गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्रों के आगे झुकी​ त्रिवेंद्र सरकार, मगर 50 दिन से अनशनरत आयुर्वेद छात्रों पर क्यों नहीं दे रही ध्यान

Update: 2019-11-20 11:52 GMT

आयुष विश्वविद्यालय की आंदोलनरत छात्र प्रगति कहती हैं, उत्तराखंड के आयुष मंत्री हरक सिंह रावत के खुद का है 1 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज दून इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक मेडिकल साइंस, इसलिए वो इस पर कोई एक्शन नहीं होने देना चाहते हैं और न ही खुद कोई प्रयास कर रहे...

देहरादून, जनज्वार। एक तरफ जेएनयू के छात्र विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा फीस वृद्धि समेत तमात तरह की बढ़ोत्तरियों के खिलाफ आंदोलनरत हैं, वहीं उत्तराखण्ड के गढ़वाल विश्‍वविद्यालय के छात्र भी फीस बढ़ाने के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। जेएनयू के छात्रों को कितनी सफलता मिली है और किस तरह शासन-प्रशासन ने उनको शांत करने के लिए दमन का सहारा लिया यह पूरे देश ने देखा, मगर गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्रों ने जरूर अपनी लड़ाई की पहली मंजिल पार कर ली है, क्योंकि उत्तराखण्ड की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने उनकी बात मानते हुए बढ़ी हुई फीस वापस करने का आश्वासन दिया है।

गौरतलब है कि गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र फीस वृद्धि के खिलाफ आंदोलनरत थे। छात्रों का कहना था कि अनावश्यक रूप से फीस बढ़ा दी गयी थी, जिसके बाद छात्रों ने आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर लिया था। 10,000 से ज्यादा छात्रों के विरोध के आगे झुकते हुए सरकार ने गढ़वाल विश्वविद्यालय को बढ़ी हुई फ़ीस वापस छात्रों को करने का आदेश दे दिया। विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेज अब 10,000 से ज्यादा छात्रों को बढ़ी हुई फ़ीस के 1200 रुपये वापस करेंगे।

ह तो गढ़वाल विश्वविद्यालय जोकि सरकारी था, उससे जुड़ा मामला है, मगर उत्तराखण्ड में भी असल लड़ाई आयुर्वेद कॉलेज के छात्रों की है, जिनको सरकार ने फिलहाल कोई राहत नहीं दी है। हालांकि आज 20 नवंबर को आयुष के आंदोलनरत छात्रों की मुख्यमंत्री के ओएसडी के साथ मीटिंग हुई थी, जिसमें सरकार की तरफ से ओएसडी ने कहा कि आप लोग अपना आंदोलन खत्म कर लीजिये हम आपकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश करेंगे।

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स संबंध में आयुष कॉलेज के छात्र आंदोलन से जुड़ी छात्रा प्रगति जोशी ने जनज्वार से हुई बातचीत में कहा, 'हमें मुख्यमंत्री के ओएसडी ने आंदोलन खत्म करने के संबंध में बातचीत के लिए बुलाया था और उन्होंने आश्वासन दिया कि हम लोग जल्द से जल्द आपकी मांगों को पूरा करेंगे, मगर हम अपना आंदोलन मात्र आश्वासनों पर नहीं तोड़ने वाले हैं। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं हम आमरण अनशन और आंदोलन जारी रखेंगे।'

प्रगति आगे कहती हैं, 'उत्तराखंड के आयुष मंत्री हरक सिंह रावत का खुद का 2 प्राइवेट मेडिकल कॉलेज दून इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक मेडिकल साइंस है, इसलिए वो इस पर कोई एक्शन नहीं होने देना चाहते हैं और न ही खुद कोई प्रयास कर रहे। पुराने बच्चों से तक बढ़ी हुई फीस वसूली जा रही है। यही नहीं बैक पेपर भी नियमित रूप से नहीं कराए जा रहे हैं।'

फिलहाल आयुष कॉलेज के ललित पिछले 7 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं। उससे पहले प्रगति जोशी आमरण अनशन पर बैठी थीं, जिनकी तबीयत खराब होने के बाद ललित आमरण अनशन पर बैठे।

गौरतलब है कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबद्ध हिमालयी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में छात्र अपनी मांगों को लेकर 10 अक्टूबर से आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनके आंदोलन और आमरण अनशन को 40 दिन पूरे हो चुके हैं। इससे कई दिन पहले से बढ़ी हुई फीस और बैक पेपर कराये जाने समेत कई अन्य मांगों को लेकर आंदोलनरत छात्र धरने पर बैठे हुए थे। कांग्रेस और उत्तराखण्ड क्रांति दल समेत अन्य कई राजनीतिक—सामाजिक संगठनों का समर्थन मिलने के बावजूद सरकार छात्रों की मांगों पर कान नहीं दे रही थी।

पिछले महीने 3 अक्टूबर को छात्रों का आंदोलन तब हंगामे में तब्दील हो गया था, जब अपनी मांगों की कोई सुनवाई न होने पर उग्र हुए छात्रों ने विश्वविद्यालय में सभी की आवाजाही रोक दी। इसके कारण स्थानीय लोगों और छात्रों के बीच टकराव पैदा हो गया। इसके बाद आंदोलनकारी छात्रों के लिए कुलपति ने पांच अक्तूबर को त्रिपक्षीय बैठक बुलाई थी। 4 अक्टूबर को आंदोलनरत छात्रों ने यह कहते हुए आयुष मंत्री हरक सिंह रावत के पुतले शवयात्रा निकाली कि फीस संबंधी मामला पिछले काफी वक्त से चल रहा है, पर मंत्री ने इसे सुलझाने की कभी पहल नहीं की।

ढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के छात्रों को बढ़ी हुई फीस लौटाने पर आयुर्वेद कॉलेज के एक आंदोलनकारी छात्र कहते हैं, गढ़वाल विश्वविद्यालय से जुड़ा मामला सरकारी था इसलिए सुलझ गया, मगर 80 करोड़ रुपये वसूलने वाले प्राइवेट आर्युवेद कॉलेज चुप हैं। प्राइवेट कॉलेजों ने 80,000 से बढ़ाकर सालाना फ़ीस एकाएक 2.15 लाख रुपये कर दी, जो हमारे साथ सरासर अन्याय है।

रकार तो सैकड़ों आयुर्वेद छात्रों के अनशन और आंदोलन पर ध्यान नहीं ही दे रही है, उनसे मोटी फ़ीस वसूलने वाले कॉलेज मालिकों को भी छात्रों की कोई फिक्र नहीं है।

स बीच मीडिया में एक निजी कॉलेज उत्तरांचल आयुर्वेदिक कॉलेज के मालिक अश्विनी कॉम्बोज का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह आंदोलन कर रहे छात्रों को धमका रहा है कि हम तुम्हारा कैरेक्टर खराब कर देंगे, जल्दी अपना आंदोलन वापस ले लो।

स वीडियो पर आंदोलनरत छात्र कहते हैं, हम किसी की भी धमकी से अपना अनशन वापस नहीं लेंगे, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी अनशन और आंदोलन जारी रहेगा।

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