थिरुवल्लुर विवि जहां से अंकित बसोया आए हैं वहां के मैनेजमेंट ने दी एनएसयूआई को जानकारी जिस मार्कशीट की जानकारी मांगी गई, वह है फर्जी ...
भाजपा के छात्र संगठन ABVP ने किया अंकित बसोया की फर्जी डिग्री होने की बात का खंडन, कहा फर्जी नहीं है अंकित की मार्कशीट यह है विरोधियों की चाल
जनज्वार, दिल्ली। पिछले हफ्ते 13 सितंबर को दिल्ली यूनिवसिर्टी छात्र संघ चुनावों में अध्यक्ष पद की कुर्सी पर विराजमान हुए एवीबीपी के अंकित बसोया की डिग्री को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर उनकी मार्कशीट की कॉपी जारी करते हुए के साथ तरह—तरह की टिप्पणियां की जा रही हैं।
गौरतलब है कि एबीवीपी के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अंकित बसोया ने कड़ी प्रतिस्पर्धा में एनएसयूआई के उम्मीदवार सन्नी छिल्लर को हराया था।
जहां सोशल मीडिया पर अंकित बसोया की मार्कशीट वायरल हो रही है, वहीं एवीबीपी का कहना है कि यह उनके विरोधियों द्वारा फैलाई जा रही मात्र एक अफवाह है।
कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने दावा किया है कि उनके संगठन के तमिलनाडु के छात्रों ने थिरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी से अंकित बसोया की मार्कशीट और प्रमाणपत्र की जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में थिरुवल्लुवर यूनिवर्सिटी ने कागजात उपलब्ध कराये हैं, जो सोशल मीडिया में डाले गए हैं। एनएसयूआई के मुताबिक थिरुवल्लुर विवि ने कहा है कि जिस मार्कशीट की जानकारी मांगी गई, वह एक फर्जी मार्कशीट है। सइी के बाद एनएयूआई ने डंके की चोट पर प्रचारित करना शुरू किया है कि अंकित ने गलत मार्कशीट देकर डीयू में एडमिशन लिया था।
अंकित बसोया डिग्री विवाद से पहले प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी की डिग्री के फर्जी होने पर विवाद हो चुका है और दोनों ही अपनी डिग्री आज तक नहीं दिखा पाए हैं।
छात्र नेता और स्वराज अभियान के मुख्य प्रवक्ता अनुपम कहते हैं कि सबूतों से साफ है कि डूसू छात्र संघ अध्यक्ष पद पर जीते अंकिव बसोया की डिग्री फर्जी है और दिल्ली विश्वविद्यालय में उनका प्रवेश ही गलत तरीके से हुआ है। पर बसोया ने अपने को मोदी का असली अनुसरणकर्ता साबित किया है।
वहीं शिवम जायसवाल लिखते हैं, दिल्ली विश्वविद्यालय के नव निर्वाचित छात्र संघ अध्यक्ष ABVP के अंकित बसोया की डिग्री फर्जी निकली, शायद इन्होंने मोदी जी से ही प्रेरणा ली होगी। मोदी जी से इस तरह के कामों में जबरदस्त प्रेरणा मिलती है भक्तगण देर ना करें ऐसे ही लेते रहें।'
वहीं टाइम्स नाऊ को दिए एक बयान में डीयू के नवनिर्वाचित छात्रसंघ अध्यक्ष ने कहा है कि 'मेरा स्नातक वास्तविक है। मैं उनके खिलाफ कार्रवाई करूंगा। ये लोग जानबूझकर विवाद खड़े कर रहे हैं। पहले इन्होंने ईवीएम पर विवाद खड़ा किया, लेकिन जब हार गए तो अब बेबुनियाद मुद्दे को उठा रहे हैं।'
वहीं एबीवीपी ने मीडिया में बयान जारी कर कहा है कि 'डीयू ने अंकित का एडिमिशन उनके प्रमाण पत्रों की वेरिफिकेशन के बाद ही किया था। डीयू के पास आज भी इसका अधिकार है कि अगर वह किसी दस्तावेज की छानबीन करना चाहती है तो कर सकती है।'
यहां एक बात गौर करने वाली है कि डीयू में एडमिशन मेरिट के आधार पर होता है, जिसके लिए छात्र के अच्छे मार्क्स होने जरूरी होते हैं।
गौरतलब है कि मतगणना के दौरान ईवीएम में खराबी आने से मतगणना केंद्र में छात्रों ने जमकर बवाल भी काटा था जिसके बाद काउंटिंग टाल दी गई थी। लेकिन बाद में फिर से काउंटिंग शुरू हुई और रात में परिणाम जारी किए गए।
एनएसयूआई ने यह भी आरोप लगाया था कि ईवीएम में छेड़छाड़ की गई है साथ ही आरएसएस व बीजेपी की शह पर विश्वविद्यालय चुनाव आयोग ने एबीवीपी को जिताया है। हालांकि इसके बाद चुनाव आयोग ने मामले पर सफाई देते हुए कहा कि डूसू में प्रयोग की गई ईवीएम चुनाव आयोग की नहीं थी, जबकि अमित शाह ने इस जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा था यह राष्ट्रीय विचारधारा की जीत है।