भारत में शुरू हो गया कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का दावा

Update: 2020-06-01 12:15 GMT

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की इस टीम का कहना है कि देश में कुछ बड़े वर्गों और अलग-अलग इलाकों में रहने वाली जनसंख्या में फैलना शुरू हो गया। एक्सपर्ट्स ने दावा किया कि इस महामारी के खिलाफ कदम उठाने पर महामारी विशेषज्ञों की (एपिडेमियोलॉजिस्ट) की राय नहीं ली गई...

जनज्वार ब्यूरो। देश में कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से अपने पैर पसार रहा है। देशभर में अबतक 1,91,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं दुनियाभार में कोरोना वायरस के मामलों की बात करें तो अब भारत का सातवां नंबर है। इस मामले में भारत फ्रांस और जर्मनी को भी पछाड़ दिया है। इस बीच खबर आ रही है कि भारत में चौथे चरण के लॉकडाउन के दौरान कम्युनिटी ट्रांसमिशन के मामले शुरु हो गए हैं। हालांकि सरकार की तरफ से इस पर कोई बयान नहीं आया है।

नसत्ता डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम ने दावा किया है कि देश के कुछ हिस्सों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन तेजी से फैल रहा है। जिस टीम ने इस बात का खुलासा किया है कि उनमें ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के हेल्थ एक्सपर्ट्स और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के दो रिसर्चर्स शामिल हैं।

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विशेषज्ञों की इस टीम का कहना है कि देश में कुछ बड़े वर्गों और अलग-अलग इलाकों में रहने वाली जनसंख्या (सब-पॉपुलेशन) में फैलना शुरू हो गया। एक्सपर्ट्स ने दावा किया कि इस महामारी के खिलाफ कदम उठाने पर महामारी विशेषज्ञों की (एपिडेमियोलॉजिस्ट) की राय नहीं ली गई।

स रिपोर्ट को सामने लाने वाली टीम में एम्स और आईसीएमआर के एक्सपर्ट्स के अलावा इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमियोलॉजिस्ट के एक्स्पर्ट्स भी शामिल हैं। इस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा जा चुका है।

Full View में वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस समय यह मानना काफी मुश्किल है कि कोरोनावायरस महामारी को इस स्टेज में ही खत्म किया जा सकता है। खासकर तब जब कम्युनिटी ट्रांसमिशन अलग-अलग क्षेत्र में आबादियों में फैल चुका है। देश में लगे कड़े लॉकडाउन का एक फायदा यह हुआ कि इससे कोरोना के फैलने का समय बढ़ गया जिससे इसके कर्व को फ्लैट किया जा सके और हेल्थकेयर सिस्टम पर अचानक ज्यादा बोझ न पड़े।

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विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसा लगता है कि चौथे लॉकडाउन के खत्म होने तक इस लक्ष्य को पा लिया गया है। हालांकि, इस दौरान अर्थव्यवस्था और आम जनता के जीवन में काफी परेशानियां आई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 मार्च से 31 मई तक लगा लॉकडाउन काफी कड़ा था, लेकिन फिर भी कोरोना के केस 25 मार्च को 606 से लेकर 24 मई को 1,38,845 तक पहुंच गए। यानी नए केस लगातार और काफी तेजी से बढ़े। 16 सदस्यी कोविड टास्क फोर्स में आईएपीएसएम के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर शशिकांत और एम्स के हेड ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन डॉक्टर संजय के भी शामिल हैं।

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