दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पाया कि गौतम नवलखा का हाउस अरेस्ट है गलत, महाराष्ट्र पुलिस के दो दिन और हाउस अरेस्ट में रखने के आग्रह को भी किया खारिज
जनज्वार। सीपीआईएमएल नेता कविता कृष्णन ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और कहा कि गौतम नवलखा की गिरफ्तारी को अवैध बताकर अदालत ने न्याय की गरिमा को बढ़ाया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पाया कि पुणे के भीमा कोरेगांव मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की हिरासत अवैध है और उन्हें तत्काल हाउस अरेस्ट यानी नजरबंदी से मुक्त करने का आदेश दिया है।
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गौरतलब है कि गौतम नवलखा को देश के अन्य पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था। कहा गया था कि इन कार्यककर्ताओं से माओवादियों से संबंध थे और वहां दिसंबर 2017 में जो हिंसा हुई है, उसमें इन कार्यकर्ताओं की भूमिका है।
दक्षिण दिल्ली में साकेत जिला अदालत से उन्हें पुणे पुलिस रिमांड पर लिए जाने का आदेश ले चुकी थी, पर इस आदेश के बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत की रिमांड को भी रद्द कर दिया है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा के अलावा वकील, शिक्षक और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, ख्यात कवि और बुद्धिजीवी वरवर राव, जिनेस आॅर्गनाइजेशन के वर्णन गोंजालविस और लेखक—सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा को छापेमारी के बाद पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा में संलिप्त बताते हुए गिरफ्तार किया था।
इन पांचों मानवाधिकारवादियों को महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को ऐलगार परिषद के बाद कोरेगांव-भीमा गांव में हुई हिंसा के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था।