आईआईटी में पहली बार रैगिंग में 22 छात्र निलंबित

Update: 2017-10-10 21:14 GMT

मामले की गंभीरता को देखते हुए पांच घंटे तक बैठक चलने के बाद आरोपी छात्रों पर यह कार्रवाई आईआईटी प्रशासन द्वारा की गई है...

कानपुर, उत्तर प्रदेश। आईआईटी कानपुर में पहली बार 22 छात्रों को रैगिंग के आरोप में दोषी पाए जाने पर आईआईटी प्रशासन ने एक साथ निलंबित किया है।

आईआईटी सीनेट ने निलंबन का फैसला आरोपी छात्रों के बयान दर्ज करने के बाद आज 10 अक्तूबर को लिया। गौरतलब है कि आईआईटी सीनेट ने कल यानी 9 अक्तूबर को इस मसले पर गंभीर चर्चा करने और आरोपी छात्रों के बयान दर्ज करने के बाद यह सजा मुकर्रर की। हालांकि आरोपी छात्रों को हॉस्टल से पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था।

गौरतलब है कि कई फ्रेशर्स ने आरोप लगाया था और शिकायत दर्ज की थी कि फर्स्ट ईयर के छात्रों ने रैगिंग के नाम पर 19—20 अगस्त को उन्हें न सिर्फ अजीबोगरीब टॉस्क करने को दिए, बल्कि उनको कपड़े तक उतारने को मजबूर किया था। प्रशासन द्वारा गठित जांच आयोग ने सभी आरोप सही पाने के बाद आरोपी 22 छात्रों को निलंबित कर दिया है।

गौरतलब है कि इस मामले में आरोपी छात्रों ने भी जांच कमेटी के सामने अपना पक्ष रखा था, मगर उनकी दलील गलत साबित होने पर आईआईटी प्रशासन ने उन्हें निलंबित कर दिया है।

इस तरह के रैगिंग मामले सामने न आएं, इसलिए कड़ी कार्रवाई करते हुए जांच कमेटी ने 16 आरोपी छात्रों को तीन साल के लिए, जबकि छह छात्रों को एक साल के लिए निलंबित किया है। गौरतलब है कि इस गंभीर मसले पर पहली बार आईआईटी सीनेट बहुत लंबी चली थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए पांच घंटे तक बैठक चलने के बाद आरोपी छात्रों पर यह कार्रवाई आईआईटी प्रशासन द्वारा की गई है।

जांच में कुछ फ्रेशर्स ने स्वीकारा कि सीनियर छात्रों ने रैगिंग के नाम पर उन्हें कपड़े तक उतारने को मजबूर किया। जांच में जब फ्रेशर छात्रों के आरोप सही पाए गए तो अब इन छात्रों को आईआईटी से निलंबित करने का कड़ा कदम उठाया गया है। गौरतलब है कि इस मामले में आरोपी छात्रों को पहले ही हॉस्टल से बाहर कर दिया गया था।

निलंबन के मुद्दे परआईआईटी कानपुर के डिप्टी डायरेक्टर डॉ मणींद्र अग्रवाल कहते हैं, '16 आरोपी छात्रों को तीन साल के लिए और अन्य छह छात्रों को एक साल के लिए निलंबित किया है।' अग्रवाल इस मसले पर कहते हैं कि 16 छात्रों को तीन साल के लिए इसलिए निष्कासित किया गया है, क्योंकि उनके खिलाफ आरोप बहुत गंभीर थे। साथ ही उन्होंने यह भी जानकारी दी कि निलंबन के दौरान छात्रों को दया अपील करने का अधिकार भी नहीं होगा।

घटनाक्रम के मुताबिक 19—20 अगस्त को कानपुर आईआईटी में फर्स्ट ईयर के स्टू़डेंट्स द्वारा फ्रेशर्स के साथ रैगिंग के बतौर उनका यौन उत्पीड़न किए जाने का मामला सामने आया था। यह बात प्रशासन द्वारा की गई जांच में सामने आई थीं जांच में सामने आया कि फर्स्ट ईयर के छात्रों ने नए छात्रों की रैगिंग के तहत पहले तो कुछ अजीब तरह के टॉस्ट दिए, बाद में उनका यौन शोषण किया गया।

सीनेट के सभी सदस्यों ने रैगिंग के नाम पर फ्रेशर्स छात्रों को प्रताड़ित किए जाने के मुद्दे पर अपनी अपनी बात रखने के बाद यह निर्णय लिया था। हालांकि आरोप तय आरोपी छात्रों का पक्ष सुनने के बाद ही किया गया था। सीनेट चेयरमैन ने 22 छात्रों को यौन उत्पीड़न और बेहूदी हरकतों में संलिप्तता का दोषी पाते हुए निलंबित किए जाने का निर्णय सुना दिया।

मामले की गंभीरता को भांपते हुए आईआईटी के वरिष्ठ प्रोफेसरों ने इसकी जांच की और आरोपों को सही पाया। हालांकि सीनेट ने आरोपी छात्रों को भी अपना पक्ष रखने का मौका दिया था। आरोपियों ने अपना पक्ष रखा, लेकिन उनकी कोई दलील काम नहीं आई।

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