भैयादूज पर यहां बहनें श्रापती हैं भाइयों को और पूजती हैं कांटों से

Update: 2017-10-21 16:47 GMT

भैयादूज पर सारे देशभर में महिलाएं अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करते हुए उनका तिलक करती हैं, वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में गालियों से नवाजकर श्रापती हैं बहनें अपने भाइयों को...

चक्रपाणि ओझा

गोवर्धन देश के विभिन्न हिस्सों में कई तरह से मनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोवर्धन के दिन बहनें भाईयों को पूरे मन से श्रापती हैं। यह परंपरा कब से शुरू हुई इसके बारे में आज की महिलाएं कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं हैं।

जब पूरे देश में बहनें भैया दूज का पर्व मना रही हैं, तब पूर्वांचल की बहनें अपने भाइयों को श्राप देती हैं। इतना ही नहीं जंगल में पाये जाने वाले कांटों और खतरनाक खरपतवारों को सामने रखकर भाई के नाश होने, अजगर डसने जैसी कामना करती हैं।

कितना आश्चर्यजनक है कि एक बहन अपने भाई के लिए इतना बुरा सोचती है। इन सबके बाद बहनें गोबर की चिपरी पर रखकर सारे कांटे गोवर्धन के पूजास्थल पर चढ़ा आती हैं। गोवर्धन के दिन सुबह—सुबह बिना कुछ खाये—पीये बहनें इस रस्म को निभाती हैं।

इसके बाद फिर वही बहनें बहनें कुछ देर बाद समूह में एकत्र होकर गोवर्धन पूजा करती हैं और भाइयों की रक्षा करने की गुहार लगाती हुई गीत गाती हैं। साथ ही गोधन कूटने की रस्म पूरी करती हुई अपना व्रत तोड़ती हैं। पूर्वांचल में इस प्रकार होती है गोवर्धन पूजा।

यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। नई पीढ़ी की महिलाएं इस परंपरा के बारे में बहुत कुछ नहीं जानतीं, लेकिन इतना जरूर है कि उन्होंने अपनी इस लोक परंपरा को संजोकर आज भी रखा हुआ है।

गोवर्धन इस तरह मनाने का आशय और इसका संदेश यह है कि बहनें कभी भी अपने भाई से नाराज नहीं रह पातीं। यह लोकपर्व भी यही बताता है कि अगर बहन नाराजगी में भाई को कुछ बुरा कह भी देती हैं, तो तुरंत ही उसकी खैरियत की कामना भी करने लगती हैं। यही है पूरब की परंपरा।

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