होम्योपैथी को जन—जन के बीच पहुंचाने का काम अभी बाकी

Update: 2018-04-10 08:54 GMT

वर्ल्ड होम्योपैथी डे पर हुआ आयोजन, वक्ताओं ने कहा आम लोगों के इलाज की है सबसे भरोसमंद चिकित्सा पद्धति

लखनऊ, जनज्वार। होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति भारत जैसे देश की जन स्वास्थ्य की आकांक्षाओं एवं अपेक्षाओं को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम है क्योंकि यह पद्धति अपेक्षाकृत कम खर्चीली एवं दुष्परिणाम रहित तथा रोग को जड़ से ठीक करने वाली है।

यह विचार लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.पी. सिंह ने विश्व होम्योपैथी दिवस (डॉ. हैनीमैन जयन्ती) की पूर्व संध्या पर बाबा हॉस्पिटल, मटियारी, चिनहट, लखनऊ के प्रेक्षागृह में आयोजित जनस्वास्थ्य की जरूरत और होम्योपैथी विषय पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये।

उन्होंने कहा कि होम्योपैथी की ये मीठी गोलियाँ बड़े से बड़े गम्भीर रोगों को ठीक करने में कारगर हैं, इसलिए इस पद्धति को बढ़ावा दिया जाना समय की जरूरत है। इसके पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर एवं डॉ. हैनीमैन के चित्र पर माल्यार्पण कर संगोष्ठी का शुभारम्भ किया।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति प्रो. अवधराम ने इस अवसर पर कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की विशिष्टता और गुणों को आम जनता तक पहुँचाना जरूरी है, क्योंकि अभी गाँवों में होम्योपैथी के प्रति जागरूकता की कमी है। उन्होंने होम्योपैथी के बारे में व्याप्त तमाम भ्रांतियों के निराकरण के लिए जन-जागरण अभियान चलाने पर जोर दिया।

राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान भारत सरकार के क्षेत्रीय निदेशक डी.डी. पाण्डेय ने कहा कि सरकार आयुष के माध्यम से जनता को स्वास्थ्य की सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है परन्तु अभी होम्योपैथी के विकास के लिए काफी कार्य किया जाना शेष है।

केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के वरिष्ठ सदस्य डॉ. अनुरूद्ध वर्मा ने कहा कि होम्योपैथी जन स्वास्थ्य के सरोकार से जुड़ी लोक कल्याण वाली पद्धति है भारत जैसे देश में जहाँ गरीबी, अशिक्षा और जनसंख्या की अधिकता है, एलोपैथी के महंगे इलाज के कारण .6 करोड़ लोग प्रतिवर्ष गरीबी रेखा में शामिल हो जाते हैं। वहाँ पर सबको स्वास्थ्य को सुविधाएं उपलब्ध कराने का एकमात्र विकल्प है होम्योपैथी। उन्होंने कहा कि सरकार होम्योपैथी के द्वारा कम व्यय में ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध करा सकती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व निदेशक होम्योपैथी प्रो. डॉ. बी.एन. सिंह ने कहा कि होम्योपैथिक को घर-घर पहुँचाना सरकार तथा चिकित्सकों का लक्ष्य होना चाहिए तथा इसे व्यवसाय की बजाए सेवा की तरह अपनाना चाहिए।

संगोष्ठी में डॉ. एएम सिंह ने होम्योपैथी को रोगों के उपचार में उपादेयता, डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने हड्डी एवं जोड़ों के रोगों के उपचार में होम्योपैथी की कारगरता, डॉ. निशान्त श्रीवास्तव ने चर्म रोगों के उपचार में होम्योपैथी की भूमिका आदि पर चर्चा की।

समारोह को उ.प्र. होम्योपैथिक मेडिसिन बोर्ड के सदस्य डॉ. फतेह बहादुर वर्मा, होम्योपैथी औषधि अनुसंधान संस्थान के पूर्व सहायक डॉ. जेपी सिंह, नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एसडी सिंह एवं डा राकेश कुमार बाजपेयी आदि ने सम्बोधित किया। स्वागत डॉ. राजीव अग्रवाल एवं आभार प्रदर्शन डॉ. संजीव दीक्षित ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. स्फूर्ति सिंह ने किया।

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