रेलवे भर्ती के विकलांग अभ्यर्थियों का आरोप, हमारा आरक्षण खा गयी मोदी सरकार

Update: 2019-12-02 13:30 GMT

बीते एक सप्ताह से रेलवे में नियुक्ति को लेकर प्रदर्शन कर रहे विकलांग अभ्यर्थी, सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की हुई नियुक्ति लेकिन आरक्षण के बावजूद विकलांग अभ्यर्थियों की नहीं...

नज्वार। रेलवे विभाग में भर्ती प्रक्रिया में धांधली का आरोप लगाते हुए विकलांग अभ्यर्थी ने दिल्ली के मंडी हाउस में छह दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन में शामिल विकलांग अभ्यर्थियों का आरोप है कि भारतीय रेलवे द्वारा 2018 में लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था। चयन होने के बाद भी अब तक किसी की नियुक्ति नहीं हो पाई है जबकि सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्तियां 10 महीने पहले हो चुकी हैं।

साल 2018 में अलग-अलग राज्यों के रेलवे भर्ती बोर्ड की ओर से 6200 पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे। नियमानुसार इनमें विकलांगों के लिए तीन फीसदी पदों पर आरक्षण का प्रावधान किया गया था। इसके बाद 2016 में अधिनियम मे संशोधन किए जाने के बाद आरक्षण को बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया लेकिन उसके बाद भी जो भर्तियां रेलवे द्वारा निकाली गई थी उसमें पूरे देश को भी मिला लिया जाए तो 729 सीटों के लिए भर्ती निकली थी। जबकि विकलांगों के लिए आरक्षण के प्रावधान के मुताबिक 1700 सीटें विकलांगों के लिए आरक्षित थीं। यही नहीं जिन विकलांग अभियार्थियों को लिखित परीक्षा में चयनित किया गया, उन्हें बाद में डिसक्वालिफाई कर दिया गया।

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Full View मामले को लेकर कोटा राजस्थान से आए प्रदर्शनकारी नवीन मीणा ने जनज्वार से कहा, 'साल 2018 रेलवे की भर्ती में हुए घोटाले के विरोध में विकलांग अभ्यर्थियों के द्वारा ये आंदोलन किया जा रहा है। नवीन घोटाले आरोप लगाते हुए बताते हैं कि जब विकलांग अधिनियम 1995 बना था तब विकलांगों के लिए परीक्षा देने के लिए सिर्फ तीन श्रेणियाों के विकलांगों को शामिल किया जाता था लेकिन 2016 में इस अधिनियम में संशोधन कर दिया गया। साथ ही संशोधन करने के बाद अधिनियम का नाम भी बदल दिया गया।

न्होंने आगे बताया, 'इसके साथ ही एक और श्रेणी को भी जोड़ दिया गया जिसके बाद 12 मार्च 2018 को रेलवे के द्वारा भर्ती निकाली गई, ये भर्ती विकलांग अधिनियम 2016 के अनुसार नहीं निकाली गई थी क्योंकि इसमे केवल 3 प्रतिशत आरक्षण ही दिया गया था जबकि 2016 अधिनियम के अनुसार विकलांगो के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है।'

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वीन बताते हैं, 'जो पहला नोटिफेकशन हमें रेलवे की तरफ से 12 अक्टूबर 2019 को आया था जो 1995 के अधिनियम के अनुसार था। इसमें भी जो सीटें थी वो कुल 729 थी जबकि आरक्षण के प्रावधानों के मुताबिक हमारे लिए 1700 सीटे मिलनी चाहिए थी। साथ ही भर्ती में 13 जोन ऐसे थे जहां विकलागों के लिए कोई जगह ही नहीं थी, वहां भर्ती में सीटों की संख्या जीरो थी।

क अन्य प्रदर्शनकारी सीमा सिंह जनज्वार को बताती हैं, 'हम लोग पिछले 7 दिनों से यहां भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं लेकिन प्रशासन हमारी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। हम लोग परीक्षा को पास करके आए हैं लेकिन अबतक हमारी भर्ती की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई जबकि प्रशासन ने हमारे सारे कागजात की जांच कर ली थी। मेरी सरकार से मांग है कि जल्द से जल्द हम लोगों की मांगों को माना जाए और हमारी भर्ती प्रक्रिया को दुरस्त किया जाए।

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