुर्नवासित करने का आश्वासन दिया था, जो उप्र विधानसभा की सरकारी आश्वासन समिति के समक्ष आश्वासन संख्या 8/2011 आज भी लंबित है। अपूर्ण सर्वे में 1049 परिवारों की सूची केवल सिविल लाइंस में विकास प्राधिकरण, नगर निगम व जिला प्रशासन द्वारा बनायी गयी है। इसी में 26 थार्नहिल रोड में निवासित 40 परिवारों को 17 नवम्बर को संविधान, न्यायालयों के निर्णयों, विधानसभा के विशेषाधिकार का उल्लंघन करके बर्बरतापूर्वक उजाड़ दिया गया। इस संबंध में विधानसभा के विषेशाधिकार की अवमानना की नोटिस अनुग्रह नारायण सिंह ने 25 नवम्बर 2019 को अध्यक्ष, आश्वासन समिति को दिया है।

स प्रकार दारागंज, अलोपीबाग, मोरी किला, परेड ग्राउंड के विभिन्न बस्तियों के संबंध में संगम क्षेत्र मलिन बस्ती संघ बनाम भारत सरकार रक्षा विभाग, उप्र राज्य सरकार, कमांडेंट ओडी फोर्ट, सीईओ कैंट बोर्ड, मेला अधिकारी तथा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने अंतिम निर्णय में दिनांक 03 मई 2010, 27 जुलाई 2010 तथा 03दिसम्बर 2010 को केन्द्र व राज्य सरकार को यहां पर निवासित सभी लोगों को पुनर्वासित करने तथा पुनर्वासन न होने तक विस्थापित न करने का निर्देश दिया है, किन्तु समय-समय पर सेना तथा पुलिस प्रशासन न्यायालय की अवमानना करते हुए मानवीय संवेदनाओं को दफन करते हुए गरीब महिलाओं, पुरुष, बच्चों पर कहर बरपाते रहते हैं। इस संबंध में भी अवमानना याचिकाएं इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित है।

केन्द्र व राज्य सरकार गरीबों को मकान उपलब्ध कराने की गगनभेद योजनाएं करोड़ों रुपये का विज्ञापन देकर प्रचारित कर रही है, किन्तु प्रयागराज नगर में इन सरकारों द्वारा एक भी निर्माण अभी तक नहीं किया गया है। प्रयागराज में गरीबों को मकान- जीविकोपार्जन का प्रबंध तो नहीं किया जा रहा है उल्टा सौन्दर्यीकरण के नाम पर बिना मुआवजा दिये हजारों लोगों के मकान-दुकान को ध्वस्त करा दिया गया तथा इस समय राजापुर - म्योर रोड, कटरा आदि में शैतानी लाल निशान लगा दिया गया है। यहां के लोग भय और आतंक में जी रहे हैं तथा कई लोग बीमार हो गये हैं। एक की मृत्यु भी हो गयी है।

ज्ञापन में अपील की गयी है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रयागराज में मानवीय संवेदनाओं, संविधान, न्यायालयों तथा विधानसभा में दिये गये आश्वासनों को दरकिनार करते हुए बर्बर कार्यवाही को तत्काल रुकवायें तथा बिना मुआवजे दिये सड़क चौड़ीकरण के नाम पर यहां के निवासियों की फ्रीहोल्ड जमीन पर 60 से सौ साल पुराने भवनों के अवैध ध्वस्तीकरण जैसे सभी मामलों की निष्पक्ष जांच कराकर गरीबों का पुनर्वास कराये, ध्वस्तीकरण का मुआवजा देने का आदेश करें तथा सभी दोषी अधिकारियों को दंडित करें।

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