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गुजरात में गौमूत्र की बिक्री में आई तेजी, कोरोना से बचने के लिए रोजाना 6,000 लीटर गौमूत्र सेवन कर रहे लोग
राष्ट्रीय कामधेनु अयोग के अध्यक्ष वल्लभ कठीरिया बताते हैं कि 1 लीटर गौमूत्र से लगभग 700 मिलीलीटर अर्क का उत्पादन होता है।अर्क की भी महत्वपूर्ण मांग है, जिसका उपयोग गरारे करने और पीने दोनों में किया जाता है। गौमूत्र हैंड सैनिटाइजर भी विकसित किया जा रहा है....
जनज्वार ब्यूरो। कोरोनावायर से प्रकोप के बीच गुजरात में गौमूत्र की जमकर बिक्री हो रही है। गौमूत्र का सेवन इसलिए किया जा रहा है क्योंकि इन लोगों का मानना है कि गोमूत्र पीने से इंसान की प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोत्तरी होगी और वह कोरोनावायरस जैसे प्रकोप को हरा सकते हैं।
राष्ट्रीय कामधेनु अयोग के अध्यक्ष वल्लभ कठीरिया ने 'इकोनॉमिक टाइम्स' को बताया कि कोरोनोवायरस प्रकोप के कारण राज्य में गौमूत्र और गौमूत्र अर्क या गाढ़ा गोमूत्र का सेवन लगभग 6,000 लीटर प्रतिदिन होने के बाद काफी बढ़ गया है।
गोमूत्र लंबे समय से गौपालकों द्वारा रामबाण औषधि के रूप में प्रचारित किया जाता है। पिछले महीने दिल्ली में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के लोगों ने इन गुणों को उजागर करने के लिए एक गोमूत्र पीने वाली पार्टी का आयोजन किया था।
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कठीरिया ने कहा, 'गुजरात में गोमूत्र न केवल ओरल कंजम्पशन के लिए बेचा जा रहा है, बल्कि 'दुर्भावनापूर्ण रोगाणुओं' को दूर रखने के लिए बॉडी स्प्रे बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
कठीरिया ने आगे कहा पाचन में सुधार के अलावा, गौमूत्र लिम्फोसाइटों को मजबूत करता है और एंटीऑक्सिडेंट में पहुंचता है। एक ऑन्कोलॉजी सर्जन जो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा कि गौमूत्र का उपयोग बैक्टीरिया को मारता है और निश्चित रूप से कोरोनोवायरस से लड़ने में मददगार होगा।
कठीरिया पहले राज्य के 'गौ सेवा अयोग' का नेतृत्व करते थे, वह बताते हैं कि 1 लीटर गौमूत्र से लगभग 700 मिलीलीटर अर्क का उत्पादन होता है। राज्य में जो अन्य गौमूत्र आधारित उत्पाद विकसित किया जा रहा है उसमें हैंड सैनिटाइजर भी है।
अहमदाबाद में एक गाय आश्रय चलाने वाले राजू पटेल ने भी गौमूत्र मांग में तेजी की बात की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि वह हर महीने पहले लगभग 80 से 100 बोतल अर्क बना रहे थे, लेकिन अब मांग लगभग 425 बोतलों की हो गई है।
वह आगे कहते हैं कि हम अब और ऑर्डर लेने से मना कर रहे हैं। वह कहते हैं, ' हम तुलसी, अदरक और अन्य जड़ी-बूटियों को भी अर्क में जोड़ रहे हैं ताकि खांसी और सर्दी से लड़ने के लिए एक शक्तिशाली संयोजन विकसित किया जा सके।'
पाटन जिले के शमी के एक सेवानिवृत्त शिक्षक और एक गौ कार्यकर्ता लाभशंकर राजगोरे ने कहा कि उन्होंने 2007 में गोमूत्र के आधार पर पहला बॉडी स्प्रे विकसित किया था। राजगोरे ने कहा, स्प्रे कई हानिकारक कीटाणुओं के साथ साथ वायरस को दूर रखने के लिए उपयोगी है। कोरोनावायरस प्रकोप के मद्देनजर उन्होंने गौमूत्र आधारित सैनिटाइजर भी विकसित किया है।
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राष्ट्रीय कामधेनु अयोग के कथिरिया ने कहा, 'राज्य में लगभग 4,000 गौशालाएँ हैं, जिनमें से लगभग 500 गोमूत्र के संग्रहण और प्रसंस्करण में शामिल हैं।' उन्होंने कहा कि गोमूत्र की मांग में बढ़ोत्तरी से गौशालाएं आसानी से आत्मनिर्भर बन सकती हैं।
एक सेवानिवृत्त इंजीनियर कांतिलाल पटेल ने ईटी से बात करते हुए गाय के मूत्र का उपयोग करने से लाभ होने का दावा किया। पटेल ने बताया, 'मेरी पत्नी कैंसर से पीड़ित थी और हमें सुबह पीने के लिए ताजा गोमूत्र मिलता था। उन्होंने कहा कि उन्हें इससे फायदा मिला था। गौमूत्र में निश्चित रूप से वायरस से लड़ने की क्षमता है।'