देश में भारी किल्लत के बावजूद भारत ने सर्बिया को भेजे 90 टन सुरक्षा उपकरण, ऐसे हुआ खुलासा
देश में भारी किल्लत के बावजूद भारत ने सर्बिया को भेजे 90 टन सुरक्षात्मक उपकरण, यूनाइटेड नेशन के ट्वीट से हुआ खुलासा, देश के भीतर फटे रेनकोट और हेलमेट के साथ कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर...
जे.पी.सिंह की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। भारत सरकार अभी तक को इन सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पायी है कि उसने समय रहते जांच किट्स और पीपीई का उत्पादन क्यों नहीं बढ़ाया। साथ ही वेंटिलेटर्स के लिए भी गंभीरता से कोशिशें क्यों नहीं हुई।इसी में कोढ़ में खाज की तरह एक और जहां भारत में कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले सुरक्षात्मक उपकरणों की भारी किल्लत है वहीं दूसरी और उन्हें सर्बिया निर्यात किया गया है। सर्बिया को भारत ने 90 टन उपकरण भेजे हैं।
यह मामला तब सामने आया जब यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) के सर्बियन विंग ने एक ट्वीट किया। इसके जरिए कोरोना वायरस प्रभावित देशों की उससे जंग में लड़ने में मदद की जा रही है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे किसी भी मामले की जानकारी होने से इनकार कर दिया है।
The 2nd cargo Boeing 747 with 90t of medical protective equipment landed from India to Belgrade today. The transportation of valuable supplies purchased by
?ref_src=twsrc^tfw">March 29, 2020
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केरल स्थित एक कंपनी ने सोमवार को कहा कि उसने कोरोना वायरस के खिलाफ दुनियाभर में जारी लड़ाई में सहयोग के लिए सर्जिकल दस्तानों के 35 लाख जोड़े सर्बिया भेजे हैं। कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड के एक प्रवक्ता ने कहा कि 90,385 किलोग्राम वजन के इन दस्तानों को 7,091 डिब्बों में भरकर बोईंग 747 मालवाहक विमान से सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड भेजा गया है।
प्रवक्ता ने कहा कि निर्यातक कंपनी का नाम सेंट मेरीज रबर्स लिमिटेड है। सर्बिया में अब तक करीब 500 लोग कोविड-19 से संक्रमित पाये गए हैं जबकि सात लोगों की मौत हुई है। सर्बिया में कोरोना वायरस का पहला मामला मार्च के पहले हफ्ते में सामने आया था।
डॉक्टर हेलमेट और रेनकोट पहनकर कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे हैं। एंबुलेंस चलाने वाले कर्मचारियों की उत्तर प्रदेश की एसोसिएशन ने कहा है कि दो महीने से उनकी सैलरी नहीं आई है, उनके पास प्रोटेक्टिव गियर नहीं है और इसलिये वे काम बंद कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मोदी सरकार पर सवाल उठा चुके हैं कि डब्लूएचओ की सलाह थी कि वेंटिलेटर, सर्जिकल मास्क का पर्याप्त स्टाक रखा जाय पर इसके विपरीत भारत सरकार ने 19 मार्च तक इन सभी चीजों के निर्यात की अनुमति क्यों दीं?डब्लूएचओ गाइडलाइन्स के मुताबिक पीपीई यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट में ग्लव्स, मेडिकल मास्क, गाउन और एन95, रेस्पिरेटर्स शामिल होते हैं।
गौरतलब है कि मार्च 2020 की शुरुआत में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने ऐलान किया कि कोरोना वायरस एक वैश्विक महामारी है। इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग और सेल्फ-आइसोलेशन को अपनाने की बात कही गई ताकि इसे फैलने से रोका जा सके।इस मामले में दक्षिण कोरिया एक अपवाद रहा जिसने बड़े पैमाने पर टेस्टिंग का सहारा लिया और कोरोना की चेन को तोड़ने में सफल रहा। दक्षिण कोरिया ने लॉकडाउन जैसे कड़े उपायों को नहीं अपनाया।
भारत सरकार के एजेंडे में बड़े पैमाने पर टेस्टिंग करना शामिल नहीं है। सरकार ने कहा है कि वह रैंडम सैंपलिंग करेगी।सिस्टेमेटिक टेस्टिंग की ग़ैर-मौजूदगी में यह नहीं पता चल पा रहा है कि यह महामारी कहां तक फैली है। भारत में किट्स की कमी से यह स्पष्ट है कि यहां पर्याप्त टेस्टिंग नहीं हो रही है। 27 मार्च तक भारत ने केवल 26,798 टेस्ट किए थे, जो दुनिया भर में देशों के किए जा रहे सबसे कम टेस्ट्स में हैं।
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इस बात का कोई स्पष्ट डेटा नहीं है कि भारत में कितने टेस्ट उपलब्ध हैं और टेस्टिंग किट्स की कमी की वजह से टेस्टिंग का क्राइटेरिया सख्त है। केवल उन लोगों की टेस्टिंग की जा रही है जो कि या तो इस महामारी से प्रभावित देशों की यात्रा करके लौटे हैं या कोविड-19 के मरीजों के संपर्क में आए हैं। 20 मार्च को आईसीएमआर ने कहा कि टेस्टिंग क्राइटेरिया में लक्षणों के आधार पर हेल्थकेयर वर्कर्स और हाई-रिस्क लोगों को भी शामिल किया जा सकता है।
इस बीच एक न्यूज़ चैनल ने खबर दी है कि भारत 6 अप्रैल से सीरोलॉजिकल टेस्ट/ रैपिड टेस्ट शुरू करेगा। टेस्ट 30 मिनट में परिणाम दिखाएगा, जबकि मौजूदा समय में छह घंटे का समय लग जाता है। भारत में अभी तक कोरोना वायरस संक्रमण के लिए 115 सरकारी प्रयोगशालाएं और 47 निजी प्रयोगशाला जांच केंद्र हैं।