सुप्रीम कोर्ट जजों में विद्रोह कराने वाली चिट्ठी की मुख्य बातें

Update: 2018-01-12 17:11 GMT

जनज्वार, दिल्ली। तीन महीने के गंभीर चिंतन और परेशानी के बाद मीडिया और देश के सामने आए चारों वरिष्ठ जजों ने मीडिया में एक चिट्ठी जारी की है। 7 पेज की उस चिट्ठी में कई गंभीर बातें कही गयी हैं। साथ ही चिट्ठी जजों की प्रेस कांफ्रेंस में कही बात कि 'सुप्रीम कोर्ट में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है' को सच साबित करती हैं।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को संबोधित 7 पन्नों के पत्र में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ द्वारा कही गयी मुख्य बातें :

1. सुप्रीम कोर्ट की परंपरा रही है कि निर्णय सामूहिक तौर पर लिए जाते रहे हैं, लेकिन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा इस परंपरा से बाहर जा रहे हैं। यह परंपरा न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को बल्कि देश के लोकतंत्र को खतरे में डालने वाली है।

2. जैसे मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र मुकदमों के बंटवारों में सुप्रीम कोर्ट के नियमों का ही पालन नहीं कर रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश खुद ही उन मामलों में अथॉरिटी के तौर पर आदेश नही दे सकते, जिन्हें किसी और उपयुक्त बेंच ने सुना हो। अगर इसका वे पालन नहीं करते हैं और उक्त सिद्धांत को नहीं मानते तो यह अनुचित, अवांछित और अशोभनीय है।

3. इसी के कारण कई महत्वपूर्ण मामलों को जो सुप्रीम कोर्ट के मानदंडों को प्रभावित करते हैं, उन्हें मुख्य न्यायाधीश उन बेचों की जजों को सौंद देते हैं जो उनकी पसंद के हैं। इस मनमानी के कारण सुप्रीम कोर्ट की छवि धुमिल हो रही है, कोर्ट की गरिमा पर सवाल उठता है।

4. मुख्य न्यायाधीश को संबोधित पत्र में कहा गया है कि 27 अक्टूबर, 2017 को आरपी लूथरा बनाम केंद्र को आपने 'चीफ जस्टिस' सुना था। पर एमओपी मामले में सरकार को पहले ही कहा जा चुका है कि वह इसे फाइनल करे। ऐसे में इस मामले को सिर्फ संवैधानिक बेंच को ही सुनना चाहिए पर आपने सुना।

5. एमओपी 'मेमारेंडम आॅफ प्रोसिड्यूर' के लिए निर्देश के बाद भी सरकार चुप है। क्या सरकार उसे मान चुकी है। कोई और बेंच उस पर टिप्पणी न करे। स्थिति स्पष्ट नहीं है।

6. जस्टिस कर्णन केस को लेकर भी जजों की नियुक्ति के मामले में सवाल उठे थे। कर्णन के मामले में महाभियोग के विकल्प की भी संभावना रखी गयी थी। लेकिन एमओपी की चर्चा नहीं हुई।

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